Public Nuisance: SDM अंतिम आदेश का पालन किस प्रकार से करवा सकता है, जानिए

किसी व्यक्ति के खिलाफ लोक-न्यूसेंस मामले में कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा आदेश जारी किया गया है, और यदि व्यक्ति उस आदेश का पालन करने में किसी भी प्रकार से असफल रहता है या व्यक्ति द्वारा कारण बताने के बाद मजिस्ट्रेट द्वारा कराई गई जांच में न्यूसेंस होना पाया जाता है, तब मजिस्ट्रेट अंतिम आदेश जारी करता है। मजिस्ट्रेट अंतिम आदेश की प्रक्रिया को कैसे पूरा करवाएगा, जानिए।

Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 की धारा 160 की परिभाषा

1. जब कार्यकारी मजिस्ट्रेट द्वारा किसी व्यक्ति के खिलाफ लोक-न्यूसेंस का अंतिम आदेश जारी कर दिया जाता है, तब मजिस्ट्रेट ऐसे व्यक्ति को सूचना देगा और उससे अपेक्षा करेगा कि वह उस आदेश में दिए गए समय में कार्य को पूरा कर इसकी सूचना मजिस्ट्रेट को दे। यदि वह इस आदेश का पालन नहीं करता है, तब उसे Bharatiya Nyaya Sanhita, 2023 की धारा 223 के अंतर्गत दण्डित किया जाएगा।

2. यदि मजिस्ट्रेट को लगता है कि ऐसी बाधा किसी व्यक्ति द्वारा उत्पन्न हो रही है और उसे तत्काल हटाना लोकहित के लिए आवश्यक है, तब मजिस्ट्रेट स्वयं जाकर उस कार्य को करवा सकता है। इस कार्य में जो भी खर्च होगा, वह उस व्यक्ति, जिसके खिलाफ लोक-न्यूसेंस का आदेश हुआ था, की चल संपत्ति को विक्रय करके लिया जाएगा। यदि मामला मजिस्ट्रेट के अधिकार क्षेत्र से बाहर का है, तब मजिस्ट्रेट उस व्यक्ति की जहां चल संपत्ति होगी, उसे कुर्क करने का वारंट जारी करेगा।

3. Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita की धारा 160 के अंतर्गत कार्यकारी मजिस्ट्रेट के कार्य, कुर्की और विक्रय के खिलाफ किसी भी न्यायालय में वाद नहीं चलाया जा सकता है। 

उदाहरण: संजय ने कॉलोनी में सड़के किनारे बहुत सारा कचरा डाल दिया। जिसके कारण बदबू फैल गई और वायरस एवं बैक्टीरिया संक्रमण का खतरा उत्पन्न हो गया। यह कार्य लोक-न्यूसेंस (public nuisance) की श्रेणी में आता है। इसकी शिकायत कार्यकारी मजिस्ट्रेट (SDM) से की जाएगी। SDM द्वारा भारतीय नागरिक सुरक्षा संहिता 2023 की धारा 160 के तहत नोटिस जारी करके, संजय को कचरा हटाने के लिए 7 दिन का समय दिया जाएगा। यदि संजय आदेश का पालन नहीं करता है तो उसे भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 223 के तहत दंडित किया जाएगा। 

तत्काल कार्रवाई और खर्च वसूली:

किसी डॉक्टर अथवा अस्पताल द्वारा पब्लिक प्लेस पर मेडिकल वेस्ट डंप कर दिया गया। ऐसी स्थिति में SDM को यदि लगता है कि, इस प्रकार के मेडिकल वेस्ट को तुरंत हटाना जनहित में आवश्यक है अन्यथा खतरे की स्थिति बन सकती है, तब एसडीएम मौके पर स्वयं उपस्थित होकर का कार्रवाई कर सकता है और इस कार्रवाई में जो भी खर्च होगा उसकी वसूली संबंधित व्यक्ति अथवा संस्था से की जाएगी। खर्च की वसूली के लिए संपत्ति कुर्की वारंट किया जा सकता है। इस प्रकार के वारंट के खिलाफ किसी भी न्यायालय में अपील नहीं की जा सकती। क्योंकि धारा 160 के तहत मजिस्ट्रेट के कार्यों को चुनौती नहीं दी जा सकती।

अपील: कृपया इस जानकारी को उस व्हाट्सएप ग्रुप में जरूर शेयर करें जिसमें वह शरारती व्यक्ति भी सदस्य है, जो अक्सर न्यूसेंस पैदा करता है। हो सकता है इसको पढ़ने के बाद उसकी आदत बदल जाए और आपको शिकायत करने की जरूरत ही ना पड़े।✍️लेखक: बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार, होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें। 
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