कर्मचारियों को सातवां वेतनमान मिलने के बाद रिश्वत की रकम में बेतहाशा वृद्धि हो गई है। पहले जांच रिपोर्ट जारी करने के लिए बाबू चाय पानी मांगता था। अब ₹500000 मांगने लगा है। आज लोकायुक्त जबलपुर की टीम ने भोपाल में छापामार कार्रवाई करते हुए मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम के बाबू को ₹1 लाख रिश्वत लेते रंगे हाथों की रफ्तार किया है।
Madhya Pradesh Scheduled Caste Finance and Development Corporation का मामला
मध्य प्रदेश शासन की लोकायुक्त टीम द्वारा गिरफ्तार किए गए कर्मचारी का नाम जीवनलाल बरार बताया गया है। मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम में पदस्थ है। छिंदवाड़ा के वाणिज्य कर विभाग में पदस्थ उषा दाभीरकर ने जीवन लाल के खिलाफ कार्यालय पुलिस अधीक्षक लोकायुक्त, जबलपुर में शिकायत की थी। शिकायत में बताया था कि वह वाणिज्य कर विभाग में सहायक ग्रेड-2 पद पर पदस्थ हैं। उनके जाति प्रमाणपत्र की जांच आयुक्त, अनुसूचित जाति विकास कार्यालय राजीव गांधी भवन, भोपाल में लंबित है। नियम के अनुसार जांच रिपोर्ट जारी करने के बदले में जीवनलाल बरार (61), सहायक ग्रेड-1 मध्य प्रदेश अनुसूचित जाति वित्त एवं विकास निगम, भोपाल द्वारा ₹500000 रिश्वत की मांग की जा रही है।
भोपाल के पंचशील नगर में SCDC बाबू के घर छापा, जीवनलाल बरार गिरफ्तार
शिकायत मिलने पर लोकायुक्त पुलिस अधीक्षक ने, महिला कर्मचारी की शिकायत के सत्यापन के निर्देश दिए। महिला कर्मचारियों ने योजना के अनुसार जीवनलाल से बात की। दोनों की बातचीत को ऑडियो रिकॉर्ड किया गया। इस बातचीत के दौरान ₹100000 पहली किस्त के रूप में देने पर सहमति बनी। जीवनलाल ने महिला कर्मचारी को रिश्वत के साथ भोपाल में अपने घर (मकान नंबर G-21, प्रशासनिक अकादमी के सामने, पंचशील नगर, भोपाल) पर बुलाया। पुलिस अधीक्षक द्वारा हनी दल का गठन किया गया।
सभी लोग योजना के अनुसार भोपाल आ गए। यहां पर जैसे ही महिला कर्मचारियों ने, जीवनलाल को, मांगी गई रिश्वत की रकम का ₹100000 दिया, वैसे ही मौके पर सिविल ड्रेस में मौजूद लोकायुक्त की टीम ने जीवनलाल को पकड़ लिया। केमिकल टेस्ट रिपोर्ट पॉजीटिव आने के बाद जीवनलाल के खिलाफ भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है।