मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) की भर्ती परीक्षा 2022 की मेरिट लिस्ट, जो जनवरी 2025 में जारी हुई, अब विवादों में घिर गई है। इस मामले में एक अभ्यर्थी द्वारा कथित तौर पर फर्जी दृष्टि बाधित (visually impaired) सर्टिफिकेट के आधार पर आबकारी सब इंस्पेक्टर (Excise Sub-Inspector) के पद पर चयन को लेकर जबलपुर उच्च न्यायालय (Jabalpur High Court) में याचिका दायर की गई है।
MPPSC का दृष्टि बाधित कार और बुलेट मोटरसाइकिल चलाता है
सागर के रहने वाले अभ्यर्थी धर्मेंद्र सिंह ठाकुर ने अधिवक्ता दिनेश सिंह चौहान के माध्यम से हाईकोर्ट में याचिका दायर की है। याचिका में मेरिट लिस्ट को चुनौती दी गई है और सत्यम रजक नामक अभ्यर्थी को पार्टी बनाया गया है। अधिवक्ता चौहान ने कोर्ट को बताया कि सत्यम रजक, जिनका चयन MPPSC 2022 की मेरिट लिस्ट में दृष्टि बाधित कोटे (visually impaired quota) के तहत हुआ, के पास ड्राइविंग लाइसेंस (driving license) है। साथ ही, वह कार और बुलेट (bullet motorcycle) चलाते हुए सोशल मीडिया पर फोटो और वीडियो भी पोस्ट करते हैं।
40% से अधिक दिव्यांग का ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं हो सकता
अधिवक्ता ने कोर्ट का ध्यान इस तथ्य की ओर दिलाया कि यदि कोई व्यक्ति 40% से अधिक दिव्यांग (disabled) है, तो उसका ड्राइविंग लाइसेंस जारी नहीं हो सकता। ड्राइविंग लाइसेंस के लिए आवेदक को एक हलफनामा (affidavit) देना होता है, जिसमें यह घोषणा की जाती है कि वह पूरी तरह से शारीरिक रूप से फिट (physically fit) है।
MPPSC फॉर्म की लास्ट डेट से मात्र 5 दिन पहले सत्यम रजक दृष्टि बाधित हुआ
इसके अलावा, सत्यम रजक का 45% परमानेंट दृष्टि बाधित सर्टिफिकेट (permanent disability certificate) MPPSC फॉर्म भरने की अंतिम तिथि से मात्र पांच दिन पहले जारी हुआ, जो संदेहास्पद है। सामान्य प्रक्रिया के अनुसार, पहले अस्थायी सर्टिफिकेट (temporary certificate) जारी होता है और कुछ वर्षों बाद, जब सुधार की कोई संभावना नहीं रहती, तब परमानेंट सर्टिफिकेट जारी किया जाता है।
सत्यम रजक ने AIIMS Delhi से जांच नहीं करवाई
इसके अतिरिक्त, विभाग ने सत्यम रजक की जांच के लिए एम्स भोपाल (AIIMS Bhopal) को पत्र लिखा था। एम्स भोपाल ने तकनीकी उपकरणों की कमी के कारण अभ्यर्थी को एम्स दिल्ली (AIIMS Delhi) रेफर किया, लेकिन सत्यम रजक ने वहां जांच के लिए जाने से इनकार कर दिया।
माननीय जबलपुर उच्च न्यायालय ने इस मामले में सत्यम रजक, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC), आरटीओ ऑफिस सागर (RTO Sagar), और सीएमएचओ ऑफिस सागर (CMHO Sagar) को नोटिस जारी कर जवाब मांगा है। इस मामले ने सोशल मीडिया (social media) पर भी खूब चर्चा बटोरी है, जहां सत्यम रजक की गतिविधियों से संबंधित फोटो और वीडियो वायरल हो रहे हैं।
यह मामला न केवल MPPSC भर्ती प्रक्रिया की पारदर्शिता (transparency) पर सवाल उठाता है, बल्कि दिव्यांग कोटे (disabled quota) के दुरुपयोग को भी उजागर करता है। हाईकोर्ट का फैसला इस मामले में महत्वपूर्ण होगा, जो भविष्य में ऐसी अनियमितताओं को रोकने में मदद कर सकता है।