नई दिल्ली, 23 अक्टूबर 2025: दुनिया की आधी से ज्यादा आबादी को पोषण देने वाले छोटे किसान आज जलवायु परिवर्तन की कठोर मार झेल रहे हैं। ये परिवारिक किसान, जो चावल, गेहूं, कोको और कॉफी जैसी फसलों की रीढ़ हैं, अब सूखा, बाढ़ और अनियमित मौसम से जूझ रहे हैं। लेकिन वैश्विक स्तर पर उनकी मदद के लिए जरूरी फंडिंग की कमी एक गंभीर सवाल खड़ा करती है, जबकि दुनिया हर साल 470 अरब डॉलर उन कृषि सब्सिडी पर खर्च कर रही है जो न तो किसानों के लिए sustainable हैं और न ही planet के लिए।
Family Farmers for Climate Action
एक ताजा विश्लेषण के अनुसार, छोटे किसानों (जिनकी जमीन 10 हेक्टेयर या उससे कम है) के लिए climate adaptation की वार्षिक लागत 443 अरब डॉलर आंकी गई है। Climate Focus द्वारा तैयार यह रिपोर्ट Family Farmers for Climate Action नामक नई global alliance के लिए है, जो अफ्रीका, लैटिन अमेरिका, एशिया और पैसिफिक के 95 मिलियन छोटे किसानों की सामूहिक आवाज बनकर उभरी है। रिपोर्ट बताती है कि प्रति हेक्टेयर औसतन 952 डॉलर, यानी रोजाना लगभग 2.19 डॉलर, इन किसानों को अपने खेतों को जलवायु प्रभावों से अनुकूल बनाने में लगाने पड़ेंगे।
हालांकि, 2021 में छोटे किसानों के लिए global adaptation finance सिर्फ 1.59 अरब डॉलर रहा, जो कुल जरूरत का महज 0.36 प्रतिशत है। दूसरी ओर, ये किसान खुद अपनी आय का 20-40 प्रतिशत adaptation measures पर खर्च कर रहे हैं, कुल मिलाकर सालाना करीब 368 अरब डॉलर। दूसरे शब्दों में, वे पहले से ही अपने survival की कीमत चुका रहे हैं, जबकि international aid अभी भी trickle-down की तरह बूंद-बूंद आ रही है।
पूर्वी अफ्रीका किसान संघ (EAFF) की अध्यक्ष एलिजाबेथ न्सिमादाला ने इसे एक निवेश के रूप में देखा है। उन्होंने कहा, “यह कोई charity नहीं, बल्कि investment है, पूरी दुनिया की food security में। छोटे किसान आधी दुनिया का भोजन उगाते हैं, 2.5 अरब लोगों की livelihoods उनसे जुड़ी हैं।” दक्षिण ब्राजील के agroforestry किसान थालेस मेंडोन्सा ने जोड़ा, “छोटे किसानों में निवेश सिर्फ economic नहीं, ecological necessity भी है। हम agroecology जैसी systems अपना रहे हैं जो soil, water sources और ecosystems को revive कर रही हैं। बस दुनिया को scale-up में partner बनना है।”
यह रिपोर्ट ऐसे समय आई है जब ब्राजील में नवंबर 2025 में होने वाले COP30 climate summit में adaptation को central theme बनाया जा रहा है। यहां Global Goal on Adaptation के indicators तय होंगे, लेकिन अभी छोटे किसानों के लिए finance flow को measure करने का कोई marker नहीं है। साथ ही, developed countries का 2025 तक adaptation finance को double करके 38-40 अरब डॉलर पहुंचाने का pledge पूरा होगा या नहीं, यह भी uncertain है।
Small farmers are victims of climate change
ब्राजील की COP30 presidency के तहत Action Agenda sustainable farming को promote करने पर फोकस कर रहा है। इसमें “Circle of Peoples” platform के जरिए farmers' voices को finance, loss and damage, और just transition discussions में directly include करने की योजना है। एशियाई किसान संघ (AFA) की महासचिव एस्थर पेनुनिया ने कहा, “सरकारों को adaptation finance में massive increase करना होगा। Drought, floods और heatwaves हमारी फसलें बर्बाद कर रहे हैं। अगर funds directly किसानों और उनके organizations तक पहुंचें, तो impact सबसे swift और profound होगा।” उन्होंने एक “Farmers Resiliency Fund” की वकालत की, जो किसान संगठनों द्वारा managed हो, ताकि resources ground-level workers तक पहुंचें।
अंत में, रिपोर्ट एक स्पष्ट challenge फेंकती है: अगर दुनिया 470 अरब डॉलर harmful subsidies पर spend कर सकती है, तो 443 अरब छोटे किसानों की climate resilience के लिए क्यों नहीं? आखिर ये वही किसान हैं जो आधी hunger मिटाते हैं, और अब उसी बदलते climate से सबसे intensely लड़ रहे हैं। समय है कि global community इस imbalance को address करे, ताकि छोटे किसान न सिर्फ survive करें, बल्कि thrive भी। रिपोर्ट: निशांत सक्सेना।
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