भोपाल। अर्चना प्रकाशन न्यास भोपाल के तत्वावधान में वरिष्ठ लेखक श्रीराम माहेश्वरी की पुस्तक 'भक्ति सिद्धि और राम' का लोकार्पण विश्व संवाद केंद्र शिवाजी नगर भोपाल में संपन्न हुआ। मुख्य अतिथि पूर्व अध्यक्ष मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग श्री अशोक पाण्डेय जी ने अपने उद्बोधन में कहा कि- भारतीय संस्कृति में आध्यात्मिक ग्रंथों का विशेष महत्व है। भक्ति सिद्धि और राम पुस्तक में केवल आध्यात्मिक महत्व की बातें ही नहीं है, इसमें सामाजिक पहलुओं को भी समाहित किया गया है। इस अवसर पर उन्होंने पुस्तक को अच्छी संग्रहण और उपयोगी बताया है।
अध्यक्षता करते हुए वरिष्ठ पत्रकार एवं संयोजक सप्रे संग्रहालय पद्मश्री विजयदत्त श्रीधर जी ने कहा कि रामायण महाभारत और गीता भारत के महान ग्रंथ हैं। इनका पारायण करके मनुष्य आध्यात्मिक विकास कर सकता है उन्होंने ग्रंथों की उपयोगिता बताते हुए आगे कहा कि लगभग दो शताब्दियों पहले भारत से सैकड़ो मजदूरों को छलपूर्वक मॉरीशस फिजी त्रिनिदाद आदि अनेक दीपों में उपनिवेशों में काम करने के लिए ले जाया गया था। यह मजदूर अपने साथ तुलसी पौधा, गंगाजल और रामायण ले गए ले गए थे। भारतीय संस्कृति और अध्यात्म की इन तीनों महान विरासतों ने उन्हें जीवित रखा साथ ही उन्होंने बंजर द्वीपों को समृद्ध भी किया।
विशिष्ट अतिथि माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के कुलगुरु विजय मनोहर तिवारी जी ने कहा कि भक्ति से सिद्धि प्राप्त होते ही व्यक्तित्व राममय हो जाता है। सारस्वत अतिथि वरिष्ठ साहित्यकार प्रभुदयाल मिश्र ने सिद्धियों के प्रकार व उनके योग में महत्व का वर्णन किया।
कृति के रचनाकार श्रीराम माहेश्वरी ने पुस्तक की विषय वस्तु के संदर्भ में बताया कि- भक्ति सिद्धि और राम पुस्तक में भक्ति का परिचय, मानस में नवधा भक्ति, श्रीमद् भागवत में भक्ति, श्रीमद्भगवत गीता में भक्ति तथा पूज्य संतों की राम भक्ति का विवरण प्रकाशित किया गया है। सिद्धि के अंतर्गत पतंजलि योगसूत्र में वर्णित अष्ट सिद्धियां, श्रीमद्भागवत में सिद्धियां उपनिषदों में वर्णित सिद्धियों का उल्लेख किया गया है। स्तुति, उपासना और सिद्धि की व्याख्या की गई है। अगले अध्यायों में भगवान श्रीराम की कथाओं का संक्षिप्त वर्णन है।
कार्यक्रम में स्वागत वक्तव्य अर्चना प्रकाशन के निदेशक श्री ओमप्रकाश गुप्ता जी ने दिया। कार्यक्रम का संचालन अखिल भारतीय साहित्य परिषद महामंत्री, वरिष्ठ साहित्यकार श्रीमती सुनीता यादव ने किया। सरस्वती वंदना सुनीता शर्मा ने किया। पुस्तक पर अपने विचार गीतकार ऋषि श्रृंगारी जी ने रखे, आभार अर्चना प्रकाशन के उपाध्यक्ष श्री माधव सिंह दांगी जी ने व्यक्त किया। कार्यक्रम में बड़ी संख्या में साहित्यकार व विदुषी बहनें उपस्थित रही।