भारत में वैदिक ज्ञान, संस्कृति और सभ्यता की प्रशंसा सभी करते हैं परंतु सरकारी स्तर पर उसे मानता नहीं देते। भारत में पहली बार विक्रमादित्य वैदिक घड़ी को सरकारी मान्यता दी गई है। राजधानी भोपाल में स्थित मुख्यमंत्री निवास के मुख्य द्वार पर वैदिक घड़ी लगाई जा रही है। यह घड़ी सूर्योदय से प्रारंभ होती है। यानी की दुनिया की घड़ी मध्य रात्रि में 00:00 से प्रारंभ होती है जबकि वैदिक घड़ी सूर्य उदय 00:00 से प्रारंभ होती है।
वैदिक घड़ी सिर्फ समय नहीं बताती: मुहूर्त, पंचांग, मौसम भी बताती है
वैदिक घड़ी को लखनऊ की संस्था 'आरोहण' के आरोह श्रीवास्तव ने टीम की मदद से तैयार किया है। इसमें GMT के 24 घंटों को 30 मुहूर्त (घटी) में बांटा गया है। हर घटी का धार्मिक नाम और खास मतलब है। घड़ी में घंटे, मिनट और सेकेंड वाली सुई भी रहेगी। सूर्योदय और सूर्यास्त के आधार पर यह टाइम कैलकुलेशन करती है। मुहूर्त गणना, पंचांग, मौसम से जुड़ी जानकारी भी हमें इस घड़ी के जरिए मिलेगी। यह घड़ी मुख्यमंत्री निवास के मुख्य द्वार पर लगाई जाएगी या नहीं आने जाने वाले सभी लोग इस घड़ी को देख सकते हैं और इस घड़ी से पंचांग एवं मुहूर्त सीख सकते हैं।
ऋग्वेद में काल गणना का सबसे प्राचीन सिद्धांत
ऋग्वेद में समय की पहली गणना का उल्लेख "मुहूर्त" के रूप में किया गया है। यह समय गणना एक सूर्योदय से दूसरे सूर्योदय तक की जाती थी। दो सूर्योदय के बीच 30 मुहूर्त (घंटे), 30 काल (मिनट) और 30 काष्ठा (सेकंड) होते थे। जिसमें सूर्योदय से सूर्यास्त तक 15 मुहूर्त और सूर्यास्त से सूर्योदय तक अगले 15 मुहूर्त होते हैं। इसका मतलब है कि प्राचीन भारतीय 30 घंटे की समय प्रणाली का उपयोग करते थे। 20वीं सदी तक यांत्रिक (mechanical) तकनीक के कारण इस उन्नत प्रणाली पर आधारित घड़ियाँ बनाना संभव नहीं था।
वैश्वीकरण के कारण गड़बड़ हो गई
पिछले 1000 वर्षों में, 1947 तक, भारत ने कई युद्ध लड़े, जिससे हमारे कई ग्रंथ और ज्ञान नष्ट हो गए। 24 घंटे की समय प्रणाली को वैश्विक स्तर पर 1884 में स्वीकार करा लिया गया। अब जब डिजिटल तकनीक उन्नत हो गई है, हम प्राचीन भारतीय समय प्रणाली पर आधारित घड़ियाँ बना सकते हैं, जो सूर्योदय से शुरू होती हैं।