श्री शिवराज सिंह चौहान "मामा" की मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में ऐतिहासिक पारी 12 दिसंबर 2023 को समाप्त हो गई थी। लेकिन भोपाल दुग्ध संघ आज भी "मामा की डेयरी" बना हुआ है। भोपाल दुग्ध संघ की कल्याणकारी योजनाएं इस बात को ध्यान में रखकर बनाई जा रही है कि उसका फायदा मध्यप्रदेश सरकार या भारतीय जनता पार्टी नहीं बल्कि शिवराज सिंह चौहान को मिले।
SANCHI: भोपाल दुग्ध संघ के दुग्ध उत्पादकों की बेटियों को - मामा की चीकट
लेटेस्ट न्यूज़ मिली है कि, एमपी स्टेट कोआपरेटिव डेयरी फेडरेशन का संचालन राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड (एनडीडीबी) द्वारा संभाले जाने के बाद दुग्ध उत्पादकों को भोपाल दुग्ध संघ से जोड़े रखने के लिए उनकी बेटियों के विवाह में "मामा की चीकट" (मामा की ओर से भानजी को उपहार) भेजेगा। इसके तहत 11 हजार रुपये नकद और साड़ी कपड़ा भेंट किए जाएंगे। श्री प्रीतेश जोशी, मुख्य कार्यपालन अधिकारी, भोपाल दुग्ध संघ, भोपाल मध्यप्रदेश का कहना है कि, दुग्ध उत्पादकों से हमारा रिश्ता केवल व्यावसायिक नहीं बल्कि भावनात्मक भी है। दुग्ध संघ पूरा एक परिवार है इसलिए हम सभी एक दूसरे के साथ हमेशा खड़े रहेंगे।
सरकारी योजना में मामा शब्द से क्या आपत्ती है
"मामा का चीकट" का अर्थ है मामा का उपहार या मामा द्वारा दिया गया उपहार है, यह विशेष रूप से विवाह समारोहों में मामा द्वारा वधू या वर को दिया जाने वाला उपहार होता है, इसे मामा का मायरा, मामा का मामेरा या मामा का चीकट भी कहा जाता है। यदि भारत के किसी भी राज्य में "मामा का चीकट" सरकारी योजना का संचालन किया जाता है तो कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है लेकिन यदि इस योजना को मध्य प्रदेश में संचालित किया जाता है, तब आपत्तिजनक है। क्योंकि यहां पर मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान "स्वयंभू मामा" हैं। उनको जो सरकारी आवास आवंटित किया गया है, उन्होंने उसका भी नामकरण "मामा का घर" कर दिया है। यह बिल्कुल वैसा ही है जैसे दिल्ली में "आम आदमी"।