CMJ University की मार्कशीट के कारण पंचायत कर्मचारी की नियुक्ति निरस्त, हाई कोर्ट का फैसला

Bhopal Samachar
मध्य प्रदेश के पंचायत विभाग में, ग्राम पंचायत रोजगार सहायक के पद पर नियुक्त किए गए एक कर्मचारी की नियुक्ति इसलिए निरस्त कर दी गई क्योंकि उसने CMJ University से कंप्यूटर का डिप्लोमा किया था। जांच में पाया गया कि परीक्षा 2011 में हो गई थी लेकिन डिप्लोमा 2016 में जारी किया गया। सिर्फ इतना ही नहीं CMJ University द्वारा जारी किए गए सभी सर्टिफिकेट, डिप्लोमा, मार्कशीट और डिग्री अमान्य घोषित कर दिए गए हैं। इसलिए भारत देश में जिस किसी ने भी CMJ University का डिग्री डिप्लोमा लगाकर नौकरी प्राप्त की है, सबकी नौकरी खतरे में है। 

सेवा समाप्ति के खिलाफ अभिषेक शुक्ला की याचिका

रिट याचिका संख्या (W.P. No.) 22337/2019 अभिषेक शुक्ला (Abhishek Shukla) द्वारा दायर की गई थी। अभिषेक शुक्ला का चयन रोजगार सहायक के पद पर हुआ था। उन्होंने अपनी सेवा समाप्ति (termination from service) के आदेश (Annexure P-16 दिनांक 05.10.2019) और उस आदेश (Annexure P-15 दिनांक 01.10.2019) को चुनौती दी थी जिसके तहत कमिश्नर, राज्य रोजगार गारंटी परिषद (Commissioner, State Employment Guarantee Council) ने उनकी सेवाएं समाप्त करने का निर्देश दिया था। 

अभिषेक शुक्ला की नियुक्ति के खिलाफ परमेश्वर सिंह की याचिका

रिट याचिका संख्या (W.P. No.) 29872/2018 परमेश्वर सिंह (Parmeshwar Singh) नामक एक अन्य उम्मीदवार द्वारा दायर की गई थी, जिसमें उन्होंने एक जांच रिपोर्ट (enquiry report, Annexure P-6) के अनुसार परिणामी कार्रवाई (consequential action) करने की मांग की थी, जिसमें अभिषेक शुक्ला की नियुक्ति में विभिन्न अवैधताएं (various illegalities) पाई गई थीं।

अभिषेक शुक्ला की नियुक्ति कैसे हुई

नियुक्ति का यह मामला ग्राम रोजगार सहायक (Gram Rojgar Sahayak) के पद पर ग्राम पंचायत, मलहदू, जनपद पंचायत, पाली, जिला उमरिया में संबंधित है। 2010 में नियुक्ति की अधिसूचना (notification) जारी की गई थी, लेकिन कार्यवाही रोक दी गई थी क्योंकि अभिषेक शुक्ला कथित तौर पर नाबालिग (minor) थे। 2012 में, जब वह बालिग (age of majority) हो गए, तो प्रक्रिया फिर से शुरू की गई। केवल 4 आवेदन प्राप्त हुए और अभिषेक शुक्ला का चयन (selection) हो गया। अभिषेक शुक्ला के पिता, श्री चंद्रमोहन शुक्ला, जनपद पंचायत के उपाध्यक्ष (Vice-Chairman of Janpad Panchayat) थे, और उनकी माँ उसी ग्राम पंचायत की उप-सरपंच (Up-Sarpanch) थीं।

याचिकाकर्ता का तर्क

याचिकाकर्ता के वरिष्ठ वकील (Senior Counsel) ने तर्क दिया कि चूंकि चयन योग्यता (qualification), अनुभव (experience) आदि के आधार पर विशुद्ध रूप से योग्यता (merit) पर था, और यह किसी साक्षात्कार (interview) या व्यक्तिपरक संतुष्टि (subjective satisfaction) पर आधारित नहीं था, इसलिए उनके माता-पिता के पद पर होने का मतलब यह नहीं था कि प्रक्रिया में हेरफेर (manipulate) किया गया। यह भी तर्क दिया गया कि पंचायत पदाधिकारियों द्वारा अंकों के आवंटन की स्थापित प्रणाली को बदला नहीं जा सकता था, और पंचायत सचिवों से संबंधित म.प्र. पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम (M.P. Panchayat Raj Evam Gram Swaraj Adhiniyam) की धारा 69(1) की तरह कोई अयोग्यता खंड (disqualification clause) इसमें नहीं था। 

