मंदसौर कलेक्टर एवं भारतीय प्रशासनिक सेवा की महिला अधिकारी श्रीमती अदिति गर्ग एक झटके में एक्सपोज हो गई। हॉट एयर बैलून मामले में उन्होंने दावा किया था कि सिक्योरिटी के सभी मानकों का पालन किया गया है। सिक्योरिटी के सबसे पहले मानक के पालन में ही चूक हो गई थी। जिस कंपनी के हॉट एयर बैलून के अंदर मुख्यमंत्री को खड़ा किया गया था, उस कंपनी के पास परमिट ही नहीं है।
इरफान बैलून उड़ाने वाला लड़का है पायलट नहीं है
कल FACT CHECK के दौरान भोपाल समाचार ने कहा था कि, कलेक्टर को खाली बयान जारी नहीं करना चाहिए बल्कि अपने बयान के समर्थन में प्रमाण भी प्रस्तुत करना चाहिए। पायलट का स्टेटमेंट सुनने के बाद भोपाल समाचार ने स्पष्ट लिखा था कि, एक प्रोफेशनल पायलट अपना एक्सपीरियंस हमेशा नंबर्स में बताता है। "ज्यादा से ज्यादा, ज्यादा से ज्यादा" नहीं बोलता। पायलट ने अपने ट्रेनिंग इंस्टिट्यूट का नाम भी नहीं बताया। इसका सर्टिफिकेट चेक किया जाना चाहिए। (यहां क्लिक करके पढ़ सकते हैं।) आज स्पष्ट हो गया कि पायलट के पास लाइसेंस ही नहीं है। इरफान ने झूठ बोला कि उसने ट्रेनिंग ली है, क्योंकि यदि ट्रेनिंग ली होती तो उसके पास लाइसेंस भी होता है। उसने कोई ट्रेनिंग नहीं ली है। वह बैलून उड़ाने वाला "लड़का" है "पायलट" नहीं है। इसीलिए उसकी टोपी पर भी BOY लिखा हुआ था।
गोंडोला के अंदर खड़े होकर हॉट एयर बैलून कौन देखता है?
मंदसौर की कलेक्टर श्रीमती अदिति गर्ग ने दावा किया था कि मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव हॉट एयर बैलून में उड़ने के लिए नहीं बल्कि उसको देखने के लिए गए थे। श्रीमती अदिति गर्ग अपने अलावा बाकी सब को बच्चा समझता है। हॉट एयर बैलून ऐसी कौन सी दुर्लभ चीज है, जिसको देखने के लिए मुख्यमंत्री जाएंगे और फिर गोंडोला (बास्केट) के अंदर बैठकर बर्नर में आग लगाकर हॉट एयर बैलून कौन देखता है।
गड़बड़ा कहां हुई और किसने की
सबसे बड़ी गड़बड़ और भ्रष्टाचार तो पर्यटन विभाग की ओर से किया गया है जिसने गुजरात की विवादित कंपनी 'लल्लूजी एंड संस' के साथ एग्रीमेंट किया। जबकि कंपनी के पास ना तो परमिट है और ना ही पायलट।
- लेकिन इस इवेंट में सारी गड़बड़ कलेक्टर ने की है।
- एग्रीमेंट पर्यटन विभाग ने किया है लेकिन कलेक्टर मॉनिटरिंग ऑफिसर है।
- मुख्यमंत्री की सिक्योरिटी के लिए कलेक्टर जिम्मेदार है।
- कलेक्टर को हॉट एयर बैलून को उड़ाने के नियम पढ़ना चाहिए थे।
- कलेक्टर को कंपनी का एग्रीमेंट चेक करना चाहिए था।
- कलेक्टर को पायलट का लाइसेंस चेक करना चाहिए था।
- यदि कोई भी गड़बड़ी थी तो मुख्यमंत्री का हॉट एयर बैलून का प्रोग्राम कैंसिल करवा देना चाहिए था।
कलेक्टर ने ऐसा कुछ भी नहीं किया। तेज हवा के कारण सारी गड़बड़ी हुई। कलेक्टर के पास मौका था मौसम को जिम्मेदार बात कर मामला शांत कर देना चाहिए था परंतु उन्होंने बयान जारी किया। उन्होंने दावा किया की सिक्योरिटी के सभी स्टैंडर्ड को फॉलो किया गया है। अब जबकि दावा किया है तो कलेक्टर को चाहिए कि वह अपने दावे को प्रमाणित भी करें। रिपोर्ट: सत्येंद्र सरल।