सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल यानी कैट ने एक डिसीजन में स्पष्ट किया है कि प्रशासनिक स्तर पर होने वाली किसी भी प्रकार की लापरवाही का कर्मचारियों को नुकसान नहीं होना चाहिए। मामला एक कर्मचारी के प्रमोशन का था। उससे पहले उसके जूनियर्स का प्रमोशन कर दिया गया था।
सीनियर से पहले जूनियर्स को प्रमोशन दे दिया
जम्मू कश्मीर में एक मेडिकल ऑफिसर ने याचिका प्रस्तुत करते हुए बताया था कि प्रमोशन के लिए मेरिट लिस्ट में उसका नाम 62 नंबर पर था। फिर भी उसका प्रमोशन नहीं किया गया जबकि इस मेरिट लिस्ट में उसके बाद वाले कई जूनियर्स का प्रमोशन कर दिया गया। जब कैट ने डिपार्टमेंट से जवाब मांगा तो डिपार्टमेंट ने बताया कि याचिका दाखिल करने वाले अधिकारी को भी प्रमोशन दे दिया गया है। मेडिकल ऑफिसर ने एक बार फिर स्पष्ट किया कि, उसके जूनियर्स को 2 साल पहले प्रमोशन दिया गया। जबकि उसके प्रमोशन में 2 साल की देरी की गई। इस पर शासन की ओर से जवाब दिया गया कि, याचिका दाखिल करने वाले अधिकारी के डोमिसाइल एवं एजुकेशन सर्टिफिकेट्स को वेरीफाई करने में टाइम लग गया। इसलिए उसका प्रमोशन देरी से हुआ है।
प्रशासनिक लापरवाही का बहाना इस बार नहीं चला
सेंट्रल एडमिनिस्ट्रेटिव ट्रिब्यूनल यानी CAT ने अपने डिसिशन में स्पष्ट किया कि, प्रशासनिक स्तर पर यदि कोई लापरवाही हुई है तो इसके कारण कर्मचारियों को कोई नुकसान नहीं होना चाहिए। ऐसी स्थिति में कर्मचारियों को बैक डेट में प्रमोशन दिया जाना चाहिए। इसी के साथ मेडिकल ऑफिसर को उसी दिन प्रमोट करने का आदेश दिया गया है जिस दिन उसके जूनियर्स को किया गया।
इस समाचार के समापन पर यह तो लिखना ही चाहिए कि जम्मू कश्मीर में कर्मचारियों को अपने अधिकारियों के लिए लड़ने की आजादी शायद इससे पहले इतनी नहीं थी। इस विषय पर आपका क्या विचार हैं। कृपया अपने मूल्यवान विचारों को नीचे फेसबुक कमेंट बॉक्स में दर्ज कीजिए।