HAMARE SHIKSHAK APP के खिलाफ सारे शिक्षक हैं या सिर्फ 27, हाईकोर्ट ने दोनों पार्टियों से हलफनामा मांगा

जबलपुर
। मध्य प्रदेश के शिक्षकों की ई-अटेंडेंस को लेकर उठी चुनौतियां आजकल चर्चा का विषय बनी हुई हैं। गुरुवार को जबलपुर हाईकोर्ट में 'हमारे शिक्षक' ऐप पर महत्वपूर्ण सुनवाई हुई, जहां याचिकाकर्ताओं ने डिजिटल हाजिरी की कई व्यावहारिक कठिनाइयों को रेखांकित किया। वहीं दूसरी और सरकार ने दावा किया कि 70% से अधिक शिक्षकों को कोई परेशानी नहीं है। हाई कोर्ट ने दोनों पार्टियों से हलफनामा मांग लिया है। अगली सुनवाई 30 अक्टूबर को निर्धारित की गई है।

स्कूल शिक्षा में ई-अटेंडेंस प्रक्रिया से सिर्फ 27 शिक्षकों को परेशानी है

यह मामला 27 शिक्षकों की याचिका से जुड़ा है, जिनमें जबलपुर के मुकेश सिंह बरकड़े सहित विभिन्न जिलों के प्रतिनिधि शामिल हैं। उन्होंने स्कूल शिक्षा विभाग की ई-अटेंडेंस प्रक्रिया को चुनौती देते हुए ऐप से जुड़ी समस्याओं का जिक्र किया। याचिकाकर्ताओं की ओर से अधिवक्ता अंशुमान सिंह ने कोर्ट को अवगत कराया कि कई शिक्षकों के पास उन्नत स्मार्टफोन उपलब्ध नहीं हैं। इसके अलावा, मासिक डेटा पैक की खरीद, दैनिक बैटरी चार्जिंग की मजबूरी, स्कूल परिसर में नेटवर्क कनेक्टिविटी की कमी, तथा ऐप के सर्वर और फेस मैचिंग में आने वाली तकनीकी बाधाएं शिक्षकों के लिए बड़ा रोड़ा साबित हो रही हैं।

याचिकाकर्ताओं ने सुझाव दिया है कि ऐसी स्थिति में बायोमेट्रिक मशीनों का उपयोग या फिर पारंपरिक उपस्थिति रजिस्टर की बहाली अधिक व्यावहारिक होगी। उन्होंने यह भी बताया कि जो शिक्षक ऐप से सफलतापूर्वक अटेंडेंस दर्ज नहीं कर पा रहे, उन्हें विभागीय उच्चाधिकारियों की ओर से वेतन रोकने की धमकियां मिल रही हैं, जो दबावपूर्ण लग रही हैं।

जस्टिस एमएस भट्टी की एकल पीठ ने सभी याचिकाकर्ताओं को व्यक्तिगत हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया है। इसमें यह स्पष्ट करना होगा कि उन्होंने ऐप के माध्यम से उपस्थिति दर्ज करने का प्रयास तो किया था या नहीं, और यदि हां, तो नेटवर्क अनुपलब्धता जैसी वजहों से विफलता क्यों हुई। साथ ही, सरकार को भी इन हलफनामों पर अपना पक्ष रखने के लिए कहा गया है।

सरकार ने कहा 73% हमारे शिक्षक 

शासन की ओर से कोर्ट को सूचित किया गया कि प्रदेश भर में 73 प्रतिशत शिक्षक सफलतापूर्वक ऐप का उपयोग कर रहे हैं। इस दावे को सत्यापित करने हेतु कोर्ट ने संबंधित दस्तावेजों सहित पूर्ण रिकॉर्ड प्रस्तुत करने के आदेश दिए हैं। विशेष रूप से, याचिकाकर्ताओं के पदस्थापित स्कूलों में अन्य कर्मचारियों द्वारा ई-अटेंडेंस के आंकड़े भी उपलब्ध कराने को कहा गया है, ताकि स्थिति की व्यापक तस्वीर उभरे।
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