LPG रसोई गैस से 37% सस्ता विकल्प, घर के किचन में एनर्जी ट्रांज़िशन की शुरुआत

नई दिल्ली, 27 अक्टूबर 2025
: भारत की हर घरेलू रसोई में एक शांत क्रांति की घंटी बज रही है। Institute for Energy Economics and Financial Analysis (IEEFA) की ताजा रिपोर्ट के अनुसार, बिजली से खाना पकाना यानी ई-कुकिंग न केवल पर्यावरण के अनुकूल और सुविधाजनक है, बल्कि एलपीजी और पीएनजी दोनों से काफी सस्ता भी साबित हो रहा है। यह बदलाव न सिर्फ हमारी थाली को सस्ता बनाएगा, बल्कि ऊर्जा सुरक्षा और क्लाइमेट गोल्स को भी मजबूत करेगा।

Electric Cooking in India: 37% Cheaper Than LPG

रिपोर्ट, जिसका शीर्षक है “Electric Cooking in India: 37% Cheaper Than LPG, 14% Cheaper Than PNG – Policy Action Can Scale Adoption”, IEEFA की एनर्जी स्पेशलिस्ट पर्वा जैन द्वारा तैयार की गई है। इसमें स्पष्ट रूप से कहा गया है कि भारत में ई-कुकिंग का खर्च एलपीजी से 37 प्रतिशत और पीएनजी से 14 प्रतिशत कम है। एक सामान्य चार सदस्यीय परिवार के लिए 2024-25 में पीएनजी से सालाना खाना पकाने का खर्च करीब 6,657 रुपये (लगभग 76 डॉलर) और बिना सब्सिडी वाले एलपीजी सिलिंडर का 6,424 रुपये (लगभग 73 डॉलर) आंका गया है। पर्वा जैन कहती हैं, “सब्सिडी हटाने पर ई-कुकिंग सबसे किफायती विकल्प बन जाती है। यह शहरी हो या ग्रामीण, हर क्षेत्र में एनर्जी सिक्योरिटी को नई दिशा दे सकती है।”

ऊर्जा महंगाई का असर: थाली पर बोझ बढ़ा

पिछले छह सालों में भारत का एलपीजी और एलएनजी आयात बिल 50 प्रतिशत बढ़ चुका है, जिसका सीधा असर घरेलू बजट पर पड़ा है। रिपोर्ट बताती है कि हालांकि एलपीजी कनेक्शन अब लगभग हर घर तक पहुंच चुके हैं, लेकिन उपयोग की फ्रीक्वेंसी घट गई है। कारण साफ हैं – लगातार बढ़ती कीमतें, आयात पर निर्भरता और कम आय वाले परिवारों की खरीद क्षमता में कमी। दिलचस्प बात यह है कि करीब 40 प्रतिशत भारतीय परिवार अभी भी लकड़ी, कोयला या गोबर जैसे सॉलिड फ्यूल्स पर आश्रित हैं। इससे न केवल इंडोर एयर पॉल्यूशन बढ़ता है, बल्कि महिलाओं की सेहत और उत्पादकता पर भी बुरा असर पड़ता है। पर्यावरण के लिहाज से भी यह चिंता का विषय है।

ई-कुकिंग: साफ, कुशल और फ्यूचर-रेडी

ई-कुकिंग का आकर्षण सिर्फ लागत में ही नहीं, बल्कि इसके व्यापक फायदों में छिपा है। यह घरेलू प्रदूषण को कम करती है, एनर्जी एफिशिएंसी बढ़ाती है और आयात वाली निर्भरता घटाती है। भारत के नेट जीरो 2070 लक्ष्य के लिए यह एक प्रैक्टिकल और स्केलेबल सॉल्यूशन है। IEEFA का मानना है कि नीति स्तर पर इसका प्रचार-प्रसार रसोई को डिकार्बनाइज करने में अहम भूमिका निभा सकता है। पर्वा जैन की टिप्पणी है, “यह महज कुकिंग का मामला नहीं, बल्कि पूरे एनर्जी ट्रांज़िशन की दिशा है। महिलाओं के स्वास्थ्य, एनर्जी सिक्योरिटी और क्लाइमेट गोल्स – तीनों के लिए यह फायदेमंद साबित होगा।”

