मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की ग्वालियर बेंच ने एक वकील को तारीख पर पेश नहीं होने के कारण सजा सुनाई है। न्यायमूर्ति आनंद पाठक और न्यायमूर्ति पुष्पेंद्र यादव की खंडपीठ ने कहा कि कोर्ट की प्रक्रिया की अवहेलना को हल्के में नहीं लिया जा सकता।
वकील की गलती का खामियाजा पक्षकार को नहीं भुगतना चाहिए
मामला सुशील वर्मा बनाम मध्य प्रदेश औद्योगिक विकास निगम है। अपीलकर्ता के वकील प्रशांत शर्मा की लगातार अनुपस्थिति के कारण मूल याचिका खारिज कर दी गई थी। यह याचिका पदोन्नति से जुड़ी थी और पिछले दस सालों से लंबित थी। कोर्ट ने कहा कि वकील की गलती का खामियाजा पक्षकार को नहीं भुगतना चाहिए। साथ ही न्यायालय ने कहा कि कोर्ट की प्रक्रिया की अवहेलना को हल्के में नहीं लिया जा सकता। इसलिए कोर्ट ने वकील को निर्देश दिया कि वे माधव अंधाश्रम में एक घंटा बिताएं। वकील को वहां के वंचित बच्चों के साथ समय बिताना होगा। साथ ही उन्हें 10 हजार रुपए मूल्य का नाश्ता और खाना भी खिलाना होगा।
पक्षकार के प्रति वकील के कर्तव्य
भारतीय अधिवक्ता अधिनियम (Advocates Act, 1961) तथा बार काउंसिल ऑफ इंडिया (BCI) के आचार संहिता के अनुसार वकील (अधिवक्ता) का अपने पक्षकार (मुवक्किल/क्लाइंट) के प्रति कई कर्तव्य (duties) निर्धारित किए गए हैं। मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
- ईमानदारी और निष्ठा (Honesty & Loyalty)
- गोपनीयता बनाए रखना (Maintain Confidentiality)
- हितों का टकराव न होना (No Conflict of Interest)
- उचित शुल्क लेना (Reasonable Fees)
- सही परामर्श देना (Give Proper Advice)
- समय पर जानकारी देना (Keep Client Informed)
न्यायालय में पूर्ण निष्ठा से पैरवी करना (Diligent Representation)
- केस की तैयारी पूरी लगन से करेगा।
- न्यायालय में मुवक्किल के पक्ष को सक्षम ढंग से प्रस्तुत करेगा।
- दस्तावेज़ और साक्ष्य सुरक्षित रखना (Preserve Documents & Evidence)
- मुवक्किल से प्राप्त दस्तावेज़ और साक्ष्यों को सुरक्षित रखेगा।
- बिना मुवक्किल की अनुमति के किसी अन्य प्रयोजन के लिए प्रयोग नहीं करेगा।