मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने इंदौर के शीतलामाता बाजार के मामले को शांति के नाम पर भड़का दिया है। श्री दिग्विजय सिंह, ना तो इंदौर के प्रतिनिधि हैं और ना ही कांग्रेस पार्टी में किसी ऐसे पद पर हैं लेकिन फिर भी दो पक्षों के बीच तनाव की स्थिति बनी तो, मौके का फायदा उठाने पहुंच गए। बदले में एक संगठन की महिलाओं ने दिग्विजय सिंह पर चूड़ियां फेंकी और स्थिति को नियंत्रित करने के लिए पुलिस ने दिग्विजय सिंह को बाजार में घुसने से रोक दिया।
इंदौर के शीतलामाता बाजार वाला मामला क्या है
इंदौर के शीतलामाता बाजार की दुकानों में कुछ कर्मचारियों की नियुक्ति को लेकर विवाद की स्थिति बनी है। स्थानीय विधायक मालिनी गौड़ के बेटे एकलव्य गौड़ ने दुकानदारों से अपील की है कि वह कुछ कर्मचारियों को अपनी दुकान से हटा दें। खबर यह भी है कि, विधायक पुत्र की अपील के बाद उनके समर्थकों ने दुकानदारों से संपर्क किया और जो दुकानदार अपने कर्मचारियों को हटाने के लिए तैयार नहीं थे, उनको दुकाने खाली करने के निर्देश दिए गए। यह विवाद की स्थिति है और कई दुकानदार, विधायक पुत्र के खिलाफ एकजुट हो गए हैं। पॉलीटिकल एनालिस्ट का मानना है कि विधायक पुत्र यह सब कुछ इसलिए कर रहा है क्योंकि वह अपनी पहचान एक विधायक पुत्र से ज्यादा एक नेता के रूप में स्थापित करना चाहता है।
दिग्विजय सिंह के साथ क्या हुआ
पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह ने हाईकोर्ट की इंदौर बेंच में एक जनहित याचिका दाखिल की है। आज इसी याचिका की सिलसिले में श्री दिग्विजय सिंह हाईकोर्ट गए थे। यहां पर उनकी तारीख बढ़ गई, हाईकोर्ट ने उन्हें 10 नवंबर को बुलाया है। शायद श्री दिग्विजय सिंह को इसका अनुमान था। इसलिए उन्होंने पहले से ही शीतला माता बाजार जाने का प्लान बना दिया था। उन्होंने इसकी सूचना पुलिस को भी दी थी। जब दिग्विजय सिंह शीतला माता बाजार के नजदीक पहुंचे तो उनके खिलाफ प्रदर्शन करने वाली महिलाओं ने उनके ऊपर चूड़ियां फेंक दी। पुलिस को भी अनुमान था कि श्री दिग्विजय सिंह आ रहे हैं तो कोई ना कोई विवाद जरूर होगा, इसलिए पुलिस पहले से तैयार थी। उन्होंने श्री दिग्विजय सिंह को बाजार में जाने से रोक दिया। इसके बाद दिग्विजय सिंह पुलिस थाने गए और उन्होंने शिकायत दर्ज करवाई।
सबसे बड़ा सवाल: दिग्विजय सिंह क्यों गए, उनका क्या कनेक्शन
दिग्विजय सिंह ने अपने बयान में कहा है कि वह शांति की स्थापना के लिए बाजार में गए थे। वह पीड़ित दुकानदारों से मिलना चाहते थे। सवाल उठता है कि, दिग्विजय सिंह क्यों गए, उनका क्या कनेक्शन है। वह ना तो इंदौर के जिला अध्यक्ष हैं और ना ही कांग्रेस पार्टी में किसी ऐसे पद पर हैं जिसके तहत उन्हें इंदौर की जिम्मेदारी मिलती हो। इंदौर में कांग्रेस पार्टी अपने आप में शक्तिशाली है। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी इंदौर से आते हैं। फिर दिग्विजय सिंह को क्या जरूरत पड़ी, वह इस मामले में एक पक्ष कर क्यों बन रहे हैं।
दिग्विजय सिंह यानी आग में घी
सब जानते हैं कि मध्य प्रदेश की पॉलिटिक्स में और खास तौर पर जब तनाव की स्थिति बनती है तो दिग्विजय सिंह आग में घी का काम करते हैं। वह पुराने पॉलिटिशियन है और बहुत अच्छी तरीके से जानते हैं कि शांति का चोला पहनकर, लोगों के बीच वैचारिक ज्वाला भड़काकर अपनी पॉलिटिक्स कैसे चमकाई जाती है। दिग्विजय सिंह ऐसा कोई मौका नहीं छोड़ते। शीतला माता बाजार का विवाद ऐसा ही एक मौका है। दिग्विजय सिंह यदि शांति चाहते तो अपनी पार्टी के नेताओं का मार्गदर्शन करते, नेतृत्व करने की जरूरत नहीं थी।
इंदौर की अपनी स्पिरिट है और किसी एकलव्य और दिग्विजय सिंह से प्रभावित नहीं होती
यहां दिग्विजय सिंह और उनके जैसे सभी बाहरी नेताओं को यह बता दिया जाना चाहिए कि इंदौर शहर की अपनी स्पिरिट है। उसको मिलजुल कर रहना और आगे बढ़ाना आता है। हर मामले में नंबर वन की तरफ आगे बढ़ रहा है इंदौर एक सामूहिक प्रयास का नतीजा है। यह शहर किसी भी एकलव्य और दिग्विजय सिंह से प्रभावित नहीं होता। रिपोर्ट: हार्दिक दुबे।