नई दिल्ली। भोपाल में दिनांक 28/8/2025 को मध्य प्रदेश सरकार द्वारा सर्वदलीय बैठक में लिए गए निर्णय के अनुसरण में मध्य प्रदेश के महाधिवक्ता श्री प्रशांत सिंह द्वारा मध्य प्रदेश भवन नई दिल्ली में दिनांक 04/9/2025 को ओबीसी वर्ग का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्तागण के साथ बैठक आहूत की गई। वरिष्ठ अधिवक्ता श्री रामेश्वर सिंह ठाकुर ने इस बैठक की जानकारी दी।
महाधिवक्ता की बैठक में उपस्थित अधिवक्तागण
बैठक में महाधिवक्ता प्रशांत सिंह, एड़ी.ए.ज़ी. नीलेश यादव, धीरेन्द्र परमार, मृणाल येलकर सहित वरिष्ठ अधिवक्ता एवं भूतपूर्व महाधिवक्ता श्री अनूप जॉर्ज चौधरी, वरिष्ठ अधिवक्ता श्रीमती जून चौधरी, वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर, वरुण ठाकुर, विनायक प्रसाद शाह, शशांक रतनू, हनुमत लोधी, सहित शिक्षक भर्ती, पुलिस भर्ती, पीएससी भर्ती के, स्टूडेंट्स भी शामिल हुए।
13% ओबीसी होल्ड पर चर्चा से इंकार
बैठक में महाधिवक्ता द्वारा 13% ओबीसी आरक्षण के कारण होल्ड किए गए अभ्यर्थियों के नियुक्ति पर चर्चा के लिए अनइच्छा जताई गई। महाधिवक्ता द्वारा ओबीसी वर्ग के प्रतिनिधियों से दो अधिवक्ताओं के नाम मांगे जिनके साथ बैठक करके सुप्रीम कोर्ट में सरकार सरकार और ओबीसी का पक्ष रखने का रास्ता साफ हो सके।
अनूप चौधरी की दलील
बैठक में ओबीसी वर्ग की तरफ से प्रस्ताव रखा गया कि आरक्षण कानून पर कोई स्थगन नहीं है, और ओबीसी वर्ग के 13% होल्ड किए गए अभ्यर्थियों को नियुक्ति आदेश जारी किए जाने की रणनीति पर चर्चा की मांग किया गया। ओबीसी वर्ग के मांग का अनदेखी करते हुए महाधिवक्ता द्वारा दो अधिवक्ताओं की नाम की मांग किया गया। अनूप चौधरी द्वारा कहा गया कि सरकार सर्वोच्च है। ओबीसी आरक्षण को लागू करने के लिए न्यायालय के निर्णय की कोई आवश्यकता नहीं है, क्योंकि कानून स्टे नहीं है, इसलिए न्यायालय के आदेश की प्रतिक्षा किए बिना कानून लागू किया जा सकता है।
अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर की दलील
उक्त बैठक में वरिष्ठ अधिवक्ता रामेश्वर सिंह ठाकुर द्वारा आरक्षण कानून दिनांक 08.03.2019 से हाईकोर्ट एवं सुप्रीम कोर्ट के विभिन्न अंतरिम आदेशों की ओर ध्यान दिलाया गया एवं बताया गया कि कानून स्टे नहीं है, बल्कि सरकार ने याचिका क्रमांक 18105/2021 के अंतरिम आदेश दिनांक 4/8/23 का विभिन्न भरतियों उल्लेख किया गया तथा उक्त नियुक्तियों को 87% पर नियुक्ति देकर 13% पदों को होल्ड कर दिया गया, जबकी उक्त याचिका दिनांक 28/01/25 को ख़ारिज हो चुकी है, फिर भी सरकार पदों को अनहोल्ड नहीं कर रही है, बल्कि एक अन्य अंतरिम आदेश दिनांक 4/5/2022 का हवाला दिया जाने लगा, जबकी सुप्रीम कोर्ट स्पष्ट कर चुकी है कि मध्य प्रदेश के आरक्षण मामले छत्तीसगढ़ से भिन्न है, फिर भी मध्य प्रदेश शासन, सुप्रीम कोर्ट मे मामलो को छत्तीसगढ़ से लिंक करवा रही है।
वरुण ठाकुर, विनायक शाह सहित सभी ने सर्व सम्मति से कहा की सर्व प्रथम उन समस्त भर्तियों में जिनमे कोई अंतरिम आदेश नहीं है उनको अनहोल्ड किया जाए तत्पयत आगामी रणनीति तय की जाए तब महाधिवक्ता ने कहा की आप लोग अपना लिखित अभिमत दे जिस पर बिचार किया जाकर अन्होंल्ड किए जाने के सम्वन्ध मे बिचार किया जाएगा ! ओबीसी अधिवक्ताओ ने कहा की सुप्रीम कोर्ट मे फिल हाल किसी भी अधिवक्ता की जरूरत नहीं है,जब मामले फाइनल सुनवांई पर सूचिवद्ध होंगे तब ओबीसी वर्ग अपने खर्चे पर वक़ील नियुक्त कर लेगे।