मध्य प्रदेश शासन, पुलिस विभाग के लिए आयोजित असिस्टेंट सब इंस्पेक्टर भर्ती परीक्षा को लेकर विवाद शुरू हो गए हैं। सबसे पहला मुद्दा को आयु सीमा और मध्य प्रदेश के स्थानीय उम्मीदवारों को प्राथमिक दिए जाने को लेकर है। उम्मीदवारों का कहना है कि हम भी "वसुधैव कुटुंबकम" का भाव रखते हैं, लेकिन हमसे वोट लेकर किसी और को नौकरी दोगे तो अच्छा नहीं होगा।
3 साल की छूट नहीं मिली तो 3 लाख कैंडीडेट्स ineligible
दैनिक भास्कर में प्रतिष्ठित पत्रकार श्री राहुल शर्मा की रिपोर्ट छपी है। उन्होंने बताया है कि इस परीक्षा में, आयु सीमा में 3 साल की छूट नहीं दी गई इसलिए 3 लाख कैंडीडेट्स अपात्र हो गए। राहुल ने बताया कि पिछले 8 साल से परीक्षा नहीं हुई है। इस दौरान अन्य परीक्षाओं में मध्य प्रदेश सरकार द्वारा उम्मीदवारों को 3 साल की छूट दी गई थी। पुलिस भर्ती परीक्षा के उम्मीदवारों द्वारा अभी तक इस छठ का लाभ नहीं उठाया गया है। उन्हें अपने जीवन में कम से कम एक बार आयु सीमा में 3 साल की छूट का लाभ मिलना चाहिए।
MP First: पांच राज्यों में लोकल फर्स्ट तो फिर मध्य प्रदेश में क्यों नहीं
उम्मीदवारों का कहना है कि महाराष्ट्र और गुजरात समेत उत्तर प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ तक में, सरकारी नौकरी में लोकल कैंडिडेट्स को प्राथमिकता दी जाती है। तो फिर अकेला मध्य प्रदेश ही नौकरी बांटने के मामले में ग्लोबल क्यों बना हुआ है। जब मध्य प्रदेश के युवाओं को पड़ोसी राज्यों में नौकरी नहीं मिल रही तो फिर पड़ोसी राज्यों के युवाओं को मध्य प्रदेश में नौकरी क्यों दी जा रही है।
कौन सा राज्य किस तरीके से लोकल फर्स्ट पॉलिसी पर काम कर रहा है
महाराष्ट्र : सरकारी नौकरियों में मराठी भाषा का ज्ञान अनिवार्य है। कई भर्ती परीक्षाओं में तो मराठी भाषा का अलग पेपर पास करना जरूरी होता है। इस नियम के कारण गैर मराठी आउट हो जाते हैं।
उत्तर प्रदेश : यूपी के सामान्य ज्ञान से संबंधित प्रश्न अधिक होते हैँ। एससी/एसटी/ओबीसी के लिए आरक्षण केवल यूपी के स्थायी निवासियों को। सामान्य तौर पर जनरल नॉलेज का पेपर वही सॉल्व कर सकता है जो उत्तर प्रदेश में रहकर परीक्षा की तैयारी कर रहा हो।
राजस्थान: कुछ भर्ती में राजस्थानी संस्कृति/भाषा से जुड़े प्रश्न पूछे जाते हैं। पेपर इतना लोकल होता है कि बाहरी उम्मीदवार कहीं ना कहीं गड़बड़ी कर ही देता है।
छत्तीसगढ़: अनुसूचित क्षेत्र की भर्तियों में स्थानीय आदिवासियों के लिए आरक्षण 50% तक। कई भर्तियों में स्थानीय भाषा (छत्तीसगढ़ी/हलबी/गोंडी) का ज्ञान अनिवार्य। इसलिए बाहरी उम्मीदवारों को कुछ नहीं मिलता।
गुजरात: अधिकांश भर्ती परीक्षाओं में गुजराती भाषा का पेपर अनिवार्य। यह भारत का एक ऐसा राज्य है, जिसे आप भारत का चीन का सकते हैं। यह नौकरी और कारोबार के लिए अपने लोगों को पूरी दुनिया में भेजता है, लेकिन बाहर के किसी भी आदमी को गुजरात में नहीं टिकने देता।
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