भोपाल। मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में दीपावली का पहला एक्सीडेंट रिपोर्ट हुआ है। मीडिया लगातार इस प्रकार के मामलों में सावधान रहने की अपील जारी करता है और तरीका बताता रहता है, लेकिन लोकल न्यूज़ से दूर हो जाने के कारण लोग सतर्क नहीं हो पाए। भोपाल में पटाखा गन से 11 साल के बच्चे की आंख की पलक जल गई। पुतली पर सफेदी (ल्यूकोकोरिया) छा गई हैं। इस साल दिवाली का यह पहला केस गांधी मेडिकल कॉलेज (GMC) के नेत्र विभाग में पहुंचा है।
पटाखा गन लोड करने के बाद हादसा
यह घटना गुरुवार रात की है। बच्चा पटाखा गन लोड करने के बाद चेक कर रहा था। उसी दौरान गन चल गई, जिससे पटाखा उसकी आंख में लग गया। जीएमसी के नेत्र विभाग के मुताबिक, बच्चे को प्राथमिक उपचार दे दिया गया है। और सभी जांचें पूरी कर ली गई हैं। अगली प्रक्रिया सर्जरी की होगी जिसे नेत्र रोग विशेषज्ञ डॉ. एसएस बच्चे की रिपोर्ट आने के बाद करेंगे।
क्या करें, क्या नहीं AIIMS की एडवाइजरी जारी
भोपाल एम्स ने दिवाली को लेकर एडवाइजरी जारी की है। जिसमें बताया है कि इस दीपावली पर पटाखे फोड़ते वक्त क्या करना चाहिए और किससे बचना है।
- पटाखा खुले स्थान पर ही जलाएं।
- कॉटन के कपड़े और जूते पहनें।
- लाइसेंसधारी विक्रेता से ही पटाखों की खरीदी करें।
- विक्रेता से पटाखे का बिल मांगे चाहे वह हाथ से ही लिखा क्यों ना हो।
- कोशिश करें कि विक्रेता को ऑनलाइन पेमेंट किया जाए। ताकि एक्सीडेंट के बाद क्लेम किया जा सके।
- शोर अधिक होने पर ईयर प्लग लगाएं।
- पटाखें बंद डिब्बे में ही रखें।
- जलने जैसी स्थिति में पानी डाले और तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।
- अभिभावक बच्चों को पटाखों जलाते समय साथ में रहे, सुरक्षित दूरी का ध्यान रखें।
दीपावली पर आंखों के सबसे ज्यादा मरीज
हर साल दिवाली पर सबसे ज्यादा मरीज आंखों की चोटों के साथ अस्पताल पहुंचते हैं। बीते साल एम्स में 14 साल के बच्चे और 29 वर्षीय युवक की आंखों की रोशनी चली गई थी। वहीं, हमीदिया में दो मरीज 50 प्रतिशत से ज्यादा झुलसे थे। उनका इलाज बर्न एंड प्लास्टिक विभाग में हुआ था, वह करीब 20 दिन बाद अस्पताल से छूटे थे।
पटाखों से होने वाले हादसों पर गांधी मेडिकल कॉलेज के नेत्र रोग विभाग की विशेषज्ञ डॉ. अदिति दुबे ने बताया कि दिवाली पर बर्न से संबंधित कई इंजरी आती हैं। यह मुख्य रूप से केमिकल और थर्मल दो प्रकार की होती हैं। केमिकल इंजरी में आंखों में चूना या सफाई और रंगरोगन में उपयोग की जाने वाली सामग्री चली जाती है। वहीं, थर्मल इंजरी के अधिकतर केस पटाखों से जलने के कारण होते हैं।
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