कोर्ट के सामने कई बार क्षेत्राधिकार का प्रश्न आ जाता है। कभी-कभी जानकारी के अभाव के कारण कोर्ट क्षेत्राधिकार के बाहर आदेश जारी कर देता है। उदाहरण के लिए कोर्ट ने क्षेत्राधिकार के बाहर किसी व्यक्ति का गिरफ्तारी जारी कर दिया। पुलिस अधिकारी ने संबंधित व्यक्ति को गिरफ्तार कर लिया। तो इस प्रकार की गिरफ्तारी को क्या अपहरण माना जाएगा। क्या इस प्रकार के अपहरण के लिए संबंधित पुलिस अधिकारी को दंडित किया जाएगा। जानिए भारतीय न्याय संहिता में इस प्रकार की स्थिति के लिए क्या प्रावधान है:-
Bharatiya Nyaya Sanhita,, 2023 की धारा 16 की परिभाषा
यदि कोई व्यक्ति किसी Court के Decision या Order के पालन में कोई कार्य करता है, तो वह Crime नहीं माना जाएगा, भले ही उस Court को ऐसा Decision या Order देने की jurisdiction (अधिकारिता) न रही हो।
Essential elements of this section
1. Pursuant to a judgment or order of a court: यदि कोई व्यक्ति न्यायालय के निर्णय या आदेश के अनुसार कोई कार्य करता है, तो वह अपराध नहीं माना जाएगा।
2. Good faith belief: यह आवश्यक है कि व्यक्ति सद्भावपूर्वक विश्वास करे कि न्यायालय को ऐसा निर्णय या आदेश देने की अधिकारिता थी।
3. Lack of Empowerment: यदि न्यायालय को वास्तव में ऐसा निर्णय या आदेश देने की अधिकारिता नहीं थी, तो भी व्यक्ति का कार्य अपराध नहीं माना जाएगा, यदि उसने सद्भावपूर्वक विश्वास किया था कि न्यायालय को अधिकारिता थी।
मामला: Ramji vs State, 1959, इलाहाबाद उच्च न्यायालय
राम जी नाम के व्यक्ति को, हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। राम जी ने माननीय उच्च न्यायालय को बताया कि उसने, पुलिस के आदेश का पालन करने के लिए उस व्यक्ति की हत्या कर दी थी। दरअसल, पुलिस ने राम जी को आदेश दिया था कि वह उस व्यक्ति को हिरासत में लेकर पुलिस थाने तक आए। उसे किसी भी कीमत पर ना छोड़े। रास्ते में उसे व्यक्ति ने हिरासत से भागने का प्रयास किया और उसे रोकने की प्रक्रिया में, उस व्यक्ति की मृत्यु हो गई। इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने रामजी को बरी कर दिया। न्यायालय ने यह माना कि रामजी ने पुलिस के आदेश का पालन करते हुए उस व्यक्ति की हत्या की थी। रामजी ने यह भी साबित किया था कि वह सद्भावपूर्वक विश्वास करता था कि पुलिस को उस व्यक्ति को गिरफ्तार करने की अधिकारिता थी।
The Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 section 16, Punishment
Court के Order या Decision का पालन करवाना किसी भी तरह से अपराध की श्रेणी में नहीं आता है। ऐसे व्यक्ति के प्रति कोई परिवाद दायर करता है तो Court के आदेश या निर्णय के पालन करवाने वाले व्यक्ति को BNS की धारा 16 के अनुसार क्षमा किया जायेगा एवं किसी भी प्रकार के Crime का दोषी नहीं माना जाएगा।
✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।