मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में बिजली कंपनी के स्मार्ट मीटर के खिलाफ बड़े प्रदर्शन की तैयारी चल रही है। मध्यप्रदेश बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन की ओर से प्रेस कांफ्रेंस करके इसकी जानकारी दी गई है। बिजली उपभोक्ताओं की 11 मांगों के लिए प्रदर्शन किया जाएगा।
स्मार्ट मीटरों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है: रचना अग्रवाल
एसोसिएशन की प्रदेश संयोजक रचना अग्रवाल और सदस्य लोकेश शर्मा ने शुक्रवार को प्रेसवार्ता में जानकारी दी कि, प्रदेश में प्री-पेड स्मार्ट मीटरों को लेकर बढ़ते असंतोष के बीच अब 6 अक्टूबर को भोपाल में एक बड़ा प्रदर्शन होने जा रहा है। यह विरोध मध्यप्रदेश बिजली उपभोक्ता एसोसिएशन (MECA) के नेतृत्व में होगा, जिसमें राज्यभर से हजारों उपभोक्ता राजधानी पहुंचेंगे। विरोध प्रदर्शन डॉ. भीमराव अंबेडकर पार्क में आयोजित किया जाएगा। उन्होंने कहा कि यह कोई राजनीतिक विरोध नहीं है, न ही किसी संगठन विशेष से प्रेरित है। यह आम उपभोक्ताओं की रोजमर्रा की आय और जीवन से जुड़ा मसला है। स्मार्ट मीटरों ने आम आदमी की कमर तोड़ दी है। इस दौरान भटनागर, सतीश ओझा, आरती शर्मा सहित अन्य पदाधिकारी भी मौजूद रहे।
प्रदेशभर में स्मार्ट मीटर से बढ़े हुए बिलों से हाहाकार
भोपाल में उपभोक्ताओं ने बताया कि वे हर महीने बिल भर रहे हैं, फिर भी किसी का बिल 10,000 तो किसी का 29,000 रुपये तक आ रहा है। ग्वालियर में एक कमरे के मकान का बिल 5,000 रुपए तक आया है। गुना में एक किसान को 2 लाख रुपए का बिजली बिल थमा दिया गया। सीहोर, इंदौर, सतना, देवास, दमोह, जबलपुर जैसे जिलों में भी हालात अलग नहीं हैं। बिजली बिल भरने के लिए कई परिवारों को गहने और बर्तन तक बेचने पड़े हैं।
स्मार्ट मीटर को लेकर उपभोक्ताओं की मुख्य आपत्तियां
1. स्मार्ट मीटर प्री-पेड प्रणाली पर काम करते हैं, जो उपभोक्ता की सहमति के बिना लागू किए गए हैं।
2. मीटर से जुड़े सभी कमांड और मॉनिटरिंग सेंट्रल सिस्टम के जरिए होती है, जिससे यूनिट में छेड़छाड़ की आशंका रहती है।
3. टाइम ऑफ डे (TOD) के अनुसार अलग-अलग समय पर अलग दर से बिलिंग होती है, जिससे बिल बढ़ जाता है।
4. मीटर में खराबी आने पर नया मीटर उपभोक्ता को खुद खरीदना पड़ता है, जिससे अतिरिक्त आर्थिक बोझ पड़ता है।
5. बिल न भरने पर तुरंत बिजली काट दी जाती है और जुड़वाने के लिए 350 रुपए वसूले जाते हैं, जबकि उपभोक्ता की सिक्योरिटी राशि पहले से विभाग के पास होती है।
6. बिल की हार्ड कॉपी नहीं दी जा रही है, जिससे अशिक्षित उपभोक्ताओं को परेशानी हो रही है।
7. सभी उपभोक्ताओं के पास स्मार्टफोन या इंटरनेट एक्सेस नहीं है।
8. बिजली कंपनी के साथ अनुबंध पोस्टपेड मीटर का है, फिर प्री-पेड मीटर क्यों?
सरकार से उपभोक्ताओं की 11 प्रमुख मांगें
1. बिजली क्षेत्र में निजीकरण की नीति तत्काल प्रभाव से रद्द की जाए।
2. बिजली संशोधन विधेयक 2022 को पूरी तरह से रद्द किया जाए।
3. स्मार्ट मीटर लगाने की नीति को वापस लिया जाए।
4. उपभोक्ताओं को बिल की हार्ड कॉपी दी जाए और पोस्टपेड सिस्टम ही लागू रहे।
5. जहां स्मार्ट मीटर लगे हैं, उन्हें हटाकर पुराने डिजिटल मीटर पुनः लगाए जाएं।
6. स्मार्ट मीटर के विरोध में दर्ज FIR व केसों को रद्द किया जाए।
7. जिन उपभोक्ताओं के अनुचित बिल आए हैं, उन्हें रद्द किया जाए।
8. भविष्य में सभी उपभोक्ताओं को उचित व पारदर्शी बिल दिए जाएं।
9. बिजली दरों में कटौती की जाए, ताकि गरीब उपभोक्ता भी समय पर बिल भर सकें।
10. जो उपभोक्ता तत्काल बिल न भर पाएं, उन्हें 3 माह की राहत अवधि दी जाए और कनेक्शन न काटा जाए।
11. सभी उपभोक्ताओं को 200 यूनिट बिजली निःशुल्क दी जाए।
क्या होगा 6 अक्टूबर को?
6 अक्टूबर को डॉ. अंबेडकर पार्क, भोपाल में राज्यभर के उपभोक्ता इकट्ठा होंगे और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के जरिए सरकार तक अपनी मांगें पहुंचाएंगे। यह विरोध लंबी लड़ाई की शुरुआत माना जा रहा है, जिसमें आम उपभोक्ता अपनी आवाज उठाने के लिए मैदान में उतर रहा है।