आदेश एक न्यायिक निर्णय है जो न्यायालय द्वारा किसी मामले में पारित किया जाता है और इसमें किसी विशिष्ट कार्य को करने या न करने के लिए निर्देश दिया जाता है। आदेश विभिन्न प्रकार के हो सकते हैं, जैसे कि:
1. अस्थायी आदेश: यह आदेश अस्थायी रूप से किसी विशिष्ट कार्य को करने या न करने के लिए दिया जाता है।
2. स्थायी आदेश: यह आदेश स्थायी रूप से किसी विशिष्ट कार्य को करने या न करने के लिए दिया जाता है।
Code of Civil Procedure, 1908, आदेश 9 नियम 6 में प्रावधान है कि यदि वाद की सुनवाई की तारीख को या दिनांक को प्रतिवादी न्यायालय में उपस्थित नहीं होता है, तब न्यायालय एकपक्षीय आदेश पारित कर सकता है।
Code of Civil Procedure, 1908, का नियम 7: यदि प्रतिवादी न्यायालय में उपस्थित होकर न्यायालय को संतुष्ट कर देता है कि पूर्व दिनांक को उपस्थित न होने का पर्याप्त कारण या वैध कारण था, तब न्यायालय एकपक्षीय आदेश को अपास्त कर सकता है।
लेकिन जहां मामले की सुनवाई पूरी हो चुकी है और वाद में निर्णय के लिए दिनांक निश्चित कर दी गई हो, वहां ऐसे एकपक्षीय आदेश को निरस्त नहीं किया जा सकता। 👉🏻 Sunil Kumar vs Praveen Chandra Chourasiya, वर्ष 2008। लेखक ✍️बी.आर. अहिरवार (पत्रकार एवं विधिक सलाहकार होशंगाबाद)। Notice: this is the copyright protected post. do not try to copy of this article. डिस्क्लेमर - यह जानकारी केवल शिक्षा और जागरूकता के लिए है। कृपया किसी भी प्रकार की कानूनी कार्रवाई से पहले बार एसोसिएशन द्वारा अधिकृत अधिवक्ता से संपर्क करें।