Politics BIG news: गुजरात की तरह मध्य प्रदेश में भी मंत्रियों का सामूहिक इस्तीफा लिया जा सकता है

गुजरात से बड़ी खबर आ रही है। भारतीय जनता पार्टी ने गुजरात में अपनी सरकार की छवि बचाने के लिए सभी 16 मंत्रियों से इस्तीफा ले लिया। इसका असर मध्य प्रदेश में भी दिखाई दे रहा है, क्योंकि मध्य प्रदेश में भी सरकार की छवि खराब हो रही है, जबकि अभी सरकार को सिर्फ 2 साल भी पूरे नहीं हुए हैं। ऐसी स्थिति में सरकार की छवि को बचाने के लिए यहां पर भी गुजरात जैसा कोई ऑपरेशन हो सकता है क्या? मुद्दे हम आपके सामने रख देते हैं, डिसीजन आप लीजिएगा और सोशल मीडिया पर सबको बताइएगा। 

मध्य प्रदेश सरकार के मंत्रियों के नाम जिनके कारण सरकार की छवि खराब हुई

मध्य प्रदेश में 12 से अधिक ऐसे मंत्री हैं जिनके कारण मध्य प्रदेश की सरकार और भारतीय जनता पार्टी की छवि खराब हुई। कुछ मामले तो ऐसे हैं, दिन में भाजपा की जमीन ही कार्यकर्ताओं ने अपनी सरकार की आलोचना की। हम यहां पर सरकार के मंत्रियों और उनसे जुड़े हुए संबंधित विवाद के बारे में बता रहे हैं जिसके कारण छवि धूमिल हुई। यदि आपके पास इसके अतिरिक्त कोई जानकारी है तो कृपया हमें बताइए, हम इसमें जोड़ देंगे। 

श्री राजेंद्र शुक्ल: डिप्टी सीएम 

खांसी की दवाई यानी कोल्ड्रिफ कफ सिरप मामले में स्वास्थ्य विभाग के मंत्री होने के नाते श्री राजेंद्र शुक्ल मुख्य रूप से जिम्मेदार हैं और इतनी बड़ी घटना के लिए उन्हें नैतिकता के नाते इस्तीफा दे देना चाहिए था। यह एक ऐसी घटना है, जिसका विपक्षी पार्टी कांग्रेस ठीक प्रकार से विरोध नहीं कर पाई लेकिन आम जनता में इस बात को लेकर प्रदेश के अंतिम छोर तक नाराजगी देखी गई है। भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्ता और वह लोग भी जो सरकार के भ्रष्टाचार को नजरअंदाज कर देते हैं, इस मामले में सरकारी सिस्टम से नाराज थे। इस मामले के कारण सिर्फ भारत में ही नहीं बल्कि पूरी दुनिया में मध्य प्रदेश का नाम खराब हुआ है। यह मामला इसलिए भी गंभीर है क्योंकि मध्य प्रदेश से दवाइयां का निर्यात अमेरिका सहित पूरी दुनिया में होता है। यदि मेडिकल के मामले में मध्य प्रदेश के ऊपर से लोगों का विश्वास उठ गया तो मध्य प्रदेश की मेडिसिन इंडस्ट्री बर्बाद हो जाएगी। 

कुंवर विजय शाह: जनजातीय कल्याण मंत्री 

मई 2025 में ऑपरेशन सिंदूर के बाद भारतीय सेना की प्रवक्ता कर्नल सोफिया कुरैशी के बारे में कैबिनेट मंत्री कुंवर विजय शाह है, जो टिप्पणी की वह न केवल आपत्तिजनक बल्कि घोर निंदा के योग्य है। बयान देते समय उनकी बॉडी लैंग्वेज, और शब्दों का उच्चारण, इंडियन आर्मी के अपमान का दंडनीय अपराध प्रतीत होता है। इस मामले में FIR तो दर्ज हुई लेकिन जिस प्रकार से सरकारी एजेंसियों ने कुंवर विजय शाह को बचाने का काम किया है। इसके कारण मध्य प्रदेश और भारत की काफी बदनामी हुई है। सोशल मीडिया पर आज भी लोग उस वीडियो को वायरल करके बताते हैं कि भारतीय जनता पार्टी हर बात को सांप्रदायिकता की चश्मे से देखती है। 

श्री विश्वास सारंग: सहकारिता मंत्री 

श्री विश्वास सारंग ने एक तरफ  'लव जिहादी की छाती पर गोली मारने' जैसा बयान दिया और दूसरी तरफ शारिक मछली के साथ उनके संबंध सोशल मीडिया पर वायरल हो गए। इसके कारण पार्टी की छवि को काफी नुकसान पहुंचा है। समाजवादी पार्टी ने तो यहां तक कहा कि, विश्वास सारंग ने मछली परिवार के खिलाफ पुलिस कार्रवाई को रोकने के लिए दबाव बनाया था। हाल ही में डीएसपी के साले की मौत के मामले में सारंग पर युवक के पिता से बात करने का आरोप लगा। जबकि यह उनके विधानसभा क्षेत्र का मामला नहीं था। इस प्रकार पार्टी के अंदर भी श्री विश्वास सारंग का काफी विरोध है। वह स्वयं को भोपाल का सबसे बड़ा भाजपा नेता स्थापित करने की कोशिश कर रहे हैं। 

