जहाँ कोई व्यक्ति किसी अन्य व्यक्ति को चोरी करने के लिए उकसाता (provoke) है और अपराध करने वाला मुख्य आरोपी, चोरी (Theft) के स्थान पर हत्या (Murder) कर देता है, तब उकसाने (Incitement) वाले व्यक्ति को हत्या का दोषी (Guilty) नहीं माना जाएगा। उसे केवल चोरी के अपराध के लिए दंडित (Punished) किया जाएगा, चाहे उसने चोरी के अपराध का सहयोग (Abetment) मात्र ही क्यों न किया हो। जानिए।
भारतीय न्याय संहिता, 2023 की धारा 50 की परिभाषा
जो कोई व्यक्ति किसी अपराध का सहयोग (Abetment) करता है और अपराध करने वाला दुष्प्रेरित (Misguided) व्यक्ति उस अपराध के स्थान पर कोई अन्य अपराध कर देता है (Consequences), तब सहयोग करने वाले व्यक्ति को उसी अपराध के दंड से दण्डित किया जाएगा जिसका उसने सहयोग किया था।
सुप्रीम कोर्ट का महत्वपूर्ण निर्णय जानिए
▪︎ मातादीन बनाम महाराष्ट्र राज्य मामले में, एक सह-आरोपी ने लड़ाई के दौरान "मारो साले को" कह दिया था। मुख्य आरोपी ने मृतक के पेट में चाकू से वार कर दिया, जिससे उसकी मृत्यु हो गई। सह-आरोपी के ऊपर भी धारा 302/34 का मामला दर्ज हुआ।
इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने अभिनिर्धारित किया कि शब्द "मारो साले को" का अर्थ दो प्रकार का हो सकता है—पहला, पीटना और दूसरा, व्यक्ति को मार डालना। चूँकि यह संदेह के परे है, इसलिए सह-आरोपी को हत्या के अपराध से दण्डित करना न्यायोचित नहीं है। अतः, सह-आरोपी को धारा 302/34 के स्थान पर धारा 324/110 के अंतर्गत दोषसिद्ध किया जाना न्यायोचित होगा।
✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।