बिहार विधानसभा चुनाव 2025 के संदर्भ में राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (एनडीए) का घोषणापत्र हाल ही में जारी किया गया है। वहीं, महागठबंधन (आरजेडी, कांग्रेस और वाम दलों का गठबंधन) ने अपना घोषणापत्र पहले ही जारी कर दिया है। प्रशांत किशोर की जन सुराज पार्टी ने भी अपने बयानों और योजना के माध्यम से कई वादे किए हैं। नीचे इन तीनों की प्रमुख घोषणाओं का तुलनात्मक अध्ययन प्रस्तुत है, जिसमें समानताओं और अंतरों को प्रमुख क्षेत्रों के आधार पर समझाया गया है। यह अध्ययन उपलब्ध सार्वजनिक बयानों और घोषणापत्रों पर आधारित है, जो चुनावी वादों की प्रकृति को दर्शाता है।
बिहार में रोजगार पर किसका ध्यान
रोजगार सृजन के क्षेत्र में एनडीए ने सबसे महत्वाकांक्षी लक्ष्य रखा है, जिसमें पांच वर्षों में एक करोड़ सरकारी नौकरियां और कुल रोजगार अवसर देने का वादा किया गया है। यह योजना मेगा स्किल सेंटरों, औद्योगिक पार्कों और रक्षा गलियारे के माध्यम से लागू करने की बात करती है। महागठबंधन ने हर परिवार में एक सरकारी नौकरी का वादा किया है, जो लगभग 10 लाख सरकारी पदों पर भर्ती और दो लाख संविदा कर्मचारियों को स्थायी करने पर आधारित है। हालांकि, कुछ बयानों में इसे 3 करोड़ नौकरियों तक बढ़ाया गया है, जो बजट की दृष्टि से चुनौतीपूर्ण लगता है। 
प्रशांत किशोर ने 100 दिनों में 10 लाख नौकरियां देने का दावा किया है, जिसमें वैश्विक ऋणों से निवेश आकर्षित करने की योजना शामिल है। यहां एनडीए की योजना दीर्घकालिक विकास पर केंद्रित है, जबकि महागठबंधन और जन सुराज की योजनाएं त्वरित लाभ पर अधिक जोर देती हैं, लेकिन क्रियान्वयन की व्यवहार्यता पर सवाल उठते हैं।
महिला सशक्तिकरण किसकी प्राथमिकता
महिला सशक्तिकरण में तीनों गठबंधनों की प्राथमिकताएं समान दिखती हैं, लेकिन आकार और दृष्टिकोण में अंतर है। एनडीए ने एक करोड़ महिलाओं को लखपति दीदी बनाने और महिलाओं को दो लाख रुपये तक की वित्तीय सहायता का वादा किया है, जो स्वरोजगार योजनाओं और उद्यमिता पर आधारित है। 
महागठबंधन ने हर महिला को मासिक 2500 रुपये की सहायता, दो लाख जीविका दीदियों को सरकारी नौकरी और माई-बहन मान योजना के तहत घरेलू लाभ सुनिश्चित करने की बात कही है। 
जन सुराज ने महिलाओं के लिए कम ब्याज वाले ऋण और परिवार लाभ कार्ड के माध्यम से 2500 रुपये मासिक सहायता का वादा किया है, जो 100 दिनों में लागू करने का दावा करता है। 
समानता यह है कि सभी महिलाओं को आर्थिक रूप से मजबूत बनाने पर फोकस है, लेकिन एनडीए की योजना उद्यमिता-केंद्रित है, जबकि अन्य दो प्रत्यक्ष नकद हस्तांतरण पर अधिक निर्भर हैं।
शिक्षा को महत्व कौन दे रहा है
शिक्षा के मामले में एनडीए ने गरीबों के लिए किंडरगार्टन से पोस्ट-ग्रेजुएट तक मुफ्त शिक्षा का वादा किया है, जिसमें प्रत्येक जिले में शीर्ष स्कूलों के लिए 5000 करोड़ रुपये का निवेश, पौष्टिक नाश्ता और मिड-डे मील शामिल है। 
महागठबंधन ने भी मुफ्त शिक्षा पर जोर दिया है, लेकिन इसमें हर जिले में कर्पूरी आवासीय स्कूल और हर पंचायत में आंबेडकर लाइब्रेरी जोड़कर सामाजिक न्याय का आयाम दिया है। 
