मध्य प्रदेश राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी एवं खंडवा में डिप्टी कलेक्टर श्री दिनेश सांवले के सरकारी बंगले पर जबरदस्ती ड्यूटी के लिए बुलाए गए कर्मचारी की संदिग्ध परिस्थिति में मृत्यु हो गई। मामला हाई प्रोफाइल है और मरने वाला कर्मचारी चतुर्थ श्रेणी है इसलिए बड़ी ही आसानी से मृत्यु का कारण हार्ट अटैक बताने की योजना पर काम शुरू हो चुका है। जबकि अभी तक पोस्टमार्टम रिपोर्ट नहीं आई है।
रविवार को ड्यूटी के लिए बुलाया गया था
मरने वाले कर्मचारी का नाम रामलाल पिता नत्थू कौशल (58) है, जो पंधाना तहसील के ग्राम सुल्तानपुर (कुमठी) के रहने वाले थे एवं राजस्व विभाग में गांव के कोटवार के पद पर पदस्थ थे। कोटवार का ड्यूटी क्षेत्र केवल अपना गांव होता है। उसे कभी भी किसी भी अधिकारी के बंगले पर चौकीदारी के लिए नियुक्त नहीं किया जा सकता। इसके बावजूद डिप्टी कलेक्टर द्वारा कोटवार रामलाल को रविवार को गांव से ड्यूटी के लिए खंडवा बुलाया गया था। वे रात को बंगले पर बने चौकीदार कक्ष में थे। रामलाल के बेटे ने बताया कि सोमवार दोपहर पटवारी का फोन आया कि पिता बीमार हैं और अस्पताल में भर्ती हैं। जब वे पहुंचे तो पिता का शव मिला। इससे पहले वे रविवार को ही ड्यूटी पर आए थे।
डिप्टी कलेक्टर दिनेश सांवले कोटवारों से अपने बंगले की चौकीदारी करवा रहे थे
जानकारी सामने आई है कि डिप्टी कलेक्टर दिनेश सांवले ने एसडीएम का चार्ज हटने के बाद भी पंधाना क्षेत्र से कोटवारों को अपने बंगले पर बुलाकर चौकीदारी करवाई। पटवारी संगठन ने बताया कि अलग-अलग कोटवारों से बारी-बारी से बंगले पर ड्यूटी कराई जाती है।
पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पहले ही केस क्लोज करने की तैयारी
रामलाल का पोस्टमार्टम जिला अस्पताल की मर्च्युरी में कराया गया। पटवारी, आरआई और कई कोटवार मौजूद रहे। प्राथमिक अनुमान में मौत का कारण हार्ट अटैक माना जा रहा है। रिपोर्ट आने के बाद ही सही कारण पता चलेगा।
कलेक्टर ने कर्मचारियों से बेकार करवाने वाले डिप्टी कलेक्टर के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की
कर्मचारी की मृत्यु का कारण कुछ भी हो लेकिन एक बात स्पष्ट रूप से प्रमाणित हो गई है कि, कोटवार को चौकीदारी करने के लिए डिप्टी कलेक्टर द्वारा अपने बंगले पर बुलाया गया था। यह भी स्पष्ट हो गया है कि कोटवारों को नियमित रूप से डिप्टी कलेक्टर के बंगले पर भेजा जा रहा था। यह कर्मचारियों के शोषण का मामला है। डिप्टी कलेक्टर को निलंबित करके विभाग की जांच करवाई जानी चाहिए, लेकिन खंडवा कलेक्टर ने अब तक कुछ नहीं किया है।