मध्य प्रदेश सरकार में आज तुलसी सिलावट इफेक्ट दिखाई दिया। मुख्यमंत्री डॉ मोहन यादव ने स्पष्ट किया कि जिले में विकास, जनता की समस्याओं का समाधान और सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के लिए प्रभारी मंत्री जिम्मेदार होंगे। याद दिला दें कि पिछले दिनों कैबिनेट मंत्री श्री तुलसी सिलावट अपने प्रभार वाले जिले ग्वालियर की देखभाल करने में फेल हो गए थे। इसके कारण कैबिनेट मीटिंग में काफी हंगामा हुआ था।
मुख्यमंत्री ने प्रभारी मंत्रियों को मीटिंग से पहले होमवर्क दिया
मुख्यमंत्री के कार्यालय से प्रेस को दी गई आधिकारिक जानकारी के अनुसार, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा है कि प्रदेश में जारी विकास गतिविधियों, जनकल्याणकारी कार्यक्रमों और योजनाओं के मैदानी क्रियान्वयन की प्रभारी मंत्री अपने प्रभार के जिलों में समीक्षा करें। साथ ही जन समस्याओं का प्राथमिकता के आधार पर निराकरण करवायें। मुख्यमंत्री डॉ. यादव ने कहा कि अक्टूबर माह में राज्य स्तर पर कलेक्टर-कमिश्नर कॉन्फ्रेंस आयोजित की जाएगी। कॉन्फ्रेंस में सभी मंत्रीगण, कमिश्नर, कलेक्टर, पुलिस अधीक्षक, संभागीय अधिकारी, आई.जी. सहित विभाग प्रमुख और सचिवालयीन अधिकारी शामिल होंगे। कॉन्फ्रेंस से पहले सभी कमिश्नर और कलेक्टर आगामी वर्ष की विकास कार्ययोजना भी तैयार करें, जिससे प्रदेश के विकास को और अधिक गति प्रदान की जा सके।
कैबिनेट मीटिंग में ग्वालियर कांड क्या है
ग्वालियर के विधायक श्री प्रद्युमन सिंह तोमर कैबिनेट मीटिंग में अचानक मचल उठे थे। कैबिनेट मीटिंग का अपना प्रोटोकॉल होता है। यह मंत्री परिषद की बैठक होती है जिसमें सिर्फ मंत्री शामिल होते हैं, विधायकों को शामिल होने की अनुमति नहीं होती। मीटिंग में केवल उन्हीं बिंदुओं पर बात होती है जो एजेंडा प्रस्तुत किया जाता है। मुख्यमंत्री ने विधायक श्री प्रद्युमन सिंह तोमर को कहा भी कि आपके व्यक्तिगत विषय पर बाद में बात करते हैं लेकिन श्री तोमर मानने को तैयार नहीं थे। नतीजा यह मामला मीडिया की हेडलाइंस बन गया और विपक्षियों ने सरकार पर कई तीखे सवाल किया। श्री तुलसी सिलावट ग्वालियर के प्रभारी मंत्री हैं। वह ना तो ग्वालियर की समस्याओं को सॉल्व कर पाए और ना ही अपने विधायक को समझाने में कामयाब हो पाए। अब सरकारी सिस्टम पर इसका असर दिखाई दे रहा है।