नरेंद्र शिवाजी पटेल: लोक स्वास्थ्य एवं चिकित्सा शिक्षा राज्यमंत्री 

श्री नरेंद्र शिवाजी पटेल पहली बार मंत्री बने हैं लेकिन उनकी छवि एक तुनकमिजाज और गुस्सैल मंत्री की हो गई है। अप्रैल 2024 में, भोपाल में पुलिस थाने में हंगामा किया। चार पुलिस कर्मचारियों को सस्पेंड करवाया। मैं 2025 में ग्वालियर के एक रेस्टोरेंट में उनके लिए तत्काल टेबल खाली नहीं करने के बदले में भड़क उठे। आधी रात को फूड सेफ्टी टीम बुलाकर सैंपलिंग कराई। अप्रैल 2025 में नर्मदापुरम में डॉक्टर के अपहरण के मामले में भी स्थित विवादित रही। श्री नरेंद्र शिवाजी पटेल की छवि एक उद्दंड मंत्री की हो गई है, जिसके पास धैर्य और सहनशीलता नहीं है। 

जगदीश देवड़ा: डिप्टी सीएम 

ऑपरेशन सिंदूर के बाद मैं 2025 में जबलपुर के कार्यक्रम में, उन्होंने कहा, "पूरा देश, सेना और सैनिक PM मोदी के चरणों में नतमस्तक हैं"। इस बयान के कारण भी पार्टी की छवि खराब हुई। मध्य प्रदेश में रहने वाले सैनिकों के परिवार ने भी इस बयान को आपत्तिजनक बताया। 

संपतिया उइके: लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी राज्यमंत्री 

संपतिया उइके पर जुलाई 2025 में जल जीवन मिशन से जुड़ा 1000 करोड़ रुपये का कमीशन घोटाला का आरोप लगा। पूर्व विधायक किशोर समरीते ने शिकायत की कि उन्होंने तत्कालीन प्रमुख अभियंता बीके सोनगरिया के साथ मिलकर कमीशन वसूला। विभाग ने क्लीनचिट दी, लेकिन कांग्रेस ने CBI जांच की मांग की। कैबिनेट में अन्य मंत्रियों ने विरोध जताया, और मुख्यमंत्री ने जांच के आदेश दिए। उइके ने इसे फंसाने की साजिश बताया।

गोविंद सिंह राजपूत: खाद्य मंत्री 

श्री गोविंद सिंह राजपूत के साथ विवादों की एक लंबी लिस्ट है। श्री राजपूत को मध्य प्रदेश सरकार का सबसे विवादित मंत्री कहा जा सकता है। चुनावी हलफनामे में संपत्ति छुपाने का आरोप लगा है और जांच चल रही है। परिवहन विभाग में भ्रष्टाचार को लेकर भी श्री गोविंद सिंह राजपूत को टारगेट किया गया था। ससुराल से गिफ्ट में मिली 50 एकड़ जमीन का मामला विधानसभा में उठा और आयकर विभाग जांच कर रहा है। जैसीनगर का नाम बदलकर अपनी ही पार्टी के नेताओं के साथ पॉलिटिक्स कर रहे हैं। श्री गोविंद सिंह राजपूत की निष्ठा पार्टी के प्रति नहीं बल्कि श्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के प्रति है। पार्टी सिंधिया को राजपूत के बदले किसी दूसरे विधायक का नाम बताने के लिए बोल सकती है। 

गौतम टेटवाल: कौशल विकास एवं रोजगार राज्यमंत्री 

फर्जी जाति प्रमाण पत्र का मामला चल रहा है। नवंबर 2024 में उज्जैन के कार्यक्रम में मंच से कलमा पढ़ा और अजान की अपील की। सितंबर 2025 में कहा कि लव जिहाद करने वाले भी गरबा करें, जो विवादास्पद रहा। इस प्रकार के बयान भारतीय जनता पार्टी में अनुशासनहीनता नहीं बल्कि बगावत माने जाते हैं। 

राव उदय प्रताप सिंह: स्कूल शिक्षा मंत्री 

अतिथि शिक्षकों के बारे में आपत्तिजनक बयान दिया। बोले अतिथि हो, अतिथि की तरह रहो, घर पर कब्जा करोगे क्या?। मध्यप्रदेश में 2 लाख से ज्यादा परिवार ऐसे हैं जिनका काम से कम एक सदस्य या तो वर्तमान में अतिथि शिक्षक है या पूर्व में अतिथि शिक्षक रहा है। इसके कारण ऐसे सभी परिवारों में पार्टी का विरोध देखा गया। 

प्रद्युम्न सिंह तोमर: ऊर्जा मंत्री

डिपार्टमेंट से जुड़ी प्रॉब्लम सॉल्व नहीं कर पा रहे हैं। भाजपा की ज्यादातर विधायक और मंत्री श्री तोमर को पसंद नहीं करते। पार्टी के कार्यकर्ताओं से झूठ बोलते हैं और पार्टी के लिए काम नहीं करते। पिछले दिनों मुख्यमंत्री के साथ पॉलिटिक्स कर दी। मंत्रिमंडल की बैठक में अनुशासनहीनता की और मुख्यमंत्री के ठोकने के बाद भी बखेड़ा खड़ा किया। स्पष्ट कर दिया कि, उनको पार्टी के अनुशासन और सरकार की छवि से कोई लेना-देना नहीं है। वह अपने व्यक्तिगत लाभ और अपने नेता के लिए काम करते हैं। इसके लिए पार्टी का नुकसान कर सकते हैं। 
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