नई दिल्ली /जबलपुर :- मध्य प्रदेश राज्य मे ओबीसी को शासकीय सेवाओं मे जनसंख्या के अनुपात मे प्रतिनिधित्व दिए जाने की मांग को लेकर,सुप्रीम कोर्ट मे ओबीसी एडवोकेट्स वेलफेयर एसोसिएशन ने याचिका क्रमांक WP (C) 496/2025 दायर की है, उक्त याचिका की आज दिनांक 17/10/2025 को सुप्रीम कोर्ट मे जस्टिस विक्रम नाथ एवं जस्टिस संदीप मेहता की खंडपीठ मे सुनवाई की गई। याचिका मे आरक्षण अधिनियम 1994 की धारा 4(2) की संविधानिकता को चुनौती दीं गईं है। याचिका मे उक्त धारा को संविधान के अनुच्छेद 14, 15 एवं 16 से असंगत बताया गया है।
आरक्षण अधिनियम की धारा 42 की संवैधानिकता को चुनौती
याचिकाकर्ता की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर ने कोर्ट को बताया की आरक्षण अधिनियम की धारा 4(2) एस.सी.को 16% एस.टी.को 20% तथा ओबीसी को 27% आरक्षण का प्रावधान करती है। मध्य प्रदेश मे 2011 की जनगणना के अनुसार, एस.सी. वर्ग की जनसंख्या 15.6% एसटी वर्ग की जनसंख्या 21.01% तथा अन्य पिछड़े वर्ग की आबादी 50.01% है। एससी एवं एसटी वर्ग को जनसंख्या के अनुपात में आरक्षण दिया जा रहा है, जबकि अन्य पिछड़े वर्ग को मात्र 27% आरक्षण दिया जा रहा है, इसलिए उक्त धारा भारत के संविधान के अनुच्छेद 14,15 एवं 16 से असंगत है तथा उक्त धारा 4 की उप धारा 2 ओबीसी वर्ग के साथ भेदभाव उत्पन्न कर रही है।
मान्य सुप्रीम कोर्ट द्वारा याचिका को विचार के लिए स्वीकार कर लिया गया तथा मध्य प्रदेश शासन को नोटिस जारी कर 4 सप्ताह के अंदर जवाब तलब किया गया है। याचिकाकर्ता की ओर से पर भी वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर वरुण ठाकुर विनायक प्रसाद शाह हनुमत लोधी रामकरण प्रजापति ने की।