Bias in medical care - मध्य प्रदेश में पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित डॉक्टर का भी इलाज नहीं किया, जबकि जान का खतरा था

मध्य प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था द्वारा एक बार फिर गंभीर अपराध किया गया है। जिस व्यक्ति को भारत सरकार ने पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया, जिसका जीवन भारत के लिए महत्वपूर्ण है, धार जिले में उसका इलाज नहीं किया गया जबकि मौत का खतरा था। पूरे प्रदेश में के मरीजों के इलाज में आनाकानी के हजारों मामले सामने आते हैं। जब कोई गंभीर स्थिति हो जाती है, तब वह हेडलाइंस और ब्रेकिंग न्यूज़ बनती है। 

सरकार को Emergency Health Service का आईडिया दिया था

डॉ. सुब्रत राय 'Lifeline' संस्था के CEO हैं। 1999 में पत्नी के साथ हाईवे पर दुर्घटना के बाद छह घंटे तक इलाज न मिलने का दर्द उन्होंने झेला था। तभी से वे सड़क दुर्घटनाओं के शिकार लोगों को समय पर Medical Treatment दिलाने के लिए काम कर रहे हैं। उनकी पत्नी सुष्मिता राय भी इस सेवा कार्य में उनका पूरा सहयोग करती हैं। उनके परिवार को 'हाईवे का मसीहा' कहा जाता है। देश में Emergency Health Service जैसे 108 Ambulance Service शुरू करवाने में उनका बड़ा योगदान है।  

डॉ. चांदनी डबरोलिया ने इलाज नहीं किया, जबकि मौत का खतरा था

शनिवार को डॉ. राय अपनी पत्नी के साथ मांडू घूमने आए थे। वहां श्वान के काटने के बाद वे प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंचे, लेकिन डॉ. चांदनी डबरोलिया ने Rabies Injection न होने की बात कहकर उन्हें नालछा जाने को कहा। Media Intervention के बाद जब वे दोबारा अस्पताल पहुंचे, तब डॉक्टर ने स्टाफ नर्स से इंजेक्शन के बारे में पूछा और जवाब मिला, 'कुछ इंजेक्शन रखे हैं।' इसके बाद इंजेक्शन लगाया गया। सवाल यह है कि जब इंजेक्शन उपलब्ध था, तो पहले मना क्यों किया गया?

दोषी डॉक्टर को बचाने, पढ़िए क्या-क्या कर रहे हैं

नालछा विकासखंड चिकित्सा अधिकारी डॉ. जोगिंदर सिंह डावर ने सफाई दी कि वे जांच कर रहे हैं कि जब Rabies Injection उपलब्ध था, तो पहले मना क्यों किया गया। उन्होंने कहा कि मांडू में निर्धारित सुविधाएं हमेशा उपलब्ध रहती हैं और Health Services में सुधार का प्रयास किया जाएगा। दोषियों पर कार्रवाई का आश्वासन भी दिया गया। धार के CMHO डॉ. राकेश शिंदे ने भी घटना को संज्ञान में लिया है, जांच रिपोर्ट मांगी है और जल्द मांडू का दौरा कर Health Infrastructure को बेहतर करने की बात कही है।

यहां याद दिलाना जरूरी है कि निष्पक्ष जांच के लिए आरोपी अधिकारी को सबसे पहले सस्पेंड किया जाता है। ताकि वह जांच को प्रभावित न कर पाए। यहां पर आरोपी डॉक्टर को छुट्टी तक नहीं दी गई है, बस मामले को ठंडा करने के लिए जांच की बात की जा रही है। किसी भी प्रकार का ताजा सामने नहीं आया है और ना ही अधिकारियों ने जांच के बिंदु बताए हैं। 

हंगामा हुआ तो अभियान का ऐलान कर दिया

नगर परिषद, मांडू के CMO सुशील सिंह ठाकुर ने बताया कि Stray Dogs को पकड़ने के लिए अभियान चलाया जाएगा ताकि पर्यटकों को परेशानी न हो। मवेशियों के लिए मुनादी कराई गई है और चेतावनी न मानने पर दंड का प्रावधान भी रखा गया है।  

यह पूरी घटना मध्य प्रदेश की Health Services की जमीनी सच्चाई और सरकारी प्राथमिकताओं पर गंभीर सवाल खड़े करती है।  - राजेश जयंत.
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