फर्जी प्रमाण पत्र और विश्वविद्यालय की वैधता 

अभिषेक शुक्ला की नियुक्ति के खिलाफ मुख्य आधार यह था कि उन्होंने सी.एम.जे. विश्वविद्यालय, मेघालय (C.M.J. University, Meghalaya) से डी.सी.ए. (कंप्यूटर शिक्षा में डिप्लोमा) (D.C.A. - Diploma in Computer Education) का प्रमाण पत्र प्राप्त किया था, जिसे जांच में जाली (forged) पाया गया था। 

Status of C.M.J. University

माननीय सर्वोच्च न्यायालय (Hon'ble Apex Court) द्वारा सी.एम.जे. विश्वविद्यालय, मेघालय की वैधता (validity) को निर्णायक रूप से तय कर दिया गया था। राज्यपाल/विज़िटर (Governor/Visitor) ने 12.06.2013 को विश्वविद्यालय को भंग (dissolution) करने की सिफारिश की थी, जिसमें कुप्रबंधन (mismanagement), अनुशासनहीनता (indiscipline), खराब प्रशासन (mal-administration), और आपराधिक दायित्व (criminal liability) जैसे कारण बताए गए थे।

राज्यपाल/विज़िटर ने विश्वविद्यालय को अब तक प्रदान की गई सभी डिग्रियों को वापस लेने (recall and withdraw all the degrees) का निर्देश दिया था। सर्वोच्च न्यायालय ने इस मामले पर विचार किया (Civil Appeal No. 9694 of 2024, दिनांक 13.02.2025) और अंततः राज्य सरकार (State Government) के विश्वविद्यालय को 31.03.2014 से भंग करने (dissolution) के निर्णय की पुष्टि (affirmed) की। सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी फैसला सुनाया कि कुलपति की नियुक्ति (appointment of the Chancellor) शून्य और अमान्य (non est and void ab initio) थी। 

Final Judgment of the High Court

उच्च न्यायालय ने निष्कर्ष निकाला कि विश्वविद्यालय की समाप्ति (winding up) को सर्वोच्च न्यायालय द्वारा समर्थित (upheld) किया गया है, और विश्वविद्यालय को सभी डिग्रियों को वापस लेने का निर्देश भी बरकरार रखा गया है। यह स्पष्ट है कि याचिकाकर्ता को एक अवैध (utterly illegal) प्रमाण पत्र के आधार पर कंप्यूटर डिप्लोमा अंक (Computer Diploma Marks) गलत तरीके से दिए गए थे, और इसलिए उनकी नियुक्ति त्रुटिपूर्ण (erroneous) थी। 

इस प्रकार अभिषेक शुक्ला की सेवा समाप्ति को चुनौती देने वाली याचिका को खारिज (dismissed) कर दिया गया, और याचिकाकर्ता की सेवा समाप्ति के आदेशों (orders in the matter of termination of services) (Annexure P-15 और P-16) को बरकरार (upheld) रखा गया।

अभिषेक शुक्ला की नियुक्ति के विरुद्ध दायर की गई याचिका डब्ल्यूपी संख्या 29872/2018 (जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई की मांग) को निष्फल (infructuous) मानते हुए निपटा दिया गया, क्योंकि जांच रिपोर्ट पर कार्रवाई हो चुकी थी और सेवा समाप्ति के आदेशों को उच्च न्यायालय ने बरकरार रखा है।

CMJ University से संबंधित हाई कोर्ट के आदेश की डायरेक्ट लिंक

मध्य प्रदेश उच्च न्यायालय के विस्तृत आदेश के लिए कृपया यहां क्लिक करें। सिस्टम आपको रीडायरेक्ट करेगा और आपकी स्क्रीन पर मध्य प्रदेश हाई कोर्ट की आधिकारिक वेबसाइट पर अपलोड जजमेंट की पीडीएफ फाइल डिस्प्ले हो जाएगी। ऑनलाइन पढ़ सकते हैं और डाउनलोड भी कर सकते हैं।
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