नई दिल्ली, 19 नवंबर 2025: भारत की आईटी दिग्गज Infosys Ltd ने अपने इतिहास में अब तक का सबसे बड़ा शेयर बायबैक (Buyback) कार्यक्रम घोषित किया है, जिसका आकार ₹18,000 करोड़ है। कंपनी बोर्ड ने बायबैक को मंजूरी दी है और यह टेंडर-ऑफर रूट के माध्यम से किया जाएगा। कंपनी प्रति शेयर ₹1,800 देगी, जो शेयरों के बाजार मूल्य (CMP) से लगभग 19% प्रीमियम को दर्शाता है।
बायबैक का आकार और डिटेल्स
बायबैक के लिए कुल 10 करोड़ शेयर (fully paid-up) वापस खरीदने का प्रस्ताव है, जो कंपनी की कुल इक्विटी का लगभग 2.41 % है। यह कंपनी का पाँचवां बायबैक है, लेकिन अब तक का सबसे बड़ा। बायबैक नीति Infosys की कैपिटल अलोकेशन पॉलिसी का हिस्सा है, जिसके अनुसार कंपनी अपनी फ्री कैश फ्लो का 85% शेयरधारकों को लौटाने की योजना बना रही है (डिविडेंड + बायबैक के माध्यम से)।
Promoters का हिस्सा नहीं लेना
Infosys के प्रमोटर्स, जिनमें को-फाउंडर जैसे Nandan Nilekani और Sudha Murty शामिल हैं, उन्होंने इस बायबैक में हिस्सा लेने से यह कहकर इनकार किया कि वे अपनी हिस्सेदारी बनाए रखना चाहते हैं। उनके हिस्सा न लेने का एक बड़ा कारण कर (Tax) मामला है: कर नियमों में बदलाव के बाद, बायबैक प्राप्त राशि को शेयरधारकों की “डिविडेंड इनकम” माना जाता है, जिससे उच्च इनकम वर्ग वाले शेयरधारकों पर कर बोझ बढ़ जाता है।
बाजार और विशेषज्ञों की प्रतिक्रिया
Saurabh Jain (SMC Global) के मुताबिक, प्रमोटर्स का न शामिल होना रिटेल शेयरधारकों के लिए बेहतर है क्योंकि इससे उनकी “entitlement ratio” (ऑब्जेक्शन स्वीकार करने की संभावना) बढ़ जाएगी।
Nilesh Jain, हेड (Equity Research, Technical & Derivatives) – Centrum Broking, ने कहा है कि शेयर वर्तमान स्तरों पर “करेक्शन” माहौल में हैं और निवेशकों को डिप पर जोड़ने (accumulate) पर विचार करना चाहिए। उनका लक्ष्य शेयर की कीमत ₹1,600-1,660 के बीच हो सकता है।
Anuj Gupta, डायरेक्टर, Ya Wealth Global Research, ने शॉर्ट-टर्म अपसाइड की संभावना दिखाई है और कहा है कि मौजूदा शेयरधारकों को मध्यम से लंबी अवधि के लिए होल्ड करना चाहिए।
Akshay Badjate, फंड मैनेजर, Merisis PMS, ने कंपनी की मजबूत बैलेंस शीट और उसकी फ्री कैश फ्लो पर ध्यान दिया है। उन्होंने कहा कि इस बायबैक से EPS में 3-5% तक का इजाफा हो सकता है।
कर (Tax) की चुनौतियाँ:
SBI Securities के Sunny Agrawal ने चेतावनी दी है कि स्वीकृति अनुपात (acceptance ratio) कम हो सकता है और टैक्स की वजह से कुछ शेयरधारकों के लिए यह ऑफर उतना आकर्षक नहीं हो सकता।
Religare Broking के Ajit Mishra ने कहा है कि निवेशक फैसला लेते समय टैक्स की जटिलताओं को ध्यान में रखें - ये उनके “टेन्डर देने (tender)” के फैसले को बहुत प्रभावित कर सकते हैं।
Hitesh Sawhney, Price Waterhouse & Co LLP के पार्टनर, ने यह बताया है कि नए टैक्स नियमों के तहत, बायबैक की पूरी राशि शेयरधारकों के हाथ में आने पर डिविडेंड के रूप में टैक्स योग्य होगी।
Vivek Gupta, Deloitte India के पार्टनर, ने कहा है कि निवेशक अपने मूल निवेश को “कैपिटल लॉस” के रूप में रेकॉर्ड कर सकते हैं, जिसे कैपिटल गैन्स के खिलाफ सेट-ऑफ किया जा सकता है (यदि उनके पास अन्य कैपिटल गैन्स हों)।
सोशल मीडिया और सार्वजनिक रिएक्शन
X (Twitter) पर भी चर्चाएँ तेज हैं: कुछ लोग यह मुद्दा उठा रहे हैं कि Infosys ने बायबैक तो किया, लेकिन एक और विवाद भी है, कंपनी ने भारत सरकार की टैक्स-फाइलिंग पोर्टल (IT e-filing पोर्टल) बनाई है, जिसे यूज़र्स अक्सर ग्लिच और परेशानी की शिकायतों के साथ जोड़ते हैं।
सोशल मीडिया पर यह भी कहा गया है कि “प्रमोटर्स न भाग लेने” का मतलब है कि उन्हें कंपनी के भविष्य में भरोसा है और यह कदम रिटेल शेयरधारकों को लाभ पहुंचा सकता है।
कुछ निवेशकों ने चेतावनी दी है कि यदि आपका कर स्लैब बहुत ऊँचा है, तो बायबैक में हिस्सा लेना सच में कम लाभदायक हो सकता है, क्योंकि टैक्स की वजह से वास्तविक लाभ कम रह जाता है।
निवेशकों के लिए निष्कर्ष
यह बायबैक Infosys द्वारा शेयरधारकों को नकदी लौटाने का एक बहुत बड़ा कदम है, खासकर उसकी मजबूत कैश-फ्लो स्थिति को देखते हुए लेकिन यह “फ्री मनी” नहीं है। टैक्स नियमों में बदलाव ने इस ऑफर की अपील कुछ निवेशकों के लिए कम कर दी है, खासकर उच्च इनकम वाले शेयरधारकों के लिए। यदि आप रिटेल शेयरधारक हैं और आप टैक्स स्लैब कम या मध्यम है, तो यह अवसर आपके लिए आकर्षक हो सकता है, क्योंकि प्रमोटर्स इसमें हिस्सा नहीं ले रहे हैं।
लेकिन यदि आप लंबी अवधि के निवेशक हैं, तो यह जरूरी है कि आप यह सोचें कि बायबैक के बाद आपकी हिस्सेदारी की वैल्यू कैसे बदलेगी, और क्या आप शेयर बेचने की बजाय आगे होल्ड करना चाहेंगे।
विशेषज्ञों की सलाह:
“स्वीकृति अनुपात कम हो सकता है और टैक्स की वजह से कुछ शेयरधारकों के लिए यह ऑफर उतना आकर्षक नहीं हो सकता।” - Sunny Agrawal, SBI Securities
“पूरी ₹1,800 को ‘डिविडेंड आय’ माना जाता है, इसलिए उच्च-इनकम निवेशकों पर टैक्स का बोझ काफी हो सकता है।” - Hitesh Sawhney, Price Waterhouse & Co LLP
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