मध्य प्रदेश शासन के अंतर्गत स्कूल शिक्षा विभाग में लापरवाह शिक्षकों को हर रोज सैकड़ो नोटिस दिए जाते हैं। इसका उद्देश्य व्यवस्था को सुधारना नहीं बल्कि शिक्षकों पर दबाव बनाना और अपनी बात मनवाना ज्यादा होता है। आज कटनी में संयुक्त संचालक लोक शिक्षण अरूण कुमार इंगले द्वारा 9 शिक्षकों को नोटिस दिया गया। अब देखना यह है कि, अरूण कुमार इंगले आगे क्या करते हैं।
कटनी के एक सरकारी स्कूल में 7 शिक्षक गायब मिले
कटनी के स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा बताया गया कि, संयुक्त संचालक लोक शिक्षण अरूण कुमार इंगले द्वारा विगत दिनों जिले के शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पिपरौंध और शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहाड़ी निवार का औचक निरीक्षण किया गया। इस दौरान पिपरौंध स्कूल के 7 शिक्षक बिना सूचना एवं आवेदन पत्र के स्कूल से अनुपस्थित रहे। जबकि पहाड़ी निवार स्कूल के 2 शिक्षक कक्षा में गाइड का प्रयोग कर छात्रों को पढ़ाते मिले, जिस पर नाराजगी व्यक्त करते हुये संयुक्त संचालक ने कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया है। इन सभी को 7 दिवस के अंदर अपना तथ्यात्मक प्रतिवाद प्रस्तुत करने के निर्देश दिये गए हैं।
इन शिक्षकों को कारण बताओं नोटिस जारी किया गया
शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय के जिन 7 शिक्षकों को बिना सूचना एवं आवेदन पत्र दिये अनुपस्थित रहने पर कारण बताओ सूचना पत्र जारी किया गया है, उनमें शिक्षक चंद्रकांता दुबे, नीलू वर्मा, शिल्पा तिवारी, सायरा बानो, अरूण कुमार एवं लेखापाल रामसुजान व पीटीआई प्रमोद बिहरिया शामिल है। बिना आवेदन के इन सभी के गायब रहने से शैक्षणिक व्यवस्था में व्यवधान पैदा होने पर नोटिस जारी किया गया है।
इसी प्रकार शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय पहाड़ी निवार के 2 उच्चतर माध्यमिक शिक्षक क्रमश: जयंती इक्का और संध्या तिवारी को कक्षा में गाइड का प्रयोग कर निरीक्षण के दौरान छात्रों को पढ़ाते पाये जाने पर नोटिस जारी किया गया है। शिक्षक को प्रचलित पुस्तकों से ही शिक्षण कार्य कराना चाहिए था। लेकिन गाइड से पढ़ाने के कृत्य को संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ने इसे सिविल सेवा आचरण नियम के विपरीत और कदाचरण की श्रेणी में माना।
7 अगस्त को निरीक्षण किया था, 12 अगस्त को नोटिस जारी किए
बताते चलें कि संयुक्त संचालक लोक शिक्षण ने 7 अगस्त को अपनी टीम के साथ पिपरौंध और पहाड़ी निवार स्कूल का निरीक्षण किया था। इस दौरान उपसंचालक लोक शिक्षण श्री पीपी सिंह भी मौजूद थे। यहां संयुक्त संचालक की मंशा पर भी सवाल उठता है क्योंकि उन्होंने 7 अगस्त को निरीक्षण किया था और 12 अगस्त को नोटिस जारी किए गए। जबकि निरीक्षण के 24 घंटे के भीतर नोटिस जारी किया जाना चाहिए।