मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल के कलेक्टर ऑफिस में आज बड़ा मजेदार घटनाक्रम हुआ। टाइम लिमिट की सबसे इंपॉर्टेंट मीटिंग में अनुपस्थित कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह ने जिला स्तरीय समीक्षा / सलाहकार समिति की बैठक में अनुपस्थित दो अधिकारियों को कारण बताओं नोटिस थमा दिया। सही भी है, अधिकारी अनुपस्थित हो तो कलेक्टर नोटिस दे सकते हैं, लेकिन यदि कलेक्टर ही अनुपस्थित हो तो उनको नोटिस कौन देगा।
एक बार फिर टाइम लिमिट की मीटिंग में कलेक्टर की खाली कुर्सी
कहते हैं कि प्रशासनिक दृष्टि से साप्ताहिक समय-सीमा पत्रों की समीक्षा बैठक सबसे महत्वपूर्ण होती है। इस दिन पूरा जिला प्रशासन एकत्रित होता है। कलेक्टर पिछले सप्ताह की समीक्षा करते हैं और अगले सप्ताह के लिए टारगेट सेट करते हैं। इसी मीटिंग में अधिकारियों की समस्याओं और सुझावों पर भी चर्चा होती है। कुल मिलाकर यह एक ऐसी मीटिंग होती है जब पूरा प्रशासन एक साथ बैठकर जिले की समस्याओं पर विचार करता है और उनके समाधान तैयार करता है। आज एक बार फिर कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह इस बैठक में उपस्थित नहीं थे। यह पहली बार नहीं है, श्री कौशलेंद्र विक्रम सिंह अक्सर टाइम लिमिट की मीटिंग और जनसुनवाई में अनुपस्थित होते हैं। जिले के सर्वोच्च अधिकारी हैं इसलिए उनसे कोई सवाल नहीं करता।
सलाहकार समिति की बैठक में अनुपस्थित अधिकारियों को कारण बताओ नोटिस जारी
कलेक्टर श्री कौशलेंद्र विक्रम ने कलेक्टर कार्यालय के सभाकक्ष में जिला स्तरीय समीक्षा / सलाहकार समिति की बैठक की अध्यक्षता की। बैठक में अनुपस्थित जनजातीय कार्य विभाग एवं उद्यानिकी एवं खाद्य प्रसंस्करण विभाग अधिकारी को कारण बताओ नोटिस जारी करने के निर्देश दिए। हालांकि बैठक में कुछ खास नहीं हुआ। बैठक में मुख्य कार्यपालन अधिकारी जिला पंचायत श्रीमती इला तिवारी, भारतीय रिजर्व बैंक एजीएम श्री मयंक सेमवाल, नाबार्ड बैंक एजीएम सुश्री जगप्रीत कौर, अग्रणी जिला प्रबंधक श्री आलोक चक्रवर्ती, समस्त बैंकों के जिला समन्वयक उपस्थित रहे।