हम हवा को महसूस तो करते हैं, लेकिन क्या उसे सुन और समझ पाते हैं? न धुएँ की चीख सुनाई देती है, न उसमें घुले ज़हरीले कणों की फुसफुसाहट। कभी दम घुटने की शिकायत करते हैं, कभी Red alert देखकर मास्क पहन लेते हैं। लेकिन क्या हम जानते हैं कि हवा क्यों बिगड़ रही है, ज़हर कहाँ से आ रहा है, और किस मोहल्ले को सबसे ज़्यादा ख़तरा है?
इंसान की इंद्रियों से एक कदम आगे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस
अब विज्ञान और Technology मिलकर वह करेंगे, जो इंसानी इंद्रियाँ नहीं कर पाईं - हवा की भाषा को सुनना और समझना। सोचिए, एक ऐसी AI technology जो हर ब्लॉक, हर गली में हवा की गतिविधियों को Track करे और सरकार को बताए कि कहाँ तुरंत हस्तक्षेप ज़रूरी है। IIT Kanpur के वैज्ञानिक और IBM के tech experts मिलकर ऐसा AI system बना रहे हैं, जो हवा की स्थिति समझेगा, उसका विश्लेषण करेगा, और सरकार को बताएगा कि कब, कहाँ और कैसे Action लेना है।
इस initiative का नेतृत्व कर रहे हैं प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी, जो IIT Kanpur के Kotak School of Sustainability के डीन और Airawat Research Foundation के project director हैं। उनकी टीम ने हर block level पर local Sensors लगाकर air pollution के स्रोतों का data इकट्ठा किया है।
प्रो. त्रिपाठी, IIT Kanpur
हमने एक AQ stack बनाया है, जिसमें PM2.5, PM10, temperature, और gas pollutants का data शामिल है। इससे हम लखनऊ शहर से हर दिन लगभग 2 लाख data points जनरेट कर रहे हैं- वो भी सिर्फ़ चार inputs से।
प्रो. मनीन्द्र अग्रवाल, Director, IIT Kanpur
इस data पर AI models को train किया गया है, जो अब बता सकते हैं कि कहाँ धूल ज़्यादा है, कहाँ वाहनों से pollution बढ़ रहा है, या किस इलाके में पटाखों, biomass burning, या कचरे से ज़हर हवा में घुल रहा है। यह सब real-time में और location-tagged डेटा के साथ होता है।“हम अब सिर्फ़ reports नहीं बनाते, बल्कि हर इलाके के हिसाब से action plans देते हैं।
विशाल चहल, Vice President, IBM India Software Labs
लखनऊ के अनुज गुप्ता इस project के technical lead हैं।
सरकारी नज़रिया: डेटा से ठोस एक्शन
उत्तर प्रदेश सरकार के Environment Department के प्रमुख सचिव अनिल कुमार कहते हैं: “Block-level low-cost monitoring से मिला data चौंकाने वाला है। आजमगढ़, कुशीनगर, श्रावस्ती जैसे इलाकों में air quality कुछ शहरी क्षेत्रों से भी बदतर है। अब हमारे पास data है, और हम उस पर action ले सकते हैं।”
Uttar Pradesh Government ने World Bank के साथ ₹5,000 करोड़ का UP CAMP project शुरू किया है, जिसमें low-cost technologies, brick kiln innovation, और capacity building पर ध्यान है।
नीति निर्माण में डेटा की भूमिका
Uttar Pradesh Pollution Control Board के चेयरमैन रवींद्र प्रताप सिंह कहते हैं:“Air pollution जैसे गंभीर मुद्दे के लिए large-scale accurate data ज़रूरी है। IIT Kanpur की technology 0.5 वर्ग किमी तक का data देती है, जो आज आवश्यक है।”
“स्रोत की पहचान सबसे अहम है। दिनभर में स्रोत बदलते रहते हैं, इसलिए हमें small grid data चाहिए ताकि सही strategy बन सके।”
एक नया नज़रिया, एक नई हवा
यह initiative सिर्फ़ technology की बात नहीं, बल्कि हवा को देखने का नज़रिया बदलने की बात है। अब हवा सिर्फ़ साँसों का माध्यम नहीं, बल्कि data-driven map है, जो सरकार को रास्ता दिखाएगी और जनता को clean air देगी।“अब हवा बोलेगी- और नीति उसे सुनेगी।”
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