Legal advice: बालिका वधू के साथ सुहागरात, अधिकार या अपराध?, पढ़िए नियम-कानून और सजा का प्रावधान

दीपावली का त्योहार आनंदपूर्वक संपन्न हुआ। देवोत्थान एकादशी के साथ वैवाहिक कार्यक्रम प्रारंभ हो जाएंगे लेकिन इससे पहले समाज को एक बार फिर यह बता देना जरूरी है कि न केवल बाल विवाह अपराध है बल्कि बालिका वधू के साथ सुहागरात को कानून में बलात्कार माना जाता है। इस अपराध के लिए जीवन में कभी भी शिकायत और सजा हो सकती है। 

Section 63 of the BNS: Definition of rape

BNS की धारा 63 बलात्कार को परिभाषित करती है। यह धारा अध्याय V (महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध) के अंतर्गत आती है। धारा 63 बलात्कार के कृत्यों को सूचीबद्ध करती है, और यह बताती है कि कोई कृत्य कब बलात्कार की श्रेणी में आता है। इन के बारे में बाद में विस्तार से चर्चा करेंगे, आज बाल विवाह का प्रश्न है और अपने प्रश्न पर केंद्रित रहते हैं।

2. वैवाहिक अपवाद में परिवर्तन

BNS की धारा 63 में एक अपवाद (Exception 2) है जो वैवाहिक यौन संबंध से संबंधित है, और इस अपवाद में ही प्रमुख बदलाव किया गया है:
• अपवाद 2 कहता है: "किसी पुरुष द्वारा अपनी ही पत्नी के साथ, उसकी सहमति के बिना, शारीरिक संबंध, यदि पत्नी अठारह वर्ष (18 years) से कम उम्र की नहीं है, तो वह बलात्कार नहीं है" (Sexual intercourse or sexual acts by a man with his own wife, the wife not being under eighteen years of age, is not rape).

इसका निहितार्थ यह है कि:
1. यदि पत्नी की आयु 18 वर्ष या उससे अधिक है, तो पति द्वारा उसकी सहमति के बिना, फिजिकल रिलेशन बनाना इस अपवाद के अंतर्गत आएगा, और वह बलात्कार नहीं होगा।
2. लेकिन, यदि पत्नी की आयु 18 वर्ष से कम है, तो यह अपवाद लागू नहीं होगा, और इसलिए यह कृत्य बलात्कार माना जाएगा, भले ही वह पुरुष उसका पति हो।

3. कानूनी संदर्भ और बाल अधिकारों को प्राथमिकता

• BNS में, 'बालक' (child) की परिभाषा 18 वर्ष से कम आयु के किसी भी व्यक्ति को शामिल करती है।
• पुराने कानून, भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 375 में, यह आयु सीमा पहले 15 वर्ष थी।
• BNS की धारा 63 के अपवाद 2 में इस आयु सीमा को 15 वर्ष से बढ़ाकर 18 वर्ष कर दिया गया है।
• यह संशोधन सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय (Independent Thought v. Union of India) और बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम, 2006 (The Prohibition of Child Marriage Act, 2006) के अनुरूप लाया गया है।
• इस संशोधन के द्वारा, 18 वर्ष से कम उम्र की लड़कियों को उनके पतियों से संरक्षण प्रदान किया गया है। 

सावधान, कहीं सुहागरात कारावास का कारण न बन जाए

यदि किसी प्रकार से बाल विवाह को कानूनी कार्रवाई से बचाते हुए संपन्न कर लिया गया है तो इसका अर्थ यह नहीं होता कि इस प्रकार के विवाह को वैधानिक मान्यता मिल जाएगी। विवाह को समाज या परिवार की सहमति होना, इस अपराध से मुक्ति नहीं दिलाता। इस प्रकार के अपराध के लिए 10 वर्ष कठोर कारावास का प्रावधान है और महिला को जब इस कानून के बारे में जानकारी होगी, वह अपने जीवन में तब मामला दर्ज करवा सकती है। यानी की महिला विवाह के कई सालों बाद भी अपने पति के खिलाफ बलात्कार का मामला दर्ज करवा सकती है।✍️लेखक: उपदेश अवस्थी, पत्रकार एवं विधि सलाहकार। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article.
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