खबर मध्य प्रदेश के वन विभाग से आ रही है। यहां सीसीएफ शिवपुरी द्वारा भ्रष्टाचार की शिकायत सही पाए जाने पर डिमोशन किए गए कार्यवाहक वनपाल को फिर से पदस्थापना दे दी गई है। इस बार पहले से अच्छी रेंज दी गई है। डिमोशन ऑर्डर से नई पोस्टिंग तक के रास्ते को सीसीएफ शिवपुरी द्वारा साफ किया गया। उन्होंने अपना ही आदेश निरस्त कर दिया और फाइनल डिसीजन के लिए डीएफओ गुना को अधिकृत कर दिया। इस समाचार के साथ वह दोनों आदेश संलग्न है जो सीसीएफ शिवपुरी द्वारा जारी किए गए। एक आदेश में डिमोशन किया गया और दूसरे आदेश में बिना कोई कारण बताए अपना ही आदेश निरस्त कर दिया गया। बताया जा रहा है कि इस पोस्टिंग के लिए बड़े पॉलीटिकल प्रेशर का उपयोग किया गया है। यदि यह बात सही है तो क्या शिवपुरी और गुना में वन विभाग की जमीन, जंगल और वन्य प्राणी खतरे में है?
फाइनल डिसीजन के लिए DFO गुना अधिकृत
गुना जिले में पदस्थ कार्यवाहक वनपाल धीरज दीक्षित के विरुद्ध फतेहगढ़ रेंज में पदस्थी के दौरान ग्रामीणों द्वारा अवैध वसूली, अवैध अतिक्रमण, अनियमितता की शिकायत की। उक्त शिकायत को मप्र शासन स्तर से समय सीमा में लेकर जांच दल गठित कर जांच कराई गई, जांच के दौरान कावा. वनपाल धीरज दीक्षित जांच में दोषी पाए गए। दोषी पाए जाने के बाद वन मंडलाधिकारी गुना द्वारा दिनांक 14.11.24 को कावा वनपाल को निलंबित कर दिनांक 18.12.24 को विभागीय जांच संस्थित की गई। उक्त विभागीय जांच में भी वनपाल के विरुद्ध आरोप सही पाए गए, जांच लंबित है विभागीय जांच में दोषयुक्त का अंतिम निर्णय डीएफओ गुना को करना है।
रसूख से कराया डिमोशन आदेश निरस्त
कावा वनपाल के विरुद्ध की गई जांच में दोषयुक्त पाए जाने पर निलंबन उपरांत दिनांक 10.02.25 को मुख्य वन संरक्षक शिवपुरी ने धीरज दीक्षित को कार्यवाहक वनपाल के उच्चतर प्रभार हेतु अपात्र किया जाकर वन रक्षक के पद पर पदस्थ हेतु डिमोशन आदेश जारी किया। इस आदेश में सीसीएफ द्वारा वनपाल के विरुद्ध लंबित विभागीय जांच के निराकरण उपरांत उच्च पर के प्रभार हेतु आगामी बैठक में विचार करने का उल्लेख किया। विभागीय जांच लंबित होने के दौरान ही सीसीएफ शिवपुरी द्वारा स्वयं के द्वारा जारी किए गए धीरज दीक्षित के उक्त डिमोशन आदेश को दिनांक 10.03.25 को निरस्त कर दिया। इससे साफ संदेश था कि धीरज दीक्षित को बचाने का प्रयास है।
स्थानांतरण पर रोक फिर भी बन गए सब रेंज प्रभारी
वनपाल धीरज दीक्षित अपने राजनैतिक रसूख से जिले की महत्वपूर्ण वन संपदा वाली सब रेंज में मैदानी पदस्थापना पाने में सफल हुए हैं। वर्तमान में स्थानांतरण पर रोक लगी हुई है और विभागीय जांच में दोषी पाए जाने के बाद भी वनपाल ने अपने राजनैतिक रसूख से राधौगढ़ रेंज अंतर्गत रूठियाई सब रेंज पर पोस्टिंग पा ली।
ऐसे में सवाल ये उठता है कि क्या वन विभाग में धीरज दीक्षित से ज्यादा मेहनती और काबिल कोई वनपाल नहीं है? विभागीय जांच में दोषयुक्त पाए जाने के बाद विभागीय सजा देने के बजाय वनपाल को मैदानी पदस्थापना देकर हौंसला अफजाई की गई है।
अकूत संपत्ति का मालिक वनपाल?
हमारे सूत्र का कहना है कि, उक्त वनपाल का चरित्र वन विभाग गुना के अधिकारी भलीभाती बता सकते है। वनपाल पर बिना परमिशन चार पहिया वाहन की शिकायत प्रमाणित पाई गई। शिकायत के बाद विभाग से परमिशन ली गई। वनपाल ने बिना अनुमति महंगा हथियार क्रय किया। वनपाल ने अपने निजी चार पहिया स्कॉर्पियो वाहन में हूटर लगाने की भी कोई परमिशन नहीं थी, वनपाल आम जनता में हूटर लगे वाहन से क्षेत्र में घूमते थे, जिससे आमजन में उनके ओहदे के हिसाब से अपने को बड़ा अधिकारी दिखाने का प्रयास करते रहे है। और जनता से वनभूमि पर कब्जा करवाते रहे, ये शिकायत भी प्रमाणित पाई गई। उक्त चरित्र के वनपाल को महत्वपूर्ण इलाके सागौन खैर के जंगलों को सुरक्षित रखने की जिम्मेदारी रूठियाई सब रेंज का प्रभार देना कहां तक विभाग ओर वन्य प्राणी प्रेमियों के लिए हितबद्ध होगा देखने की बात है।