नई दिल्ली, 3 अक्टूबर 2025: कर्मचारी राज्य बीमा निगम (ईएसआईसी) ने नियोक्ताओं और कर्मचारियों के लिए राहत भरी खबर दी है। नई एमनेस्टी स्कीम 2025 लॉन्च हो गई है, जो कोर्ट में लंबे समय से चल रहे केसों को सुलझाने का आसान रास्ता देगी। ये स्कीम कोर्ट के बोझ को कम करेगी, कंप्लायंस को बढ़ावा देगी और बिजनेस को आसान बनाएगी। केंद्रीय श्रम मंत्री डॉ. मनसुख मांडविया की चेयरमैनशिप में शिमला की 196वीं ईएसआईसी मीटिंग में इसे हरी झंडी मिली।
कंपनी और कर्मचारियों के बीच एकमुश्त सेटलमेंट प्लान
ये एकमुश्त सेटलमेंट प्लान है, जो 1 अक्टूबर 2025 से 30 सितंबर 2026 तक चलेगा। सरल शब्दों में कहें तो, ये नियोक्ताओं को कोर्ट के बाहर ट्रांसपेरेंट तरीके से डिस्प्यूट सॉल्व करने का चांस देगा। चाहे फैक्ट्री बंद हो या चल रही हो, ज्यादातर केस कवर होंगे। लेकिन, जो नियोक्ता खुद ईएसआईसी पोर्टल पर रजिस्टर कर चुके हैं, उनके केस इससे बाहर रहेंगे।
कवरेज डिस्प्यूट्स पर क्या होगा?
- अगर यूनिट 5 साल से ज्यादा पुरानी बंद है और केस भी 5 साल से लंबित है, तो बिना किसी वैल्यूएशन के केस वापस ले लिया जाएगा।
- 5 साल के अंदर बंद यूनिट्स को रिकॉर्ड दिखाने होंगे, बकाया अमाउंट प्लस इंटरेस्ट चुकाना होगा। कोई पेनल्टी नहीं लगेगी।
- रनिंग यूनिट्स रिकॉर्ड देकर सेटल कर सकती हैं, बिना किसी फाइन के।
कंट्रीब्यूशन डिस्प्यूट्स का सरल समाधान
ईएसआई एक्ट की धारा 45ए, 45एए, 75, 82 या हाईकोर्ट की 226 के तहत चैलेंज्ड केस कवर होंगे (अगर कोई बड़ा लीगल इश्यू न हो)। नियोक्ता को कोर्ट से परमिशन लेनी होगी, फॉर्म भरना होगा और रिकॉर्ड के हिसाब से कंट्रीब्यूशन (एम्प्लॉयर और एम्प्लॉयी का शेयर) प्लस इंटरेस्ट पे करना होगा। रिकॉर्ड न मिलें तो ईपीएफओ या इनकम टैक्स के डॉक्यूमेंट्स यूज कर सकते हैं। अगर कुछ भी न हो, तो कम से कम 30% पे करना पड़ेगा। पेनल्टी जीरो, लेकिन फ्यूचर में कंप्लायंस का वादा करना होगा।
कंपेंसेशन डिस्प्यूट्स में राहत
अगर कंट्रीब्यूशन और इंटरेस्ट पहले ही पे हो चुका है, तो डिसाइडेड कंपेंसेशन का सिर्फ 10% पे करने पर केस वापस। अगर ईएसआईसी ने हाईकोर्ट में अपील की है, तो लोअर कोर्ट का डिसीजन मान लिया जाएगा।
क्रिमिनल केसेज का क्या?
- धारा 84 के तहत गलत डिक्लेरेशन वाले बीमित पर्सन्स के केस वापस, अगर एक्स्ट्रा अमाउंट रिफंड हो और बिना इंटरेस्ट के अंडरटेकिंग दें। 5 साल से पुराने केस, जहां पर्सन ट्रेस न हो, भी वापस हो सकते हैं। लेकिन कॉन्सपिरेसी या फ्रॉड वाले केस बाहर।
- धारा 85 और 85ए के तहत नियोक्ताओं के प्रॉसिक्यूशन केस रिकॉर्ड या ईपीएफओ/आईटी फाइलिंग पर सेटल हो सकते हैं। रिकॉर्ड न हो तो डिक्लेयर्ड वेज, एसएसओ सर्वे या मिनिमम वेज से कैलकुलेट करेंगे। कोई पेनल्टी नहीं।
- 15 साल पुराने केस (धारा 85ए और 85जी) जहां बकाया 25,000 रुपये तक है, कवर। बंद यूनिट्स के लिए डायरेक्ट वापसी, रनिंग के लिए 30% प्लस इंटरेस्ट पे और कंप्लायंस अपडेट।
- धारा 85ई (रिटर्न न फाइल करने) के केस वापस, क्योंकि डिजिटलाइजेशन से ये पुरानी जरूरत है। कंप्लायंस हो तो।
- 3 साल से ज्यादा लेट डिक्लेरेशन केस भी सेटल, अगर कंप्लायंस पूरा हो और एक्सीडेंट केस क्लोज।
इंप्लिमेंटेशन कैसे होगा?
ईएसआईसी के रीजनल और सब-रीजनल ऑफिस के अपर कमिश्नर को फुल पावर मिलेगी। पैनल लॉयर्स, लीगल और फाइनेंशियल ऑफिसर्स की फील्ड-लेवल कमिटी केस रिव्यू करेगी। हर केस अप्लाई करने के 6 महीने में सॉल्व होना चाहिए। पुरानी एमनेस्टी स्कीम यूज करने वालों को भी ये चांस मिलेगा।
ईएसआईसी का फोकस है कंप्लायंस को सिंपल बनाना और कोर्ट का लोड कम करना। ये गवर्नमेंट के 'ईज ऑफ डूइंग बिजनेस' विजन से मैच करता है। नियोक्ताओं को ऑपरेशनल चैलेंजेज कम होंगे, कोर्ट पर प्रेशर घटेगा और ईएसआईसी एक स्ट्रॉन्ग सोशल सिक्योरिटी बॉडी बनेगी। हितधारकों के बीच ट्रस्ट बढ़ेगा। नियोक्ता जल्दी अप्लाई करें, ये मौका मिस न करें!