छिंदवाड़ा जिले में खांसी की दवाई से 25 बच्चों की मौत के मामले में दवाई लिखने वाले डॉक्टर प्रवीण सोनी के खिलाफ FIR दर्ज की गई तो पूरे मध्य प्रदेश के डॉक्टर, प्रवीण सोनी के समर्थन में खड़े हो गए, लेकिन एक सवाल का जवाब किसी डॉक्टर के पास नहीं है। सरकारी और प्राइवेट डॉक्टर, दवा कंपनियों से गिफ्ट और रिश्वत क्यों लेते हैं। मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल, इस प्रकार की शिकायतों पर कार्रवाई क्यों नहीं करती। सिर्फ एक मामले में मध्य प्रदेश के 14 जिलों के 20 डॉक्टर पिछले 10 साल से जांच के अधीन है। काउंसिल ने अब तक जांच पूरी नहीं की है इसलिए अब इतना ही कहा जा सकता है कि, जब तक जांच पूरी नहीं हो जाती कृपया जनता सावधान रहे।
मध्य प्रदेश में दवा कंपनियों से रिश्वत लेने के आरोपी डॉक्टरों की लिस्ट
- डॉ. ए.बी. पटेल, इंदौर
- डॉ. उमेश मसंद, इंदौर
- डॉ. कन्हैयालाल जैसवानी, इटारसी
- डॉ. दर्शनमल संगतानी, दमोह
- डॉ. प्रवीण वैश्य, कटनी
- डॉ. राजेश सिंघल, रीवा
- डॉ. सुशील कुमार श्रीवास्तव, सतना
- डॉ. राजेश जैन, सतना
- डॉ. सचिंद्र मोदी, नरसिंहपुर
- डॉ. गिरीश चरण दुबे, नरसिंहपुर
- डॉ. रवि महाजन, खरगोन
- डॉ. विष्णु कुमार पाटीदार, धार
- डॉ. विजय शंकर मिश्रा, मंदसौर
- डॉ. नरेश कुमार बंसल, जबलपुर
- डॉ. विजय चावला, जबलपुर
- डॉ. अजय भण्डारी, जबलपुर
- डॉ. राजेश्वर सिंह जादौन, ग्वालियर
- डॉ. एस.एन. गुप्ता, शुजालपुर
- डॉ. प्रकाश चंद्र पटेल, नीमच
- डॉ. रश्मि पटेल, नीमच
इन डॉक्टरों के खिलाफ क्या आरोप है
रायपुर के एक व्हिसल ब्लोअर और सामाजिक कार्यकर्ता विकास तिवारी ने 28 अगस्त, 2015 को मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल में एक लिखित शिकायत दर्ज कराई थी। शिकायत में उन्होंने सबूतों के साथ दावा किया था कि मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ के कुल 28 प्राइवेट डॉक्टर 13 जुलाई से 21 जुलाई, 2014 तक इटली के खूबसूरत शहरों वेनिस और पोर्टोरोज में घूमने गए थे। यह कोई सामान्य छुट्टी नहीं थी। यह एक 'स्पॉन्सर्ड टूर प्रोग्राम' था, जिसका पूरा खर्च मुंबई की एक बड़ी फार्मा कंपनी 'USV Limited' ने उठाया था। विकास तिवारी ने अपनी शिकायत में दावा किया कि यह यात्रा इन डॉक्टरों को इसलिए इनाम के तौर पर दी गई थी, क्योंकि वे मरीजों को इसी कंपनी की दवाएं लिखते थे, जिससे कंपनी को भारी मुनाफा हो रहा था। यह सीधे तौर पर मेडिकल एथिक्स का उल्लंघन था।
मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने 10 साल में क्या किया
मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल ने 10 साल में सभी डॉक्टरों को सिर्फ नोटिस जारी किए। पहला नोटिस, शिकायत के 9 महीने बाद 30 में 2016 को, दूसरा नोटिस, पहले नोटिस के 3 साल बाद 1 सितंबर 2019 को। तीसरा नोटिस, दूसरे नोटिस के 5 साल बाद 4 जून 2024 को। और चौथा नोटिस, जब शिकायतकर्ता ने हाई कोर्ट में जाने की धमकी दे दी तो 7 फरवरी 2025 को, ताकि हाई कोर्ट में जवाब दे सकें। हर नोटिस में मेडिकल काउंसिल, रिश्वतखोरी के आरोपी डॉक्टर से उनका पासपोर्ट, इनकम टैक्स रिटर्न, ऑडिट रिपोर्ट और बैंक ट्रांजैक्शन की डिटेल मांग रही है। जबकि पुलिस को भेज कर डॉक्टर का पासपोर्ट जप्त करवा सकती है। इनकम टैक्स डिपार्टमेंट और बैंक से डायरेक्ट जानकारी मांग सकती है।
डॉक्टर को रिश्वत देने वाली फार्मा कंपनी के खिलाफ क्या कार्रवाई होती है
विकास तिवारी के मुताबिक इस तरह के मामलों में सिर्फ डॉक्टर नहीं बल्कि फार्मा कंपनियों के खिलाफ भी Uniform Code for Pharmaceutical Marketing Practices (UCPMP), 2024 के तहत कार्रवाई की जा सकती है। इसके तहत अनैतिक मार्केटिंग करने वाली कंपनी का लाइसेंस निलंबित किया जा सकता है।ऐसी फार्मा कंपनियों का नाम सार्वजनिक कर उसे ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। विकास तिवारी के मुताबिक यह मामला स्वास्थ्य सेवा के उस स्याह पक्ष को उजागर करता है, जहां मरीजों की सेहत और जेब पर डॉक्टरों और दवा कंपनियों का गठजोड़ डाका डाल रहा है।
डॉक्टर प्रवीण सोनी की काली कमाई की जांच होनी चाहिए
बड़ी स्पष्ट और दो टूक बात है, यदि डॉक्टर रिश्वत नहीं लेंगे तो कमीशन के लालच में तमिलनाडु की घटिया कंपनी का कफ सिरप भी नहीं लिखेंगे। इसलिए परासिया में हुई बच्चों की मौत के लिए पढ़ा लिखा MBBS डॉक्टर प्रवीण सोनी भी जिम्मेदार है। इसके खिलाफ केवल FIR नहीं बल्कि लोकायुक्त द्वारा आय से अधिक संपत्ति, आयकर विभाग द्वारा काली कमाई और EOW द्वारा धन के अवैध लेनदेन की जांच भी की जानी चाहिए।
मध्य प्रदेश मेडिकल काउंसिल द्वारा जारी किया गया लेटेस्ट नोटिस
यदि आपने भी मेडिकल काउंसिल में कोई शिकायत की थी और अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है तो कृपया अपनी शिकायत की कॉपी सहित पूरी जानकारी हमको भेजिए। ताकि सबको पता चल सके कि, किस डॉक्टर के खिलाफ कितनी शिकायत पेंडिंग है।