NAVRATRI: विवाह में बाधा से मुक्ति के लिए भगवती के इस रूप की आराधना करें

Bhopal Samachar
कुछ लोगों के साथ ऐसा होता है। किसी प्रकार की कोई समस्या नहीं होती लेकिन फिर भी समय पर विवाह संस्कार संपन्न नहीं होता है। उम्र के साथ चिंता बढ़ने लगती है। समाज अब कठोर नहीं है लेकिन फिर भी लोगों से बातचीत के बीच विषय तो आ ही जाता है। इसलिए हम आपको बताते हैं की नवरात्रि में मां भगवती के किस रूप की आराधना करने से विवाह में बाधा से मुक्ति मिल सकती है। 

बृहद्पाराशर होरा शास्त्र के अनुसार विवाह में बाधा कब उत्पन्न होती है 

उत्तर भारत में सबसे अधिक विश्वसनीय पाराशर ज्योतिष के अनुसार विवाह में बाधा उत्पन्न होने के 7 प्रमुख कारण होते हैं। इनका निवारण भी होता है परंतु यह लाभ केवल उन व्यक्तियों को मिल पाता है जिनके पास अपनी जन्म कुंडली होती है अथवा जन्म दिनांक, स्थान एवं समय उपलब्ध होता है। पराशर ज्योतिष के अनुसार निम्न कर्म से विवाह में देरी हो जाती है:- 

1. सप्तम भाव 7th house से जुड़ी बाधाएँ

सप्तम भाव जीवनसाथी और विवाह का भाव है।
यदि सप्तम भाव में पाप ग्रह (शनि, मंगल, राहु, केतु, सूर्य) बैठे हों या उस पर दृष्टि डाल रहे हों, तो विवाह में विलंब या बाधा आती है।
सप्तम भाव का स्वामी अष्टम (मृत्यु), द्वादश (हानि), षष्ठ (ऋण-शत्रु-रोग) में स्थित हो तो विवाह में कठिनाई आती है।
ऐसी स्थिति में विशेष प्रकार के राशि रत्न के माध्यम से लाभ प्राप्त किया जा सकता है।

2. मंगल दोष (कुज दोष)

यदि मंगल 1, 4, 7, 8 या 12 भाव में हो तो इसे मंगलीक दोष कहा गया है।
यह दोष विवाह में देरी, तनाव या असफलता का कारण बन सकता है।

3. शनि का प्रभाव

शनि की सप्तम भाव पर दृष्टि या सप्तम भाव में स्थित होना विवाह में लंबा विलंब कर देता है।
शनि और राहु का संयोग दाम्पत्य जीवन में बाधक माना गया है।

4. राहु–केतु दोष

राहु या केतु का सप्तम भाव में होना या सप्तमेश के साथ होना विवाह को टालता या जटिल बनाता है।

5. अष्टम भाव की स्थिति

अष्टम भाव (मृत्यु व आयु भाव) का संबंध यदि सप्तम भाव/सप्तमेश से हो तो विवाह में रुकावट, वैवाहिक कलह या जीवनसाथी के स्वास्थ्य संबंधी कष्ट हो सकते हैं।

6. नवांश कुंडली (D-9 chart)

पाराशर ने विवाह व दाम्पत्य सुख के लिए नवांश को निर्णायक माना है।
यदि नवांश में सप्तम भाव पीड़ित हो या नवांशेश पापग्रही हो, तो विवाह में बाधाएँ होती हैं।

7. महादशा–अंतरदशा का प्रभाव

यदि विवाह योग्य काल (लग्नेश, सप्तमेश, शुक्र, गुरु की दशा/अंतरदशा) में पापग्रहों की दशा चले तो विवाह में रुकावट होती है।
शनि–राहु–केतु या मंगल की प्रतिकूल दशा भी विवाह को टाल देती है। 

शीघ्र विवाह की मनोकामना पूर्ति हेतु नवरात्रि में विशेष पूजा की विधि

कात्यायनी मंत्र उन लोगों के लिए एक प्रभावी मंत्र है जिनके विवाह में विभिन्न कारणों से अवरोध उत्पन्न हो रहा है। नवदुर्गा के छठे स्वरूप में मां कात्यायनी की पूजा की जाती है। मां कात्यायनी का जन्म कात्यायन ऋषि के घर हुआ था, अतः इनको कात्यायनी कहा जाता है। इनकी चार भुजाओं मैं अस्त्र शस्त्र और कमल का पुष्प है, इनका वाहन सिंह है। ये ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं। गोपियों ने कृष्ण की प्राप्ति के लिए इनकी पूजा की थी। विवाह सम्बन्धी समस्या का समाधान भगवती के जाप पूजन करने से योग्य और मनचाहा पति इनकी कृपा से प्राप्त होता है। 
- ज्योतिष में बृहस्पति का सम्बन्ध इनसे माना जाता है। 
- इनकी पूजा से किस तरह की मनोकामना पूरी होती है?
- कन्याओं के शीघ्र विवाह के लिए इनकी पूजा अद्भुत मानी जाती है।
- मनचाहे विवाह और प्रेम विवाह के लिए भी इनकी उपासना की जाती है।
- वैवाहिक जीवन के लिए भी इनकी पूजा फलदायी होती है।
- अगर कुंडली में विवाह के योग क्षीण हों तो भी विवाह हो जाता है।
- महिलाओं के विवाह से सम्बन्ध होने के कारण इनका भी सम्बन्ध बृहस्पति से है।
- दाम्पत्य जीवन से सम्बन्ध होने के कारण इनका आंशिक सम्बन्ध शुक्र से भी है। 

विवाह में देरी बाधा दूर करने के लिए कात्यायनी मंत्र 

कात्यायनि महामाये महायोगिन्यधीश्वरि ।
नन्द गोपसुतं देविपतिं मे कुरु ते नमः ॥
ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा, ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ॥ 

Katyayani Mahamaye
Maha Yoginy Adhishvari
Nanda Gopa Sutam Devi
Patim Me Kuru Te Namah 
ॐ ह्रीं कात्यायन्यै स्वाहा, ह्रीं श्रीं कात्यायन्यै स्वाहा ॥ 

कात्यायनी मंत्र जप करने की विधि 

  • लाल चंदन की माला होना चाहिए। 
  • मां कात्यायनी की तस्वीर अथवा प्रतिमा आंखों के सामने होना चाहिए। 
  • मां कात्यायनी का लाल फूल से श्रृंगार किया जाना चाहिए। 
  • आपके वस्त्रों में लाल रंग का प्रभाव होना चाहिए। 
  • विवाह योग्य युवक-युवतियों को प्रतिदिन एक माला करनी चाहिए। 
  • जिनकी आयु 32 वर्ष से अधिक है उन्हें नवरात्रि के नौ दिनों में सवा लाख मंत्रों का जाप करना चाहिए। 
डिस्क्लेमर- यह लेख एवं पूजा विधान केवल उन वैष्णव परिवारों के लिए है जो पराशर ज्योतिष अथवा माता भगवती के 9 स्वरूपों में विश्वास रखते हैं। इस प्रकार के धार्मिक प्रयोग का कोई वैज्ञानिक परीक्षण नहीं होता।
लेखक: आचार्य कमलांशु, ज्योतिष विशेषज्ञ।
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