भोपाल। राज्य शासकीय कर्मचारी अधिकार संरक्षण संघ द्वारा प्रदेश सरकार के विभाग/कार्यालय प्रमुखों द्वारा कर्मचारी कल्याण कार्यक्रमों में बरती जा रही उदासीनता के कारण प्रशासनिक अव्यवस्था पूर्ण स्थिति होने से कर्मचारी सेवा संघों की चिंता शासकीय सेवकों में असंतोष व्याप्त है। सरकार के कार्यों को पूर्ण कर्तव्यनिष्ठा से संपादित करने वाले इन सेवकों के सेवा मामलों में:
1, देय चतुर्थ उच्चतर समयमान वेतनमान प्रकरणों का निराकरण में विलंब।
2, विभागों में वर्षों से लंबित शिकायतों की जांच निष्पक्षता को नजरअंदाज कर मिलीभगत द्वारा "संलिप्त" कार्यालयों से उनके प्रतिवेदनों को अभिमत से समाप्त एवं समयावधि में निराकरण न किया जाना।
3, अनुकंपा नियुक्ति मामले एवं परिवीक्षा अवधि का समयबद्ध रूप से समाधान न किया जाना।
4, दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के व्यापक हितों को लेकर बरती जा रही उदासीनता से सरकार के विरुद्ध लाखों न्यायालयीन प्रकरणों द्वारा सरकारी अर्थव्यवस्था पर भारी वित्तीय भार का मार्ग प्रशस्त करना।
5, विभागीय संरचनाओं में रिक्त पदों की पूर्ति हेतु प्रस्ताव न देकर नियम विरुद्ध संलग्नीकरण प्रवृत्ति द्वारा प्रतिबंधों को नजरअंदाज कर बैकडोर स्थानांतरण को बढ़ावा देना।
6, सेवानिवृत्त कर्मचारियों के लंबित सेवानिवृत्ति स्वत्वों पेंशन, उपादान आदि समस्त प्रकरणों के निराकरण के नाम पर रिश्वतखोरी व उदासीनता।
7, सेवानिवृत्त कर्मचारियों को देय अवकाश नगदीकरण का लाभ दिए जाने में उदासीनता।
8, सेवकों के गोपनीय चरित्रावली मातांकन समय से न लिखे जाने में लापरवाही।
9, अप्रैल माह में वरिष्ठता सूची प्रकाशन की अनिवार्यता का पालन न किया जाना।
10, कर्मचारी से उनके पद एवं पात्रता विरुद्ध कर्तव्य निर्वाह कराए जाने अर्थात नियमित सेवकों के स्थापना दायित्वों सेवा पुस्तिकाओं के संधारण सहित महत्वपूर्ण दायित्वों का निर्वाह नियमों को ताक पर रख कार्यभारित, दैनिक वेतन, संविदा व आउट सोर्स कर्मियों से कराना।
11, कार्यालयीन रिक्त पदों के विरुद्ध पदस्थापित कर्मचारी के बजाय, अन्य कार्यालय के संलग्न व अनुलग्न कर्मचारियों से उनकी पद व पात्रता के विरुद्ध कर्तव्यों का निर्वाह कराना।
12, कार्यालय प्रमुखों द्वारा प्रशासनिक शक्तियों का दुरुपयोग कर निजी स्वार्थपूर्ति में संलिप्त रहने इत्यादि कार्यशैली से सेवकों के व्यापक हितों पर कुठाराघात करना।
13, शासन द्वारा स्थापित सुशासन की अवधारणा मूल्यों पर चोट किए जाने की कार्रवाई को गंभीरता से लिया जाना चुस्त प्रशासनिक व्यवस्था के मद्देनजर नितांत आवश्यक है।
अतः संगठन द्वारा सामान्य प्रशासन विभाग को सौपे जा रहे ज्ञापन में "कर्मचारी कल्याण कार्यक्रमों" को लागू करने की अनिवार्यता का अनुपालन की समीक्षा सुनिश्चित कर विभागीय लापरवाहीपूर्ण कार्यशैली हेतु जिम्मेदार अधिकारियों के विरुद्ध शासकीय कार्रवाई कर मापदंडों के अनुरूप शासकीय सेवकों के व्यापक हितों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की राज्य शासन से मांग की है।
रिपोर्ट: शोएब सिद्दीकी, प्रदेश प्रवक्ता, राज्य शासकीय कर्मचारी अधिकार संरक्षण संघ