हमारी सरकार सही काम कर रही है या नहीं, इसके मूल्यांकन की प्रक्रिया में बहीखाता भी शामिल होता है। सरकार कितना पैसा कमा रही है, कहां से कमा रही है, कितना खर्च कर रही है और कहां खर्च कर रही है। कई बार सरकारी घाटा, जनता के लिए फायदेमंद भी होता है। आइए जानते हैं कि 1 अप्रैल 2025 से 30 सितम्बर 2025 तक सरकार ने कितना पैसा कमाया और कितना खर्च किया।
भारत सरकार की कमाई 49.5% खर्च 45.5%
भारत सरकार ने वित्त वर्ष 2025-26 के पहले छह महीनों (अप्रैल से सितंबर 2025) के मासिक खातों को जोड़कर एक रिपोर्ट जारी की है। यह रिपोर्ट बताती है कि सरकार की कमाई और खर्च कैसे चल रहे हैं। जैसे घर का बजट, जहां कमाई (प्राप्तियां) और खर्च (व्यय) का हिसाब रखा जाता है। कुल मिलाकर, कमाई बजट के 49.5% पर पहुंच गई है, जबकि खर्च 45.5% पर है। इसका मतलब यह नहीं है कि कमाई की तुलना में खर्चा कम किया गया है, बल्कि यह है कि बजट में कमाई और खर्च का जो टारगेट घोषित किया गया था, 6 महीने में प्रतिशत में रिजल्ट यह है।
भारत सरकार का बहीखाता
कुल कमाई: 17 लाख 30 हजार करोड़ रुपये। यह साल भर के बजट लक्ष्य (कुल प्राप्तियों) का लगभग आधा (49.5%) है। यानी सरकार अभी सही रफ्तार से पैसे कमा रही है।
कहां से आई कमाई?
करों से: 12 लाख 29 हजार करोड़ रुपये (केंद्र सरकार को सीधे मिले, बाकी राज्यों को दिए गए हिस्से को घटाकर)। जैसे GST, इनकम टैक्स आदि।
गैर-कर स्रोत: 4 लाख 66 हजार करोड़ रुपये। इसमें फीस, शुल्क या अन्य आय शामिल है।
पूंजी प्राप्तियां: 34 हजार करोड़ रुपये (ऋण के अलावा, जैसे संपत्ति बेचना)।
राज्यों को मदद: सरकार ने राज्यों को करों का हिस्सा 6 लाख 32 हजार करोड़ रुपये भेजा। यह पिछले साल से 87 हजार करोड़ ज्यादा है। यानी राज्यों को ज्यादा फंड मिला, जो विकास के लिए अच्छा है।
कहां कितना खर्चा कर दिया
कुल खर्च: 23 लाख 3 हजार करोड़ रुपये। यह बजट के 45.5% के बराबर है। 50% होना चाहिए, 45% भी अच्छी स्थिति है।
राजस्व खर्च: 17 लाख 23 हजार करोड़ रुपये। यह रोजमर्रा का खर्च है, जैसे वेतन, पेंशन आदि।इसमें सबसे बड़ा हिस्सा ब्याज भुगतान: 5 लाख 78 हजार करोड़ रुपये (पुराने कर्ज पर ब्याज चुकाना)।
प्रमुख सब्सिडी: 2 लाख 2 हजार करोड़ रुपये (जैसे खाद्य, उर्वरक, गैस सब्सिडी, गरीबों की मदद के लिए)।
पूंजी खर्च: 5 लाख 81 हजार करोड़ रुपये। यह लंबे समय का निवेश है, जैसे सड़कें, रेल, स्कूल बनाना – जो देश को मजबूत बनाता है। जिससे जनता सीधे प्रभावित होती है। इसको विकास पर किया गया खर्च भी बोलते हैं।
खर्च में ब्याज और सब्सिडी का बोझ ज्यादा है, लेकिन कल्याणकारी देश में सब्सिडी को बोझ नहीं कहा जाता, क्योंकि यह सरकार की जिम्मेदारी है और कई बार रणनीति भी। पूंजीगत निवेश (जैसे इंफ्रास्ट्रक्चर) पर फोकस बढ़ रहा है, जो भविष्य के लिए अच्छा संकेत।
