मध्य प्रदेश के भिंड जिले में विधायक और कलेक्टर के बीच में हिंसा की स्थिति बन गई। दोनों की शब्दावली एक दूसरे के प्रति अमर्यादित और भड़काऊ थी। यह मुलाकात किसानों के बहाने हुई थी परंतु दोनों के बीच में लड़ाई का कारण अवैध रेत का कारोबार था।
पूरा घटनाक्रम पढ़िए
भिंड विधायक नरेंद्र सिंह कुशवाह अपने समर्थकों के साथ कलेक्टर आवास पर पहुंचे थे। यहां कलेक्टर संजीव श्रीवास्तव मेन गेट पर आए। यहां विधायक ने तू-तड़ाक (अमर्यादित शब्दों में बातचीत) शुरू कर दी। इस पर कलेक्टर नाराज हो गए। कलेक्टर ने उंगली दिखाई और कहा औकात में बातचीत करना। विधायक कुशवाह ने आंखें दिखाते हुए दांतों को पीसते हुए मुक्का बांधकर दिखाया। इस पर समर्थक भी गुस्साए और कहा कि औकात से बोलना। फिर नारेबाजी की। इस समय कलेक्टर गेट के अंदर को हुए। विधायक कुशवाह ने फिर थप्पड़ मारने के लिए हाथ दिखाया। तभी गार्ड आगे आए। उन्होंने कलेक्टर को भीतर करते हुए विधायक और कलेक्टर के बीच गेट पर हाथ रख लिए। इस घटनाक्रम के दौरान मौके पर सिर्फ तीन वर्दी धारी गार्ड थे, इनमें से एक विधायक का सिक्योरिटी गार्ड था, जबकि विधायक के साथ एक दर्जन से अधिक लोग थे।
कलेक्टर- रेत की चोरी नहीं चलने दूंगा , विधायक- तू सबसे बड़ा चोर है
विधायक- तू मुझे जानता नहीं है। कई बार समझा दिया फिर भी नहीं मानता।
कलेक्टर- रेत की चोरी नहीं चलने दूंगा।
विधायक- तू सबसे बड़ा चोर है।
कलेक्टर ने ओझा गांव की रेत खदान के बारे में बोलना चाहा तभी विधायक ने फिर आंखें दिखाई और गुस्साए। इस दौरान कलेक्टर ने फिर कुछ कहा। इस पर फिर विधायक बंगले में घुसने लगे। इसी दौरान विधायक के गार्ड ने कहा भाई साहब बैठकर बातचीत कर लीजिए।
विधायक- प्राइवेट आदमियों से वसूली करवा रहे हो। वहां पटवारी भेज दिए।
इसके बाद विधायक के कुछ समर्थक नारे लगा रहे थे। वो रुके तो विधायक बोले- लगाओ नारे। इसी समय कलेक्टर से फिर विधायक बोले- पटवारी कैसे बैठाए। फिर कलेक्टर अंदर चले गए। इसी समय विधायक अभद्र भाषा में बोलते हुए गेट के अंदर घुस गए और बोले- तू आ जा तुझे देखता हूं। तू आजा।
इस पर कलेक्टर फिर लौटे और विधायक के समर्थकों को डांटते हुए बोले मेरे घर के अंदर आकर वीडियो क्यों बना रहे हो। मेरे घर के अंदर वीडियो बना रहे हो। इस पर समर्थकों ने मोबाइल बंद कर लिया।
किसानों की समस्या इसके बहाने दबाव बनाया
विधायक श्री नरेंद्र कुशवाहा, किसानों की समस्याओं को लेकर कलेक्टर से मिलने आए थे, लेकिन जब दोनों की मुलाकात हुई तो पता चला कि कहानी कुछ और है। किसानों की समस्याओं पर किसी ने कोई बात नहीं की। किसान, बिना समाधान के अपनी समस्याओं के साथ वापस लौट गए। प्रदर्शनकारी किसानों ने कहा कि वे रात 12 बजे से सहकारी समितियों के बाहर कतार में खड़े हो जाते हैं, लेकिन उन्हें मुश्किल से एक या दो बोरी खाद ही मिल पा रही है। वे लगातार जनप्रतिनिधियों और प्रशासन से गुहार लगा रहे हैं, लेकिन समस्या का समाधान नहीं हो रहा है। किसानों का आरोप है कि खाद खुले बाजार में महंगे दामों पर आसानी से उपलब्ध है, जिससे कालाबाजारी की आशंका गहरा रही है।