मुरैना, मध्य प्रदेश। स्कूल शिक्षा विभाग में एक प्राथमिक शिक्षक ने प्रधानाध्यापक को सस्पेंड करवा दिया। इससे पूर्व प्राथमिक शिक्षक को सस्पेंड किया गया था। प्राथमिक शिक्षक की पावर देखिए, मुरैना के जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रेस को जो सूचना भेजी है उसमें प्राथमिक शिक्षक का नाम तक नहीं लिखा है।
प्राथमिक शिक्षक को बहाली की सूचना नहीं देने के कारण प्रधानाध्यापक सस्पेंड
मुरैना की जनसंपर्क अधिकारी मोनिका माहौर द्वारा दी गई सूचना में लिखा है कि, शासकीय प्राथमिक विद्यालय माता का पुरा के प्राथमिक शिक्षक को निलंबन से बहाली की सूचना न देने के कारण, यह शासकीय कार्य में लापरवाही मानते हुए जिला शिक्षा अधिकारी श्री एसके सक्सेना ने प्रभारी प्रधानाध्यापक श्रीमती वंदना कुशवाह को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में श्रीमती कुशवाह मुख्यालय विकासखण्ड कैलारस रहेगा।
कर्मचारियों को बहाली की सूचना देना प्रधानाध्यापक का कर्तव्य है?
इस जानकारी के आधार पर एक सामान्य सा प्रश्न उपस्थित होता है। विद्यालय में प्रधानाध्यापक एक टीम लीडर की तरह काम करता है। शिक्षक को सस्पेंड करना अथवा उसे बहाल कर देना, प्रधानाध्यापक के अधिकार क्षेत्र में नहीं आता। यदि प्रधानाध्यापक, शिक्षक को निलंबित किए जाने की सूचना नहीं देता, तो मिलीभगत मानी जा सकती थी, लेकिन शिक्षक की बहाली तो तब हुई होगी जब उसने अपनी बहाली के लिए निवेदन किया होगा। इस प्रकार की सूचना देने का कर्तव्य जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय का है।
कांड क्या हुआ है, विस्तार से बताना चाहिए था। इस प्रकार प्रधानाध्यापक को सस्पेंड करके जिला शिक्षा अधिकारी खुद सामाजिक शक के दायरे में आ गए हैं। पहली नजर में तो यही समझ में आता है कि, प्राथमिक शिक्षक के दबाव में, अथवा किसी अन्य प्रकार के व्यवहार के कारण जिला शिक्षा अधिकारी ने प्रधानाध्यापक के खिलाफ बदले की कार्रवाई की है।