भोपाल, 26 नवंबर 2025: कई बार कानूनी प्रक्रिया की जानकारी और अनुभव भी जान का दुश्मन हो जाता है। सीनियर एडवोकेट श्री शिवकुमार वर्मा को पता था कि भारत में न्याय की प्रक्रिया कितनी खराब है और एक बार यदि कलंक लग गया तो उसको मिटाना कितना मुश्किल होता है। एक्सपीरियंस के आधार पर पैदा हुए डर ने सीनियर एडवोकेट श्री शिवकुमार वर्मा को साइबर क्राइम का शिकार बना दिया और अपने सम्मान को बचाने के लिए उन्होंने सुसाइड कर लिया।
शिवकुमार वर्मा के तनाव और सुसाइड की कहानी
जहांगीराबाद पुलिस के अनुसार 68 वर्षीय शिवकुमार वर्मा बरखेड़ी इलाके में रहते थे। वे वरिष्ठ एडवोकेट थे तथा वर्तमान में भोपाल कोर्ट में प्रेक्टिस करते थे। मंगलवार रात करीब 7:30 बजे उन्होंने अपने घर में फांसी लगा ली। इलाज के लिए उन्हें अस्पताल ले जाया गया था जहां पर डॉक्टर ने मृत घोषित कर दिया। इन्वेस्टिगेशन के दौरान पुलिस को मौके से सुसाइड नोट मिला है जिसमें स्वर्गीय शिवकुमार वर्मा ने लिखा है कि पिछले दिनों उनके पास किसी अज्ञात व्यक्ति का कॉल आया था। उसने कहा था कि तुम्हारा नाम हाल ही में दिल्ली में लाल किले के पास हुए बम धमाके में आया है। आतंकी साजिश में तुम्हारे बैंक खाते से फंडिंग की गई।
सिस्टम की जानकारी और अनुभव ने आत्महत्या के लिए प्रेरित किया
परिजनों ने बताया कि, यह फोन आने के बाद से वे तनाव में रहने लगे थे। पुलिस का कहना है कि, साइबर क्रिमिनल इस तरह के फोन कॉल करके लोगों को डिजिटल अरेस्ट करते हैं और वसूली करते हैं। जबकि परिस्थितिया स्पष्ट रूप से बता रही है कि, श्री शिवकुमार वर्मा सीनियर एडवोकेट होने के नाते न्याय की प्रक्रिया और कलंक के नुकसान को अच्छी तरीके से जानते थे। उनका सुसाइड नोट साफ बता रहा है कि वह देशद्रोही के कलंक से बचना चाहते थे। क्योंकि वह एक सभ्य नागरिक थे। उन्होंने भोपाल गैस कांड के समय सैकड़ो लावारिस लोगों का अंतिम संस्कार किया था। जरूरतमंद लोगों को ब्लड डोनेट किया करते थे।
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