GWALIOR NEWS: RTI से हुआ बड़ा खुलासा, SDM के फर्जी दस्तखत, नगर निगम ने टाउनशिप का नामांतरण कर दिया

Bhopal Samachar
अंशुल मित्तल, ग्वालियर
- नगर निगम अफसरों के भ्रष्ट कारनामों की लंबी फेहरिस्त में से, एक और बड़ा घोटाला निकल कर सामने आया है। जहां एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर करके एक दस्तावेज बनाया गया और इस फर्जी दस्तावेज के आधार पर, नगर निगम ने एक टाउनशिप का नामांतरण कर दिया। नगर निगम के ही पटवारी ने, नामांतरण प्रकरण की नोटशीट में साफ लिखा है कि "यह दस्तावेज कूटरचित है"। इसके बावजूद नगर निगम के तत्कालीन घोटालेबाजों ने पटवारी की टीप को नजरअंदाज करते हुए बड़े भ्रष्टाचार को अंजाम दिया।

फर्जी डायवर्सन पत्र के आधार पर बन रही, बेशकीमती टाउनशिप 

न्यू सिटी सेंटर, कलेक्टरेट रोड मुख्य मार्ग पर, ग्राम ओहदपुर, वार्ड 60 के अंतर्गत विश्रांति गृह निर्माण समिति द्वारा बड़े स्तर पर एक टाउनशिप का निर्माण किया जा रहा है। विश्रांति ग्रह निर्माण समिति के अध्यक्ष और संचालकों ने वर्ष 2018 में नगर निगम में संपत्तिकर नामांतरण के लिए आवेदन प्रस्तुत किया जिसमें विभिन्न जरूरी दस्तावेज संलग्न किए गए। अन्य दस्तावेजों के साथ भूमि का एक डायवर्सन पत्र संलग्न किया गया जिसे एसडीएम झांसी रोड कार्यालय से जारी होना बताया गया। नियमानुसार जब इनकी नामांतरण की फाइल प्रतिवेदन के लिए निगम पटवारी के पास पहुंची तब पटवारी ने पाया कि आवेदक ने एसडीएम कार्यालय से जारी जो डायवर्सन पत्र संलग्न किया है वह फर्जी है। निगम पटवारी ने नामांतरण प्रकरण की नोटशीट में फर्जी डायवर्सन पत्र का जिक्र करते हुए लिखा है कि "डायवर्सन पत्र क्रमांक 179 के विषय में एसडीएम कार्यालय से जानकारी लेने पर ज्ञात हुआ कि यह डायवर्सन पत्र झांसी रोड एसडीएम कार्यालय से जारी ही नहीं हुआ अर्थात यह डायवर्सन पत्र कूटरचित है।" इसके अलावा इस फर्जी डायवर्सन के आधार पर, अन्य विभागों से भी मंजूरियां हासिल कर ली गई हैं।

पटवारी की रिपोर्ट को ठेंगे पर रख, किया नामांतरण 

किसी भी संपत्ति का नामांतरण करने से पहले पटवारी का प्रतिवेदन लिया जाता है। जिससे राजस्व विभाग से संबंधित दस्तावेजों और भूमि/संपत्ति के टाइटल की पुष्टि होती है। लेकिन यहां निगम के जादूगरों ने पटवारी की रिपोर्ट को ठेंगे पर रखा और फर्जी शासकीय दस्तावेज को नजरअंदाज करते हुए गृह निर्माण समिति का नामांतरण कर दिया।

जिस एसडीएम के फर्जी हस्ताक्षर हुए, वो अभी निगम में अपर आयुक्त

वर्ष 2018 में सामने आया, फर्जी  डायवर्सन पत्र में, तत्कालीन एसडीएम विजय राज के फर्जी हस्ताक्षर प्रतीत हो रहे हैं। विजयराज वर्तमान में नगर निगम में अपर आयुक्त के पद पर पदस्थ हैं। मजे की बात यह है कि जब मामला निगम अपर आयुक्त विजय राज के संज्ञान में लाया गया, तब उन्होंने बताया कि जिस समय यह डायवर्शन पत्र जारी होना बताया जा रहा है, उस समय वे झांसी रोड एसडीम नहीं बल्कि लश्कर एसडीएम के पद पर पदस्थ थे। 

आरटीआई से मांगे दस्तावेज, सालों तक छुपाए रहे निगम अफसर

आरटीआई से प्राप्त दस्तावेजों से, निगम अफसरों के इस भ्रष्टाचार का पर्दाफाश हुआ। गौरतलब है कि लगभग 4 साल पहले, इस प्रकरण के दस्तावेज, आरटीआई के तहत मांगे गए थे। निगम अफसर अधूरे दस्तावेज देकर अपने घोटाले पर पर्दा डाले रहे। राज्य सूचना आयोग, भोपाल में द्वितीय अपील किए जाने के बाद असली दस्तावेज सामने आए और घोटाले का पर्दाफाश हुआ। 

निगम में वैध नामांतरण के लिए रिश्वत और फर्जी काम के लिए बहती है पैसे की गंगा!

सूत्र बताते हैं कि इस घोटाले को अंजाम देने के लिए निगम अफसरों को करोड़ों रुपए का चढ़ावा आया था ! यह बात सही भी मालूम होती है क्योंकि अभी हाल ही में निगम में प्रतिनियुक्ति पर आए, रिटायर्ड अपरायुक्त अनिल दुबे का रिश्वत कांड वीडियो के माध्यम से उजागर हुआ था। बताया जा रहा है कि रिश्वत कांड उजागर होने के बाद आवेदक का नामांतरण प्रकरण कमिश्नर द्वारा पेंडिंग कर दिया है। जिससे साफ है कि निगम में भ्रष्टाचार चलेगा। उजागर करने वाले को खानी पड़ेगी दर-दर की ठोकरें।

कमिश्नर बोले- परीक्षण करेंगे
मामले पर निगम आयुक्त संघ प्रिय ने मीडिया से कहा कि प्रकरण की जांच कर कार्रवाई की जाएगी।
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