मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में स्थित भारत के सबसे अव्वल अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थानों में से एक संस्थान में एडमिशन लेने के लिए आए कानपुर के छात्र को एम्स भोपाल में तो एडमिशन नहीं मिला लेकिन पुलिस थाने में भर्ती कर लिया गया। डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन के बाद, उसे भोपाल सेंट्रल जेल में एडमिशन दे दिया गया।
NEET EXAM क्लियर किए बिना ही MBBS में एडमिशन
बात कुछ ऐसी है कि कानपुर के 22 वर्षीय लवकुश प्रजापति NEET EXAM क्लियर किए बिना ही MBBS की पढ़ाई करने के लिए मेडिकल कॉलेज में एडमिशन प्राप्त करना चाहते थे। उनके एक दोस्त को AIIMS की परीक्षा में सफलता प्राप्त हो गई थी। लव कुश ने किसी प्रकार से अपने दोस्त से उसका अलॉटमेंट लेटर प्राप्त किया फिर उसको एडिट करके उसमें अपना फोटो और अपना रोल नंबर लिखकर अपना अलॉटमेंट लेटर तैयार कर लिया। यह लेकर लव कुश भोपाल चला आया। उसने एडमिशन के लिए अपने डॉक्यूमेंट सबमिट कर दिए। डॉक्यूमेंट में उसने अपनी ऑल इंडिया रैंक 284 बताई थी। क्रॉस चेक करने पर पता पड़ा कि ऑल इंडिया रैंक 284 का एडमिशन तो एम्स भोपाल में हुआ है।
इसके बाद डॉक्यूमेंट वेरिफिकेशन का काम भोपाल पुलिस को दे दिया गया। बागसेवनिया थाना पुलिस द्वारा डॉक्यूमेंट की जांच की गई तो, डॉक्यूमेंट फर्जी पाए गए। सरकारी दस्तावेज की कूटरचना का मामला दर्ज किया गया। लव कुश प्रजापति को एडमिशन तो मिला लेकिन एम्स भोपाल में नहीं बल्कि सेंट्रल जेल भोपाल में।