Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 की धारा 262 के तहत Judicial Magistrate को यह अधिकार प्राप्त है कि यदि Chargesheet में Police पर्याप्त सबूत प्रस्तुत नहीं करती, तो आरोपी को बिना Trial के मुक्त किया जा सकता है। लेकिन यदि Police, Chargesheet में पुख्ता सबूत, जैसे घटना की Video Recording, प्रत्यक्षदर्शी गवाह और आरोपी की स्वीकारोक्ति प्रस्तुत करती है, तो क्या बिना Trial के आरोपी को सजा दी जा सकती है? आइए जानते हैं:
Bharatiya Nagarik Suraksha Sanhita, 2023 की धारा 263 की व्याख्या
Judicial Magistrate के समक्ष Police द्वारा अपनी Investigation Report, अर्थात Chargesheet, प्रस्तुत की जाती है। Police की Chargesheet में कितने ही पुख्ता सबूत क्यों न हों, BNSS की धारा 263 के तहत Magistrate उस Report के आधार पर Examination करेगा और Oral और Written साक्ष्य मांगेगा। इसके बाद, यदि आरोपी यह सिद्ध नहीं कर पाता कि उस पर लगाए गए आरोप गलत हैं, तो Judicial Magistrate आरोपों को संरचित करेगा और उन्हें आरोपी को पढ़कर सुनाएगा।
यदि आरोपी Police की Investigation Report का खंडन करता है, तो मामले को Trial के लिए Court की कार्यवाही में शामिल किया जाएगा। अर्थात, BNSS की धारा 263 आरोपी को हर हाल में उसका पक्ष रखने का अवसर देती है, चाहे Police ने उसके खिलाफ कितने ही अकाट्य और प्रमाणित सबूत क्यों न प्रस्तुत किए हों। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।
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