परिवहन अधिकारी से पंगा कितना महंगा पड़ता है। आज भोपाल में नियम विरुद्ध चल रही एक यात्री बस को आरटीओ की टीम ने बीच रास्ते में रोका, और नियम के विरुद्ध यात्रियों को वहीं सड़क पर उतारकर बस को जप्त कर लिया। गजब की बात पढ़िए। ऐसा करने के बाद आरटीओ ने अपनी गलती को छुपाया नहीं बल्कि खुद प्रेस को बताया। इस प्रकार जैसे नियम का पालन करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकते हैं।
आरटीओ जितेंद्र शर्मा का बयान पढ़िए
क्षेत्रीय परिवहन अधिकारी के निर्देश पर शनिवार को नर्मदापुरम रोड पर की गई कार्रवाई में विभाग की टीम ने दो डंपर और एक यात्री बस को जब्त किया। ये वाहन बिना फिटनेस, परमिट और कर जमा किए सड़कों पर दौड़ रहे थे। जब्त की गई बस में 30 से अधिक यात्री सवार थे, जिन्हें बीच रास्ते में उतारकर बस को आरटीओ कार्यालय ले जाया गया। आरटीओ जितेंद्र शर्मा ने कहा कि परमिट, बीमा और फिटनेस जैसे दस्तावेजों की अनदेखी गंभीर अपराध है। यह न सिर्फ नियमों का उल्लंघन है बल्कि यात्रियों की सुरक्षा के साथ खिलवाड़ है। उन्होंने स्पष्ट किया कि यदि भविष्य में भी नियमों का पालन नहीं किया गया, तो और भी सख्त कार्रवाई की जाएगी।
यात्रियों की सुरक्षा के नाम पर यात्रियों पर अत्याचार
आरटीओ जितेंद्र शर्मा के बयान के अनुसार जो कुछ भी किया गया है वह यात्रियों की सुरक्षा के लिए किया गया लेकिन सबसे बड़ा सवाल यह है कि, बीच रास्ते पर, बारिश के मौसम में, महिलाओं और बच्चों को, सड़क पर लावारिस छोड़ देना, क्या अत्याचार नहीं है। बस को जप्त करना आरटीओ का अधिकार है लेकिन यात्रियों के लिए कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं करना, क्या अपराध नहीं है?