पूर्व मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह की धमकी का असर दिखाई देने लगा है। कांग्रेस पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी आज गुना पहुंचे और श्री जयवर्धन सिंह को अपने समकक्ष अर्थात प्रदेश अध्यक्ष के बराबर, प्रदेश स्तरीय नेता बताया। सूत्रों का कहना है कि, श्री दिग्विजय सिंह को अपमानित करने के लिए श्री जयवर्धन सिंह को गुना का जिला अध्यक्ष बनाया गया था।
पगड़ी बांधकर सम्मान दिया या सरेंडर किया
श्री जीतू पटवारी ने श्री जयवर्धन सिंह को पगड़ी बांधी। दोनों राजस्थान के बॉर्डर एरिया से आते हैं। यहां पर पगड़ी का बड़ा महत्व है। पूर्व काल में जब एक राजा दूसरे राजा के सामने सरेंडर करता था, तो उसके पैरों में अपनी पगड़ी रख देता था। आज भी राजस्थान में जब कोई व्यक्ति किसी दूसरे व्यक्ति को सर्वश्रेष्ठ सम्मान देना चाहता है, तो उसकी पगड़ी बांधता है। वीडियो में जीतू पटवारी पगड़ी बांधते हुए दिखाई दे रहे हैं परंतु यह राजनीति है। सवाल तो बनता है कि, जीतू पटवारी, जयवर्धन सिंह को सम्मान दे रहे हैं या दिग्विजय सिंह द्वारा कमलनाथ पर किए गए हमले से डर कर सरेंडर कर रहे हैं। क्योंकि यदि सम्मान देना होता तो जयवर्धन सिंह के पदभार ग्रहण समारोह में शामिल होते हैं। जो कुछ सड़क किनारे खड़े होकर कहा है, वही बात मंच से कहते।
दिग्विजय सिंह ने जो कुछ सिंधिया के साथ किया, वही उनके साथ हुआ
श्री दिग्विजय सिंह हमेशा कहते हैं कि सिंधिया परिवार से उनके काफी मधुर और व्यक्तिगत संबंध है परंतु जब समर्थन की बात आती है तो हमेशा सिंधिया विरोधी के साथ नजर आते हैं। मध्य प्रदेश में जब कांग्रेस पार्टी के विधायकों द्वारा मुख्यमंत्री पद के लिए अपने नेता का चुनाव किया जाना था तो दिग्विजय सिंह के विधायकों ने कमलनाथ का साथ दिया। ताजा मामले में बिल्कुल ऐसा ही हुआ है। इस बार जीतू पटवारी ने कमलनाथ का साथ दिया। तब सिंधिया को छोटा कर दिया गया था। इस बार दिग्विजय सिंह को छोटा कर दिया गया।
जीतू पटवारी: 2 पाटों के बीच में पिसेंगे या पाटों को तोड़ देंगे
मध्य प्रदेश कांग्रेस की पॉलिटिक्स में एक नई सिचुएशन क्रिएट हुई है। जीतू पटवारी प्रतिशत अध्यक्ष है। उनका अपना एजेंडा और अपना एंबीशन है। इसके बावजूद मध्य प्रदेश में उनका अपना स्वतंत्र अस्तित्व नहीं बन पा रहा है। एक तरफ कमलनाथ और दूसरी तरफ दिग्विजय सिंह दबाव बनाते हैं। दोनों के समर्थकों की लंबी लिस्ट है और दोनों अपनी टीम के लिए फायदा चाहते हैं। इसके अलावा दोनों पुत्रमोही हैं। दोनों चाहते हैं कि, जीतू पटवारी भाजपा सरकार के खिलाफ माहौल बनाए। फिर मैं अपने समर्थकों को टिकट दिलाऊंगा और अपने बेटे को मुख्यमंत्री बनाऊंगा। लेकिन जीतू पटवारी कोई "चना" नहीं है, जो पिस जाएगा। दोनों पाटों में दरार तो पड़ ही गई है, इस बात की भी संभावना है कि "लोहे का चना" दोनों पाटों के टुकड़े-टुकड़े कर दे।