वर्षा ऋतु में पॉल्यूशन लेवल सबसे कम होता है। भोपाल जैसे शहर में पूरा प्रदूषण खत्म हो जाता है लेकिन इस बार उल्टा हो गया है। जैसे ही बादलों से वर्षा बंद होती है, भोपाल की हवा और ज्यादा खतरनाक हो जाती है। 17 इलाके ऐसे हैं जहां पर हार्ट, चेस्ट और सांस के मरीज के लिए जान का खतरा है क्योंकि यहां की हवा में ऐसे कण मौजूद हैं जो, स्वस्थ व्यक्ति को बीमार और बीमार व्यक्ति की मृत्यु का कारण हो सकते हैं।
भोपाल में धूल और धुआं मिलकर जहरीला कॉम्बिनेशन बना रहे हैं
पर्यावरण मामलों के विशेषज्ञ सुभाष सी पांडे का कहना है कि, जहांगीराबाद, सुभाष नगर, जेल रोड, एमपी नगर, हबीबगंज, कमला पार्क, काजी कैंप, डीआईजी बंगला, हाउसिंग बोर्ड, भानपुर, शाहपुर, कॉलोनी, बैरागढ़ रोड, कोलार, तीन मोहरे, शाहजहानाबाद, जिंसी और ईदगाह क्षेत्र बारिश के बावजूद स्वास्थ्य के लिए खतरनाक बने हुए हैं। बारिश के कारण यहां की सड़क उखड़ गई। जैसे ही बारिश बंद होती है और मिट्टी सूखती है। हवा में धूल के कण उड़ने लगते हैं। टूटी सड़कों की वजह से उड़ने वाली धूल और वाहनों का धुआं मिलकर इतना जहरीला कॉम्बिनेशन बना रहे हैं कि यह जान के लिए खतरनाक हो गया है। इससे पहले ऐसा कभी नहीं हुआ था। वैज्ञानिकों ने नागरिकों से अपील की है कि, उपरोक्त इलाकों में जितना संभव हो नहीं जाए और यदि जाना पड़ता है तो फेस मास्क लगा कर जाएं।
यही प्रदूषण हार्ट अटैक का कारण बनता है
विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के अनुसार धूल और वाहनों का धुआं मिलकर वायु प्रदूषण का प्रमुख कारण बनते हैं। ये दोनों मिलकर पार्टिकुलेट मैटर (PM2.5 और PM10), कार्बन मोनोऑक्साइड (CO), नाइट्रोजन ऑक्साइड (NOx), वाष्पशील कार्बनिक यौगिक (VOCs), और सल्फर डाइऑक्साइड (SO2) जैसे खतरनाक Pollutants को वायुमंडल में छोड़ते हैं। धूल के महीन कण (PM2.5 और PM10) सांस के माध्यम से फेफड़ों में प्रवेश कर जाते हैं। वाहनों से निकलने वाला धुआं कार्बन मोनोऑक्साइड, नाइट्रोजन ऑक्साइड, और हाइड्रोकार्बन जैसे जहरीले पदार्थों को वायु में मिलाता है। इनके कारण पूरा वातावरण जहरीला हो जाता है। लेने में तकलीफ होती है आंखों और त्वचा में जलन होने लगती है। मेंटल हेल्थ प्रभावित होती है और यही प्रदूषण हार्ट अटैक का कारण बनता है।