चुनौतियां: 100% विद्युतीकरण के बावजूद धीमी प्रगति

देश में 100 प्रतिशत विद्युतीकरण का लक्ष्य हासिल हो चुका है, फिर भी ई-कुकिंग का प्रसार सीमित क्यों है? रिपोर्ट चार मुख्य बाधाओं की ओर इशारा करती है। पहली, इंडक्शन स्टोव, हॉट प्लेट या इलेक्ट्रिक कुकर जैसे उपकरणों की ऊंची इनिशियल कॉस्ट, जो कई परिवारों की पहुंच से बाहर है। दूसरी, सीमित ब्रांड्स और मॉडल्स की वजह से ऑप्शंस की कमी। तीसरी, बिजली सप्लाई की रिलायबिलिटी पर शक – खासकर उन इलाकों में जहां कटौती अभी भी आम है। और चौथी, जागरूकता का अभाव; ज्यादातर लोग यह नहीं जानते कि ई-कुकिंग वाकई कितनी इकोनॉमिकल है।

नीति सुझाव: सरकार के लिए रोडमैप

IEEFA ने सरकार और पॉलिसी मेकर्स के लिए पांच व्यावहारिक सिफारिशें सुझाई हैं, जो ई-कुकिंग को तेजी से अपनाने में मदद करेंगी। पहला, उपकरणों पर टैक्स रिलीफ और सब्सिडी देकर इनिशियल कॉस्ट घटाना। दूसरा, शहरी पायलट प्रोजेक्ट्स शुरू करना जहां बिजली रिलायबल है, ताकि एलपीजी डिपेंडेंसी कम हो। तीसरा, पब्लिक अवेयरनेस कैंपेन चलाकर आर्थिक और हेल्थ बेनिफिट्स के बारे में बताना। चौथा, लोकल मैन्युफैक्चरिंग को बूस्ट देकर डिवाइसेस को सस्ता और आसानी से उपलब्ध बनाना। और पांचवां, स्टेट लेवल पर कोऑर्डिनेशन – बिजली डिस्ट्रीब्यूशन कंपनियां, अर्बन डेवलपमेंट और वुमन वेलफेयर मिनिस्ट्री मिलकर प्लानिंग करें।

रिपोर्ट एक और दिलचस्प सुझाव देती है: एलपीजी सब्सिडी का एक हिस्सा ई-कुकिंग गैजेट्स पर शिफ्ट करना। इससे बजट का बेहतर इस्तेमाल होगा और ग्रामीण-शहरी दोनों स्तरों पर एनर्जी मिक्स बदल सकता है।

निष्कर्ष: बिजली वाली रसोई का युग

IEEFA की यह रिपोर्ट एक सकारात्मक संदेश देती है – भारत के पास क्लीन कुकिंग का सस्ता, सस्टेनेबल और रेडी-टू-अडॉप्ट ऑप्शन मौजूद है। अब जरूरत है नीतिगत कदमों की, जो रसोई से शुरू होकर पूरी एनर्जी पॉलिसी तक फैल सकें। यह बदलाव न सिर्फ हमारी दैनिक जिंदगी को आसान बनाएगा, बल्कि एक हरा-भरा भविष्य भी सुनिश्चित करेगा। रिपोर्ट: निशांत सक्सेना।
(स्रोत: Institute for Energy Economics and Financial Analysis – “Electric Cooking in India: 37% Cheaper Than LPG, 14% Cheaper Than PNG”, 27 अक्टूबर 2025) 
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