Madhya Pradesh जलवायु परिवर्तन कार्य योजना पर जबलपुर में क्षेत्रीय जन संवाद

मध्यप्रदेश जलवायु परिवर्तन कार्य योजना पर एक क्षेत्रीय जन संवाद विगत गुरुवार को युथ होस्टल जबलपुर में संपन्न हुआ।इस कार्यक्रम में विभिन्न समुदायों के साथ काम कर रही संस्था एवं संगठनों के लोग शामिल थे। जिसमें दलित, आदिवासी, वन अधिकार कानून, घुमंतू समुदाय, कोयला व पत्थर खनन, विस्थापन, ऊर्जा क्षेत्र, शहरी गरीबी, किसानों के अधिकार, नदियों के स्वास्थ्य, पारंपरिक खेती, महिला, बीज बैंक, युवा, स्वास्थ्य, असंगठित मजदूरों के अधिकार, स्मार्ट विलेज, पर्यावरण व जलवायु परिवर्तन जैसे मुद्दों से जुडें  सतना, रीवा, मण्डला सिवनी, बालाघाट, उमरिया, अनूपपुर ,डिडोरी दमोह, मैहर, जबलपुर और भोपाल से 30 लोगों संवाद मे भागीदारी की। नागरिक समाज संस्था और प्रमुख संगठन के तौर पर जन संघर्ष मोर्चा(मंडला- बालाघाट), बरगी बाध विस्थापित एवं प्रभावित संघ जबलपुर, अन्याय प्रतिकार संगठन, नागरिक अधिकार मंच, मंजल मैहर, रेवांचल दलित आदिवासी सेवा संस्थान, भारतीय किसान यूनियन अनुपपुर, बुन्देलखण्ड मजदूर किसान शक्ति संगठन दमोह, जल जंगल जमीन बचाओ संगठन, बसनिया बांध विरोधी संघर्ष समिती मंडला के साथ विषय विशेषज्ञों सहित कई साथियों ने भागीदारी की। इस जन संवाद का आयोजन उन्नती इंस्टीट्यूट फॉर सस्टेनेबल डेवलपमेंट भोपाल द्वारा किया गया था।

कार्यक्रम के उद्देश्य पर अपना आधार वक्तव्य देते हुए राज कुमार सिन्हा ने कहा कि कॉरपोरेट पूंजीवादी व्यवस्था ने वैश्विक स्तर पर हमारे सामने दो बेहद गंभीर समस्याएं खड़ी कर दी है। इनमें से पहला है पर्यावरण क्षरण की समस्या, जो जलवायु परिवर्तन के रूप में हमारे सामने है। ग्लोबल वार्मिंग का प्रभाव जलवायु परिवर्तन, प्रदूषित वायु, घटते और प्रदूषित जल संसाधन, मिट्टी का क्षरण और उत्पादकता में कमी, खाद्य गुणवत्ता में गिरावट, वनों की आग, बाढ़ और सूखा, समुद्री अम्लीकरण, समुद्री तूफानों की तीव्रता और प्रचंडता में वृद्धि, निरंतर वनों की कटाई, बढ़ता मरुस्थलीकरण, जैव विविधता का ह्रास आदि के रूप में हम देख रहे हैं। उप मुख्य अभियंता जबलपुर के पद से सेवानिवृत्त, राजेन्द्र अग्रवाल ने ऊर्जा और नवीनीकरण ऊर्जा क्षेत्र पर अपना विश्लेषण में कहा कि मध्यप्रदेश जलवायु परिर्वतन कार्य योजना  में बिजली क्षेत्र के तहत नया कुछ नही लिखा गया। जिस आकडों का आधार लिया गया वह बहुत पूराना है और यह बहुत ही कमजोर कार्ययोजना है। 

जिसमें हम एक तरफ जलवायु परिर्वतन से हो रहे असर का समाधान खोज रहे हैं और दुसरी ओर नये कोयला आधारित योजना का निमार्ण भी कर रहे हैं। जबकि की मध्यप्रदेश में स्थापित बिजली उत्पादन क्षमता मांग से बहुत अधिक है। वहीं ओंकारेश्वर में नवीनीकरण ऊर्जा के नाम पर जलाशय के पानी पर सोलर पेनल बिछा दिये हैं जिसने तीन सौ से भी अधिक मछुआरों का रोजी-रोटी को खत्म कर दिया हू। लेकिन ऐसे कई प्रभावित समुदायों के मुद्दों संबोधित करने की कोई स्पष्ट रणनीति इस कार्ययोजना में नहीं है। उन्नति संस्था भोपाल से राजेश कुमार ने योजना का संक्षिप्त विश्लेषण को रखते हुऐ कहा कि मध्य प्रदेश राज्य जलवायु परिवर्तन क्रियान्वयन योजना को बनाने की प्रक्रिया मे बहु-स्तरीय समुदाय व हितधारक संवाद को कम महत्व दिया गया है। 

इसका परिणाम यह है कि प्रभावित व हाशिये के समुदाय (दलित, आदिवासी और घुमंतु), नागरिक समाज संगठन, निर्माण श्रमिक संगठन, आनलाइन मंचों पर खाने व सामान पहुचानें वाले मजदूर संगठन, रेहरी पटरी पर सामान बेचनें वाले संगठन, मछुआरा समुदाय, किसान, स्वच्छता कार्यकर्ता संगठन, ऑटो यूनियन और युवाओं के मुद्दों को राज्य जलवायु परिवर्तन क्रियान्वयन योजना की रणनीति मे स्पष्टता सें संबोधित नहीं किया गया है। इसलिए, यह योजना राज्य में विविध दृष्टिकोण और प्रभावित स्थानीय समुदायों की आवाज का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित नहीं करती है। राजेश कुमार ने कहा कि इस योजना मे बजटीय आवंटन में स्पष्ट विसंगतियां देखने को मिलती हैं, जो उनकी व्यवहार्यता पर सवाल उठाती हैं। एक तरफ प्रस्तावित बजट का 88 प्रतिशत केवल वन व जैव विविधता में आबंटित किया गया है, शेष 12 प्रतिशत अन्य 12 क्षेत्रों मे प्रस्तावित किया है। 


विवेक पवार ने अपने वक्तव्य में कहा कि यह योजना वन अधिकार अधिनियम 2006 या पंचायतीराज (अनुसूचित क्षेत्र विस्तार) अधिनियम 1996 को रेखांकित नहीं करती है जो आदिवासी समुदायों के वन संसाधनों पर अधिकारों की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण है। क्योंकि आदिवासी समुदाय अपनी आजीविका के लिए काफी हद तक वनों पर निर्भर हैं, और बिना संरक्षण के उनके अधिकारों का उल्लंघन होने का जोखिम है। बङी विकास परियोजनाओं के लिए आदिवासी सहमति सुनिश्चित नहीं होने से असमानताएं बढ सकती है। इसी तरह अन्य संस्था और संगठनों से आये प्रतिनिधियों ने अपने  मुद्दे और सुझाव रखे।निर्णय लिया गया कि सुझावों का एक मांग पत्र तैयार कर राज्य सरकार की जलवायु परिर्वतन पर नोडल एजेंसी को सौपा जाय।
रिपोर्ट: राजेश कुमार / राज कुमार सिन्हा 
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