याचिकाकर्ता कर्मचारी का तर्क
डॉ. श्रीकृष्ण शर्मा, जो झाबुआ में मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में चिकित्सा अधिकारी थे। उन्होंने 9 दिसंबर 2002 को स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति ली थी। एमपी सिविल सर्विसेज (पेंशन) नियम, 1976 नियम 42-ए के तहत उन्हें 5 वर्ष 4 माह 30 दिन की अतिरिक्त सेवा का लाभ पेंशन और ग्रेच्युटी निर्धारण के लिए दिया गया था। डॉ. शर्मा का तर्क था कि इस अतिरिक्त सेवा को जोड़ने के बाद उनकी सेवा दिसंबर 2007 तक मानी जानी चाहिए और चूंकि सरकार की सेकंड एवं थर्ड टाइम पे-स्केल नीति 1 जनवरी 2006 से प्रभावी हुई थी, इसलिए वे इसके पात्र हैं।
कोर्ट ने दलील को अस्वीकार किया
न्यायमूर्ति आशीष श्रोती की एकल पीठ ने स्पष्ट किया कि एमपी सिविल सर्विसेज (पेंशन) नियम, 1976 के तहत दी गई अतिरिक्त सेवा का लाभ केवल पेंशन और ग्रेच्युटी की गणना के लिए होता है, न कि सेवानिवृत्ति की तारीख बढ़ाने या अन्य वित्तीय लाभों के लिए। नियम 42-ए केवल पेंशन संबंधी लाभों तक सीमित है। इस लाभ से सेवानिवृत्ति की वास्तविक तारीख में कोई परिवर्तन नहीं होता और न ही यह वेतनवृद्धि, पदोन्नति या अन्य सेवा लाभों का अधिकार देता है।
पीठ ने टिप्पणी की कि यदि ऐसी दलील स्वीकार की जाए, तो सेवानिवृत्त अधिकारी भी सेवारत कर्मचारियों के समान लाभों की मांग कर सकते हैं, जो नियमों की भावना के विपरीत है। इस आधार पर कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।
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