जन सुराज ने 15 वर्ष तक मुफ्त शिक्षा और छात्रों के लिए मुफ्त टैबलेट का वादा किया है, जो त्वरित डिजिटल पहुंच पर केंद्रित है। 
यहां अंतर यह है कि एनडीए और महागठबंधन व्यापक कवरेज पर फोकस करते हैं, जबकि जन सुराज की योजना तकनीकी एकीकरण पर अधिक है।
कौन कितना इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट करेगा
बुनियादी ढांचे और विकास के क्षेत्र में एनडीए का घोषणापत्र सबसे विस्तृत है, जिसमें चार शहरों में मेट्रो सेवा, सात नई एक्सप्रेसवे, चार अंतरराष्ट्रीय हवाई अड्डे (पटना, दरभंगा, पूर्णिया, भागलपुर), रक्षा गलियारा, सेमीकंडक्टर पार्क और हर जिले में फैक्टरियां स्थापित करने का वादा है। 
महागठबंधन ने 200 यूनिट मुफ्त बिजली, 50 लाख नए पक्के घर और बाढ़ प्रबंधन पर फोकस किया है, लेकिन बड़े इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स कम हैं। जन सुराज ने शराबबंदी हटाकर 28,000 करोड़ रुपये राजस्व जुटाने और विश्व बैंक-आईएमएफ से 5-6 लाख करोड़ रुपये के ऋण आकर्षित करने का वादा किया है, जो बुनियादी ढांचे के लिए इस्तेमाल होगा। 
एनडीए की योजना कनेक्टिविटी और औद्योगीकरण पर मजबूत है, जबकि अन्य दो ऊर्जा और आवास जैसे प्रत्यक्ष लाभों पर अधिक हैं।
कृषि और ग्रामीण विकास में एनडीए ने किसानों को सालाना 9000 रुपये की सहायता, सभी फसलों पर एमएसपी गारंटी और एक लाख करोड़ रुपये के कृषि इंफ्रास्ट्रक्चर निवेश का वादा किया है। 
महागठबंधन ने भूमिहीनों को जमीन वितरण और मछुआरों को 9000 रुपये सहायता बढ़ाने पर जोर दिया है। जन सुराज ने किसानों के लिए ऋण सुविधा और शराब राजस्व से ग्रामीण विकास का लक्ष्य रखा है। 
समानताएं सहायता राशि में हैं, लेकिन एनडीए की योजना उत्पादकता बढ़ाने पर अधिक केंद्रित है।
स्वास्थ्य और कल्याण की योजनाओं में अंतर
स्वास्थ्य और कल्याण के क्षेत्र में तीनों ने 25 लाख रुपये तक मुफ्त उपचार का वादा किया है, जो एक प्रमुख समानता है। एनडीए ने हर जिले में मेडिकल कॉलेज और वर्ल्ड-क्लास मेडिसिटी की बात की है। महागठबंधन ने विधवाओं, बुजुर्गों और दिव्यांगों के लिए 1500 रुपये मासिक पेंशन बढ़ाई है। जन सुराज ने सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज को 100 दिनों में लागू करने का दावा किया है। यहां अंतर क्रियान्वयन गति में है, जहां जन सुराज सबसे तेज दावा करता है।
कुल मिलाकर, एनडीए का घोषणापत्र विकास-केंद्रित और दीर्घकालिक है, जो वर्तमान शासन की निरंतरता पर आधारित लगता है। महागठबंधन की योजना सामाजिक न्याय और प्रत्यक्ष लाभों पर अधिक जोर देती है, लेकिन वित्तीय व्यवहार्यता पर सवाल हैं। जन सुराज के बयान त्वरित परिवर्तन और वैकल्पिक मॉडल पर फोकस करते हैं, लेकिन 100 दिनों का दावा महत्वाकांक्षी है। ये वादे बिहार की चुनौतियों जैसे बेरोजगारी, प्रवासन और गरीबी को संबोधित करते हैं, लेकिन अंततः मतदाता इनकी विश्वसनीयता और पिछले प्रदर्शन के आधार पर फैसला करेंगे।
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