मध्य प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने आज भोपाल में बड़ा ऐलान किया है। उन्होंने कहा कि, विभागीय स्तर पर साल भर चलने वाली भर्ती परीक्षाओं की प्रक्रिया को अब खत्म कर दिया जाएगा। सभी विभागों में जितनी भी वैकेंसी होगी, सबके लिए एक भर्ती परीक्षा का आयोजन किया जाएगा। इसके अलावा 2 लाख पदों पर भी भर्ती की जाएगी।
डॉ मोहन यादव के कार्यकाल में कितनी सरकारी नौकरियां
सरकारी कर्मचारियों के दीपावली मिलन समारोह को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि नई भर्ती आरंभ कर 2 लाख नए पद भी सृजित किए जाएंगे। यूपीएससी की तर्ज पर एक परीक्षा कराई जाएगी, जिससे अलग-अलग पदों को भरने के लिए कई परीक्षाएं न कराना पड़े। पुलिस भर्ती में तेजी लाने के लिए पुलिस भर्ती बोर्ड बनाया जा रहा है। पुलिस विभाग में 20 हजार पद भरे जाएंगे। भर्ती प्रक्रिया शुरू की जा चुकी है। आंगनबाड़ी पर्यवेक्षकों के 476 नए पद स्वीकृत किए गए हैं। आंगनबाड़ी कार्यकर्ता, सहायिकाओं के 19,504 नए पदों पर पहली बार डिजिटल पद्धति से भर्ती की प्रक्रिया शुरू की जा रही हैं।
मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की स्थिति: एक विस्तृत अवलोक
नमध्य प्रदेश भारत के प्रमुख राज्यों में से एक है, जहां कृषि, उद्योग और सेवा क्षेत्र प्रमुख रोजगार स्रोत बने हुए हैं। 2025 तक उपलब्ध नवीनतम आंकड़ों के अनुसार, राज्य में बेरोजगारी की दर राष्ट्रीय औसत से काफी कम है, जो आर्थिक स्थिरता और सरकारी प्रयासों का संकेत देती है। हालांकि, युवा वर्ग में कुछ चुनौतियां बनी हुई हैं। यह जानकारी पीरियोडिक लेबर फोर्स सर्वे (पीएलएफएस) 2023-24, सीएमआईई डेटा और राज्य सरकार की भर्ती घोषणाओं पर आधारित है। हम बेरोजगारी दर, युवा बेरोजगारी, रिक्त सरकारी पदों की संख्या और संबंधित पहलुओं पर विस्तार से चर्चा करेंगे।
मध्य प्रदेश की बेरोजगारी दर: राष्ट्रीय स्तर पर सबसे निचले पायदान पर एमपी
मध्य प्रदेश में बेरोजगारी की दर अन्य राज्यों की तुलना में उल्लेखनीय रूप से कम है। पीएलएफएस रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार, राज्य की वार्षिक बेरोजगारी दर मात्र 1.6 प्रतिशत है, जो राष्ट्रीय औसत (लगभग 5.1 प्रतिशत अगस्त 2025 तक) से काफी नीचे है। यह आंकड़ा कृषि-आधारित अर्थव्यवस्था, मैन्युफैक्चरिंग और सेवा क्षेत्रों में स्थिर रोजगार के कारण है। सीएमआईई के आंकड़ों में यह दर और भी कम 0.9 प्रतिशत बताई गई है, जो राज्य को सबसे कम बेरोजगारी वाले राज्यों की सूची में शीर्ष पर रखता है, जैसे गुजरात (2.9 प्रतिशत) और मेघालय (2.8 प्रतिशत)।
ग्रामीण और शहरी विभाजन पर नजर डालें तो ग्रामीण क्षेत्र में बेरोजगारी दर 1.2 प्रतिशत है, जबकि शहरी क्षेत्र में 2.1 प्रतिशत, और कुल मिलाकर 1.6 प्रतिशत। राष्ट्रीय औसत की तुलना में ग्रामीण क्षेत्र में यह 4.5 प्रतिशत, शहरी में 6.8 प्रतिशत और कुल में 5.1 प्रतिशत से काफी कम है। पीएलएफएस क्वार्टरली बुलेटिन (अप्रैल-जून 2025) के अनुसार, राज्य में लेबर फोर्स पार्टिसिपेशन रेट 55 प्रतिशत से अधिक है, जबकि वर्कर पॉपुलेशन रेशियो 54 प्रतिशत के आसपास है, जो रोजगार सृजन की सकारात्मक तस्वीर पेश करता है। हालांकि, मौसमी प्रभाव जैसे मानसून के कारण जुलाई 2025 में राष्ट्रीय स्तर पर दर 5.2 प्रतिशत घटी, लेकिन एमपी में यह स्थिर रही।
मध्य प्रदेश में युवा बेरोजगारी:
युवा (15-29 वर्ष) बेरोजगारी राष्ट्रीय स्तर पर एक बड़ी समस्या है, जहां दर 14.6 प्रतिशत तक पहुंच गई है। लेकिन एमपी में यह मात्र 3.2 प्रतिशत है, जो गुजरात के बाद सबसे कम है। यह राज्य की कृषि और छोटे उद्योगों पर निर्भरता के कारण है, जहां युवा आसानी से रोजगार पा लेते हैं। शहरी युवाओं में यह दर 14.7 प्रतिशत है, जबकि ग्रामीण में 8.5 प्रतिशत, जो माइग्रेशन और स्किल गैप को दर्शाता है। 2024-25 के आंकड़ों के अनुसार, युवा बेरोजगारी की प्रमुख विशेषताएं निम्नलिखित हैं:
15-29 वर्ष आयु वर्ग (कुल): 3.2 प्रतिशत (राष्ट्रीय औसत 14.6 प्रतिशत), जिसमें पुरुषों में 2.8 प्रतिशत और महिलाओं में 3.8 प्रतिशत दर है।
15-24 वर्ष आयु वर्ग (युवा): 4.5 प्रतिशत (राष्ट्रीय औसत 16.1 प्रतिशत), जिसमें पुरुषों में 4.0 प्रतिशत और महिलाओं में 5.2 प्रतिशत दर है।
महिला युवा बेरोजगारी (11 प्रतिशत) पुरुषों (9.8 प्रतिशत) से थोड़ी अधिक है, लेकिन राज्य सरकार की योजनाओं जैसे मुख्यमंत्री युवा रोजगार योजना से सुधार हो रहा है। मार्च 2025 में एक बयान में राज्य सरकार ने कहा कि "बेरोजगार" शब्द के बजाय इन्हें "आकांक्षी युवा" कहा जाए, क्योंकि कई युवा उच्च वेतन वाली नौकरियों की प्रतीक्षा में हैं। पीएलएफएस रिपोर्ट 2023-24 के अनुसार।
.webp)